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फैक्ट चेक: मलाला, ग्रेटा और मिया खलीफा के अफगानिस्तान संकट पर चुप्पी साधने का झूठा दावा वायरल

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि मलाला, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा, तीनों ने ही ट्विटर पर अफगानिस्तान संकट को लेकर चिंता जाहिर की है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
मलाला युसुफजई, ग्रेटा थनबर्ग, रिहाना और मिया खलीफा भारत के मामलों में इतनी बयानबाजी करती हैं, पर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर इनमें से किसी ने एक शब्द भी नहीं बोला.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
मलाला युसुफजई, ग्रेटा थनबर्ग और मियां खलीफा, इन तीनों ने ही अफगानिस्तान में तालिबाना शासन लागू होने को लेकर चिंता जताई है. हालांकि ​रिहाना की तरफ से खबर लिखे जाने तक इस मसले पर कोई बयान नहीं आया है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां दहशत और अफरातफरी का माहौल है. इस बीच कुछ सोशल मीडिया यूजर्स आरोप लगा रहे हैं कि नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, पॉप गायिका रिहाना और पूर्व पॉर्न स्टार मिया खलीफा जैसी मशहूर हस्तियां किसान आंदोलन जैसे भारत के मसलों पर तो खूब बयानबाजी करती हैं, पर अफगानिस्तान संकट को लेकर उनकी जुबान पर ताला लग गया है.
 
बता दें कि जहां ग्रेटा थनबर्गरिहाना और मिया खलीफा ने फरवरी 2021 में भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किए थे. वहीं दूसरी ओर, मलाला ने साल 2019 में कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां के हालात को लेकर चिंता जताई थी.
 
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि मलाला, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा,  इन तीनों ने ही ट्विटर पर अफगानिस्तान संकट को लेकर चिंता  जाहिर की है.  हालांकि, ये सच है कि पॉप स्टार रिहाना ने अभी तक इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है.

हरियाणा बीजेपी के आईटी एंड सोशल मीडिया हेड अरुण यादव ने इस बारे में लिखा, “शांतिदूतों और सेक्युलरिज्म के मरीजों अफगानिस्तान पर तुम्हारे दो शब्द बोलने का इंतजार रहेगा. पैसे लेकर मलाला, ग्रेटा, रिहाना और मिया खलीफा को हिंदुस्तानी किसानों की इतनी चिंता थी, पर तालिबान पर किसी ने एक शब्द नहीं बोला.” 

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.


क्या है सच्चाई?

अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर मलाला यूसुफजई ने 15 अगस्त 2021 को ट्वीट किया, “तालिबान जिस तरह अफगानिस्तान पर कब्जा जमाता जा रहा है, उसे देखकर हम बेहद सदमे में हैं. मुझे महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों की पैरवी करने वालों की सबसे अधिक चिंता है. अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर तुरंत संघर्ष विराम की कोशिशें की जानी चाहिए. बिना किसी विलंब के लोगों की मदद की जानी चाहिए. नागरिकों और शरणार्थियों को बचाया जाना चाहिए.”

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मलाला को साल 2012 में तालिबान आतंकियों ने पाकिस्तान में गोली मार दी थी क्योंकि उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज बुलंद की थी. तब वो सिर्फ 15 साल की थीं.

ग्रेटा थनबर्ग ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर लिखा, “ये देखना बेहद दिल तोड़ने वाला और शर्मनाक है कि कैसे पूरे विश्व ने दुनिया ने अफगानिस्तान के नागरिकों का भरोसा तोड़ दिया. वहां के लोग- खास तौर पर बच्चे और महिलाएं किन हालातों का सामना कर रहे हैं, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है.”

इसी तरह मिया खलीफा ने भी अफगानिस्तान के मसले को लेकर दो ट्वीट किए, जिनमें से एक में उन्होंने लिखा, “अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबानी कब्जा होने के बाद कब्जे के बाद वहां के राष्ट्रपति भाग गए. ये हो क्या रहा है?”

 

रिहाना ने खबर लिखे जाने तक अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. हमें ऐसी कोई खबर भी मिली जिसमें इस मसले से जुड़े रिहाना के किसी बयान का जिक्र हो. इससे ये साबित हो जाता है कि मलाला यूसुफजई, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा ने अफगानिस्तान संकट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस पर चिंता जताई है.
 

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