क्या यह मुमकिन है कि बॉक्सिंग जैसे खेल में कोई महिला बॉक्सर किसी धार्मिक वजह से रेफरी को अपना हाथ पकड़ने से रोक दे? सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही क्लिप वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम संस्कारों की वजह से इस महिला ने रेफरी तक को हाथ नहीं पकड़ने दिया.
ये क्लिप किसी बॉक्सिंग मुकाबले की लग रही है.
एक ट्विटर यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “मैं मुसलमान हूं मेरा मजहब इजाजत नहीं देता कि गैर महरम मर्द मेरा हाथ पकड़े! #इस्लाम की शहजादीयां. #भारत की शान मदरसा”.

इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पाया कि वायरल वीडियो अधूरा है. पूरा वीडियो एशियन बॉक्सिंग U-22 चैंपियनशिप के एक मुकाबले का है. इसमें रेफरी दोनों मुक्केबाजों के हाथ पकड़कर हार-जीत का ऐलान करते हैं. वायरल क्लिप में दिख रही महिला मुक्केबाज ताजिकिस्तान की हुस्निया खोलोवा हैं.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये " target="_blank">वीडियो हमें यू-ट्यूबचैनल पर मिला.
27 जनवरी, 2022 को अपलोड हुए इस वीडियो के साथ लिखा है कि ये उज्बेकिस्तान की मुक्केबाज फारूजा काजाकोवा और ताजिकिस्तान की मुक्केबाज हुस्निया खोलोवा के बीच हुआ मुकाबला है. इसमें उज्बेकिस्तान की मुक्केबाज विजयी हुईं.
पूरे वीडियो में दिखता है कि मुकाबले के बाद खोलोवा अपने पुरुष कोच के पास जाती हैं, वो उनका हेड गार्ड और बॉक्सिंग ग्लव्ज उतारते हैं. इसके बाद वो हार से निराश होकर चेहरे को अपने हाथों से ढक लेती है. इसके बाद जब रेफरी नतीजे का ऐलान करने के लिए उनका हाथ पकड़ते हैं तो पहले तो वो उन्हें रोकती हैं लेकिन फिर रेफरी को अपना हाथ पकड़ने देती हैं.
रेफरी दोनों मुक्केबाजों के हाथ पकड़कर काजाकोवा के विजेता होने का ऐलान कर देते हैं. इसके बाद खोलोवा बिना किसी ऐतराज के काजाकोवा के कोच के हाथों पर दोस्ताना अंदाज में अपना मुक्का टकराती हैं.
बॉक्सिंग रिंग के बैकग्राउंड में एएसबीसी एशियन अंडर-22 लिखा हुआ है.
बॉक्सिंग कंफेडरेशन यानी एएसबीसी की वेबसाइट पर इस साल जनवरी में एशियन अंडर-22 बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हुए मुकाबलों की पूरी जानकारी मौजूद है.

काजाकोवा ने इस कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता जबकि खोलोवा को ब्रॉन्ज मेडल मिला था. एएसबीसी के इंस्टाग्राम अकाउंट पर 29 जनवरी को खत्म हुई इस चैंपियनशिप की मेडल सेरेमनी की रील भी मौजूद है जिसमें 15 मिनट के बाद 52 किलोग्राम केटेगरी के तहत हुस्निया खोलोवा को ब्रॉन्ज मेडल दिया जाता है.
हमें ताजिक भाषा में कुछ पुरानी न्यूज रिपोर्ट्स भी मिलीं जिनसे पता चलता है कि खोलोवा साल 2015 से ही बॉक्सिंग के रिंग में उतर रही हैं.
बॉक्सिंग ऐसा खेल है जिसमें रेफरी विजेता का हाथ उठा कर हार-जीत ऐलान करते है. ऐसे में अगर खोलोवा को रेफरी के हाथ पकड़ने से ऐतराज होता तो शायद वो इतने सालों तक बॉक्सिंग के खेल में एक्टिव नहीं रहतीं.
(रिपोर्ट- सुमित कुमार दुबे)