scorecardresearch
 

नई चश्मेबद्दूर में सैडनेस न के बराबर हैः डेविड धवन

1981 की हिट फिल्म चश्मेबद्दूर का युवा तेवरों से लबरेज रीमेक लेकर आ रहे डायरेक्टर डेविड धवन ने समय के हिसाब से फिल्म की स्क्रिप्ट को ढाला है. उन्होंने फिल्म से जुड़ी दिलचस्प बातें साझा कीं.

Advertisement
X

1981 की हिट फिल्म चश्मेबद्दूर का रीमेक लेकर आ रहे डायरेक्टर डेविड धवन ने फिल्म से जुड़ी दिलचस्प बातें साझा कीं.

पुरानी चश्मेबद्दूर तो दिल्ली बेस्ड मूवी थी, आपने गोवा को क्यों चुना?
मैं पूरी फिल्म अपने स्टाइल में पेश करना चाहता था. मुझे गोवा बेहद पसंद है. इसलिए गोवा को चुना.

चश्मेबद्दूर की वह क्या खासियत थी, जिसने आपको अपील किया?
दोस्ती और रिश्तों की कहानी. फिल्म में तीन लड़के हैं और अच्छे दोस्त हैं. इनमें दो लड़के कमीने टाइप के हैं. फिर एक लड़की आती है, और शुरू होती है उतार-चढ़ाव तथा मजेदार वाकयों से भरी एक फिल्म.

इसका रीमेक करते समय आपने किस बात का खास ख्याल रखा?
फिल्म की आत्मा वही है. सीन नए हैं. नए सिरे से स्क्रिप्ट लिखी है. पूरा माहौल नया है और इसमें एक नहीं बल्कि दो प्रेम कहानियां हैं. हमने ऋषि कपूर का नया कैरेक्टर जोड़ा है. फिल्म में उनकी भी प्रेम कहानी है. इसके साथ ही दो बिगड़े हुए दोस्त अपने दोस्ती की लव स्टोरी का बंटाधार करते हैं, फिर गलती का एहसास होने पर उसे कैसे सुधारते हैं. जब आप देखेंगे तो लगेगा कि यह तो बहुत नई फिल्म है. इतना ही नहीं पुरानी फिल्म में ‘सैडनेस’ बहुत ज्यादा थी. हमारी फिल्म में ‘सैडनेस’ न के बराबर है.

ऐक्टर सारे युवा और नए हैं. ऐसा क्यों?

वायकॉम 18 ने पहले से ही तापसी पन्नू और अली जफर को साइन कर रखा था. जब मैं जफर से मिला, तो मुझे लगा कि फारूख शेख वाला कैरेक्टर अली अच्छी तरह से निभा सकते हैं. तापसी को लेकर थोड़ा डाउट था, लेकिन जब वह मिली, तो पता चला कि वह भी उत्तर भारत से हैं. सिद्धार्थ से मैं परिचित था जबकि दिव्येंदु की ‘प्यार का पंचनामा’ मैंने देख रखी थी.

हर दोस्त कमीना होता है का क्या चक्कर है?
हर दोस्त कमीना होता है, फिल्म में एक डायलॉग है. हमने उसी पर यह गाना बना दिया, जो इन दिनों सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है.

फिल्म बनाते समय आपने किस चीज को ध्यान में रखा?
युवाओं को.

Advertisement
Advertisement