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आखिर क्यों शाहिद कपूर के किरदार कबीर सिंह पर मचा है सोशल मीडिया पर बवाल

कबीर सिंह शाहिद कपूर की पहली सोलो फिल्म है जो 100 करोड़ के क्लब में शामिल हुई है लेकिन इस फिल्म को  लेकर एक बड़ा वर्ग जबरदस्त आलोचना कर रहा है.  सारा बवाल कबीर सिंह के किरदार को लेकर है.

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शाहिद कपूर सोर्स यूट्यूब स्क्रीनग्रैब
शाहिद कपूर सोर्स यूट्यूब स्क्रीनग्रैब

तमाम विवादों के बावजूद शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह बॉक्स ऑफिस पर शानदार कलेक्शन कर रही है. शाहिद के करियर की ये ना केवल सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई है बल्कि उनकी सबसे बड़ी विवादास्पद फिल्म भी बनती जा रही है. बवाल शाहिद कपूर के कैरेक्टर कबीर सिंह को लेकर है.

इस फिल्म की फेमिनिस्ट्स ग्रुप्स और प्रोग्रेसिव सर्कल द्वारा सोशल मीडिया पर काफी आलोचना की जा रही है. दरअसल फिल्म में शाहिद को एक गुस्सैल, पोज़ेसिव, ड्रिस्ट्रक्टिव पर्सनैसिटी वाला इंसान दिखाया गया है जो गुस्सा होने पर बेकाबू हो जाता है और सामान्य तरीके से बिहेव करना बंद कर देता है. मेडिकल स्टूडेंट कबीर सिंह ना केवल पढ़ाई में जीनियस बल्कि स्पोर्ट्स में भी अव्वल है. स्मार्ट और बोल्ड होने के चलते लोग उसकी हरकतें या तो सह लेते हैं या इग्नोर कर देते हैं.

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कई फेमिनिस्ट्स ग्रुप्स का मानना है कि फिल्म में कबीर सिंह की महिला विरोधी हरकतों को ग्लोरीफाई करना गलत है. 2019 में सोशल मीडिया के दौर में एक मेनस्ट्रीम फिल्म में लीड कैरेक्टर की महिला-विरोधी हरकतों और रिग्रेसिव माइंडसेट पर ये वर्ग इस फिल्म के मेकर्स से काफी खफा है. इसके अलावा फिल्ममेकर ने भी इस शख़्स को रेबेल विद ए कॉज का टैग देकर ये स्थापित करने की कोशिश की है कि इस कैरेक्टर की हरकतें पूरी तरह से जायज है. फिल्म में कबीर सिंह जिस लड़की से प्यार करता है उसकी दयनीय स्थिति को भी निशाना बनाया गया है जो क्लाइमैक्स से पहले तक तो एकदम चुप होती है और पूरी फिल्म में दबी हुई बॉडी लैंग्वेज के सहारे कबीर की ज्यादातर हरकतें बर्दाश्त कर जाती है.

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देखा जाए तो फिल्मों में अक्सर वही कैरेक्टर्स लोकप्रिय और दिलचस्प हो पाते हैं जिनकी पर्सनैलिटी थ्रिल पैदा करती हो और जिनकी जिंदगियों में घनघोर कॉन्फ्लिक्ट हो यानि काफी द्वन्द हो. यही कारण है कि पद्मावत में रणवीर सिंह, तेरे नाम में सलमान, रमन राघव में नवाजु्द्दीन, डर में शाहरूख, गैंग्स ऑफ वासेपुर में मनोज वाजपेई जैसे कलाकारों को दूसरे किरदारों के मुकाबले अधिक लोकप्रियता मिलती है. फिल्म के कलेक्शन में बढ़ोतरी से बात साफ होती है कि कबीर सिंह के किरदार को दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है. हालांकि लाख बुराईयों के बावजूद कबीर सिंह के रवैये में अजीब सी ईमानदारी की झलक देखने को मिलता है जिसके चलते इस किरदार को कई लोग पसंद भी कर रहे हैं.

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हालांकि कबीर सिंह जैसी फिल्मों को लेकर आक्रोश इसलिए उपजता है क्योंकि वो एक सभ्य सोसाइटी का शख़्स है जिसकी हरकतों को स्क्रीन के अंदर और बाहर दोनों जगह जायज ठहराया जाता है. ऐसी ही समस्या फिल्म फाइट क्लब में ब्रैड पिट और एडवर्ड नोर्टन जैसे कैरेक्टर्स झेल चुके हैं. फिल्म को यूं तो आज भी सिनेफाइल्स के बीच कल्ट समझा जाता है लेकिन कई एलिटिस्ट्स समीक्षकों ने फिल्म को किरदारों की  सोच और नजरिए को काफी खतरनाक बताया था. इस फिल्म का लीड कैरेक्टर भी सभ्य समाज का एक आम नागरिक होता है. हालांकि फाइट क्लब का स्तर कबीर सिंह से कहीं ज्यादा है.

इस तमाम विवाद पर शाहिद कपूर की राय चौंकाने वाली है. वे मानते हैं कि कि सोशल मीडिया पर इस तरह की आलोचना 1-2 महीने होगी और वे इन सबको पीछे छोड़ बिग पिक्चर के बारे में सोच रहे हैं. हालांकि ये साफ है कि नेगेटिव हो या पॉजिटिव, किसी भी तरह की पब्लिसिटी फिल्मों के लिए बेहतर ही साबित होती है और ऐसा ही कबीर सिंह के साथ भी हुआ है जो 5 दिनों में ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है.

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