क्या भारत सरकार हजारों करोड़ प्रतिमाओं पर बर्बाद कर रही है, जबकि भारत का पड़ोसी देश चीन उतने ही पैसे में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है? सोशल मीडिया यूजर्स एक तस्वीर शेयर करते हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर किए गए खर्च की तुलना चीन के एक शानदार पुल से कर रहे हैं.
इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि जितने पैसे में भारत सरकार ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कराया, उतने ही पैसे यानी 3000 करोड़ में चीन की सरकार ने एक पुल बनवा डाला.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. फेसबुक यूजर 'Jagadeesh Jagadeesh' ने 'அன்பால் இணைவோம் ANBAL INAIVOM' नाम के एक पब्लिक ग्रुप में यह तस्वीर 6 नवंबर को शेयर की है.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इस तस्वीर को दो तस्वीरों को मिलाकर, आपस में दोनों की तुलना करते हुए बनाया गया है. वायरल हो रही इस तस्वीर में एक तरफ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिख रहे हैं तो दूसरी तरफ एक पुल के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दिख रहे हैं.
स्टोरी लिखे जाने तक इस पोस्ट को सैकड़ों यूजर्स ने शेयर किया है. पोस्ट के साथ तमिल में कैप्शन लिखा है जिसका हिंदी में मतलब होगा: 'समझदार और मूर्ख आदमी में यही अंतर है.'
इन दोनों तस्वीरों में दोनों देशों के नाम के साथ 3000 करोड़ रुपये लिखा हुआ है. तस्वीर में भारत सरकार द्वारा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण पर किए गए खर्च की तुलना करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह राशि चीन द्वारा एक पुल पर खर्च की गई राशि के बराबर है. यही तस्वीर स्थानीय मीडिया में फेक न्यूज फैलाने के लिए बदनाम की गई है.
क्या है सच
AFWA ने सबसे पहले इस तस्वीर को क्रॉप किया और रिसर्व इमेज सर्च की मदद से गूगल किया. इस सर्च में हमें 'डेनयांग कुनशान ग्रांड ब्रिज' (Danyang Kunshan Grand Bridge) की तस्वीरें मिलीं. यह दुनिया का सबसे लंबा पुल है जो चीन के जिआंगसू प्रांत में दो शहरों शंघाई और नानजिंग को आपस में जोड़ता है.
इस पुल के बारे में आगे सर्च करने पर हमें Telegraph UK की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें पुल की इसी तरह की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह वास्तव में जिओझोउ बे ब्रिज (Jiaozhou Bay Bridge) का एक हिस्सा है, न कि डेनयांग कुनशान ग्रांड ब्रिज, जैसा कि गूगल रिवर्स इमेज सर्च में सुझाव आया.
जिओझोउ बे ब्रिज जुलाई, 2011 में जनता के लिए खोला गया था और यह यह विशेष रूप से डिजाइन किए गए 42.4 किलोमीटर लंबे पुल का एक हिस्सा है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पुल चार साल में 1.55 बिलियन डॉलर यानी करीब 10,000 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ. हालांकि, 10,000 करोड़ की लागत पूरे 42 किलोमीटर लंबे पुल की थी, न कि उस विशेष हिस्से की जो तस्वीर में दिख रहा है.
हम यह पता नहीं लगा सके कि तस्वीर में पुल का जो हिस्सा दिख रहा है, उस विशेष हिस्से की लागत कितनी आई होगी. भारत सरकार ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कराया है जिसकी लागत करीब 3000 करोड़ रुपये है. तस्वीर में चीन के जिस पुल की बात की जा रही है, उसके निर्माण की लागत स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तीन गुना से ज्यादा है.
हालांकि, यह भी गौर करने की बात है कि चीन भी प्रतिमाओं पर भारी भरकम राशि खर्च करता है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के पहले दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का रिकॉर्ड चीन के ही नाम था. चीन में स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध नाम की प्रतिमा अब भी दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है जो 55 मिलियन डॉलर यानी करीब 400 करोड़ की लागत से 2002 में बनवाई गई थी.