पटियाला हाउस एक मांसल फिल्म है. कदमकदम पर भांगड़ा और ठुमके, कूकतीसी आवाजों में गाने, भव्य पोशाकें,लंदन के शानदार आउटडोर और बड़े सितारे. इस फिल्म में नहीं है तो वह है एक अदद रीढ़."/> पटियाला हाउस एक मांसल फिल्म है. कदमकदम पर भांगड़ा और ठुमके, कूकतीसी आवाजों में गाने, भव्य पोशाकें,लंदन के शानदार आउटडोर और बड़े सितारे. इस फिल्म में नहीं है तो वह है एक अदद रीढ़."/> पटियाला हाउस एक मांसल फिल्म है. कदमकदम पर भांगड़ा और ठुमके, कूकतीसी आवाजों में गाने, भव्य पोशाकें,लंदन के शानदार आउटडोर और बड़े सितारे. इस फिल्म में नहीं है तो वह है एक अदद रीढ़."/>
 

पटियाला हाऊस, सपाट-सा गट्टू

निर्देशकः निखिल आडवाणीकलाकारः अक्षय कुमार, अनुष्का शर्मा, ऋषि कपूर, डिंपल कापडियापटियाला हाउस एक मांसल फिल्म है. कदमकदम पर भांगड़ा और ठुमके, कूकतीसी आवाजों में गाने, भव्य पोशाकें,लंदन के शानदार आउटडोर और बड़े सितारे. इस फिल्म में नहीं है तो वह है एक अदद रीढ़.

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निर्देशकः निखिल आडवाणी
कलाकारः अक्षय कुमार, अनुष्का शर्मा, ऋषि कपूर, डिंपल कापडिया
पटियाला हाउस एक मांसल फिल्म है. कदमकदम पर भांगड़ा और ठुमके, कूकतीसी आवाजों में गाने, भव्य पोशाकें,लंदन के शानदार आउटडोर और बड़े सितारे. इस फिल्म में नहीं है तो वह है एक अदद रीढ़.
यह फिल्म एक रेल की तरह बस गुजरती जाती है. जज्‍बाती तौर पर दर्शक को बस चंद लम्हों के लिए जोड़ती है वह भी ऐन आखिर में जाकर.
निखिल आडवाणी पहुंच वाले फिल्मकार होने के बावजूद कहानी कहने की कोई बहुत भरोसे लायक तरकीब नहीं खोज पाए हैं. लंदन में पंजाबी बस्ती साउथॉल के 'सरपंच' बेहद लाउड बाउजी (ऋषि कपूर) को बेटे गट्‌टू (अक्षय) का इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेलना पसंद नहीं. वजहः अंग्रेजों से हुए उनके नस्ली झगड़े. पड़ोस की सिमरन (अनुष्का) सीन में आती है.
आखिरी सीन में बाउजी गट्‌टू को खेलते देखने बड़े ही प्रत्याशित ढंग से स्टेडियम में पहुंचते हैं. पटियाला हाउस के फेफड़ों में हवा नहीं है. खेल पर लगान और चक दे सरीखी भरोसेमंद और जज्‍बाती फिल्मों की मिसाल सामने होने के बावजूद उसमें बचकानापन ज्‍यादा है. बाउजी हाड़मांस के किरदार से ज्‍यादा शतरंज के हाथी लगते हैं.
इंग्लैंड की टीम में एक ही गेंदबाज कम पड़ता है, जिसके लिए बस गट्‌टूही दावेदार है. वह गेंद नहीं फौलाद फेंकता है. शुद्ध अंग्रेजी टीवी कमेंटेटर एलन विलकिंस से संजय मांजरेकर हिंदी में बात करते हैं. उफ्फ. अक्षय अपनी इमेज के मुकाबले थोड़ा रियलिस्टिक जरूर हैं पर गट्‌टू का किरदार भी सूखा और सपाट है. वे करें भी तो क्या. उम्दा अभिनेत्री के तौर पर उभर रहीं अनुष्का यहां एक लौंग दा लश्कारा भर हैं. पंजाबियत, प्रवासी जिंदगी, क्रिकेट. मसालेबाजी की भी हद है.

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