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Movie Review:भूतनाथ रिटर्न्सः एटरटेनमेंट बिग बी स्टाइल

चेहरा बड़ा प्यारा. किसी बुजुर्ग जैसा. काम भी इतने प्यारे की डर न लगे बल्कि प्यार हो जाए. ऐसा ही भूतनाथ फिर लौट आया है. आइए जानते हैं हम सबका फेवरिट भूतनाथ इस बार क्या हंगामा कर रहा है और क्या है इसकी खासियतः

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भूतनाथ रिटर्न्स में अमिताभ बच्चन
भूतनाथ रिटर्न्स में अमिताभ बच्चन

स्टारः 3.5
कलाकारः अमिताभ बच्चन, पार्थ और बमन ईरानी
डायरेक्टरः नीतेश तिवारी

चेहरा बड़ा प्यारा. किसी बुजुर्ग जैसा. काम भी इतने प्यारे की डर न लगे बल्कि प्यार हो जाए. ऐसा ही भूतनाथ फिर लौट आया है. भूतनाथ ने सिद्ध करने की कोशिश की है कि जिस काम की उम्मीद अब इंसानों से नहीं की जा सकती, उसे पूरा करने के लिए या तो भूत को आना पड़ेगा या फिर किसी एलियन को.

2008 का भूतनाथ 2014 में भी पहले जैसा है. अमिताभ बच्चन के फिल्म में आ जाने से उम्मीदें बढ़ जाती हैं और वे काफी हद तक उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. फिल्म मौजूदा राजनैतिक और सामाजिक माहौल का बखूबी चित्रण करती है. आरक्षण और सत्याग्रह जैसी सब्जेक्ट ओरियंटेड फिल्में देने के बाद फिर से बिग बी विषय आधारित फिल्म ही लेकर आए हैं. फिल्म का एक पक्ष जो थोड़ा अटकता है, वह है संदेश देने वाला. फिल्म की लेंथ भी थोड़ी ज्यादा है. बेशक कुछ भी हो फिल्म मजेदार है.

कहानी में कितना दम
कहानी एक भूत और बच्चे के खट्टे-मीठे सफर पर आधारित है. लेकिन बॉलीवुड के डायरेक्टर सेकंड हाफ आते-आते कहानी पर अपनी पकड़ थोड़ी छोड़ देते हैं, ऐसा ही कुछ भूतनाथ रिटर्न्स के बारे में भी कह सकते हैं. कहानी की शुरुआत एक भूत के संघर्ष से होती है. भूतलैंड में उसकी कोई इज्जत नहीं. उसे भूतों के बीच सम्मान पाने के लिए वापस धरती पर आना पड़ता है, और भूतनाथ की तरह इस बार भी उसे एक बच्चा अखरोट मिल जाता है. भूतनाथ उसे ही नजर आता है. पार्थ की कुछ समस्याएं होती हैं. भूतनाथ उन्हें दूर करने की कोशिश करता है. भाऊ (बमन ईरानी) आ जाता है. फिर चुनाव और पैंतरेबाजी शुरू हो जाती है. कहानी सेकंड हाफ में भूतनाथ से ज्यादा चुनाव पर फोकस हो जाती है. यहां थोड़ा जायका बिगड़ता है.

स्टार अपील
हमेशा की तरह अमिताभ बच्चन लाजवाब हैं. उनकी ऐक्टिंग कमाल है. उनकी कॉमिक टाइमिंग के तो क्या कहने और एनर्जी भी कमाल की है. मजेदार है अखरोट. कही-कहीं यह छोटा-सा बच्चा फिल्म के बड़े-बड़े स्टार्स पर भी भारी पड़ता है. उसका टपोरी अंदाज तो बहुत ही मजेदार है. हमेशा की तरह बमन ईरानी भी कमाल हैं. वे अपनी हर फिल्म में कुछ नया करने की कोशिश करते हैं और हमेशा कुछ इस तरह के विलेन बनते हैं जो डराने के साथ भी हंसाता है, और दिल को छू जाता है.

कमाई की बात
फिल्म इलेक्शन सीजन में रिलीज हुई है और दर्शकों से कनेक्ट करती है. अमिताभ और पार्थ की जुगलबंदी फिल्म की यूएसपी है. हालांकि इस सीक्वल का पिछले पार्ट से ज्यादा कोई लेना-देना नहीं है. कहानी और उसके तेवर एकदम नए हैं. अमिताभ, पार्थ और बमन फिल्म की यूएसपी हैं. फिल्म खूब हंसाती भी है. इस वीकेंड एंटरटेनमेंट के साथ ही कुछ सार्थक संदेश लिए, यह फिल्म देखना बढ़िया है. बोलें तो मस्ती भरा भूतनाथ.

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