बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे अभिनेता फरदीन खान अपने पिता फिरोज खान को अपना आदर्श मानते हैं और कहते हैं कि उनके पिता की जूझने की आदत ने ही उन्हें सबसे अलग पहचान दी थी.
फिरोज खान के पुत्र फरदीन खान ने बताया, ‘लंबे समय तक संघर्ष करने के बावजूद वह हार मानने वालों में से नहीं थे. यह उनकी जूझने की आदत ही थी कि कैंसर जैसी बीमारी का पता चलने के बाद भी उन्होंने वेलकम फिल्म साइन की और अपना काम हंसते हुए किया.’ वर्ष 2007 में बनी फिल्म ‘वेलकम’ में फिरोज खान अंतिम बार नजर आए थे.
फरदीन कहते हैं कि उनके पिता संघर्ष का मतलब समझते थे और बॉलीवुड में पैर जमाने के लिए उन्होंने दोयम दर्जे की समझी जाने वाली फिल्मों में भी काम करने से परहेज नहीं किया था. इसीलिए उनका अभिनय पूरी तरह मंज गया और वह अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए.
फिरोज खान को पूर्व का क्लाइंट ईस्टवुड कहा जाता था. फरदीन कहते हैं, ‘उन्हें फिल्मों का शौक था. वह खाली समय में केवल फिल्में देखना ही पसंद करते थे. विदेशी फिल्मों की बारीकियां और तकनीक समझ कर वह अपनी फिल्मों में उन्हें डालने का प्रयास करते थे लेकिन मौलिकता पर भी पूरा ध्यान देते थे.’
बॉलीवुड में फिरोज खान ने अपने अभिनय करिअर की शुरूआत 1960 में बनी फिल्म ‘दीदी’ से की. इस फिल्म में वह नायक थे. इसके बाद कई फिल्मों में फिरोज ने खलनायक की भूमिका निभाई और फिर नायक की भूमिका में नजर आने लगे.