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Mahabharat 5 may Update: भीष्म ने ली ब्रह्मचारी बनने की प्रतिज्ञा, कैसे मिला हस्तिनापुर को उत्तराधिकारी?

हस्तिनापुर के राजा शांतनु और गंगा का विवाह हुआ और उनको एक पुत्र हुआ जिसका नाम है देवव्रत. देवव्रत ने सभी दिशाओं और देवी देवताओं को साक्षी मानकर आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली, जिसके बाद वो भीष्म के नाम से जाने गए.

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महाभारत स्टारकास्ट
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दूरदर्शन के बाद अब बी आर चोपड़ा की महाभारत कलर्स चैनल पर शुरू हो गई है. महाभारत को खूब पसंद किया जा रहा है. दूरदर्शन पर जब महाभारत शुरू हुई तो खूब ट्रेंड में रही. महाभारत की शुरुआत हस्तिनापुर से शुरू होती है. मंगलवार को भीष्म पितामाह ने आजीवन ब्रह्मचारी बनने की प्रतिज्ञा ली.

कहानी हस्तिनापुर की

हस्तिनापुर के राजा शांतनु और गंगा का विवाह हुआ और उनको एक पुत्र हुआ जिसका नाम है देवव्रत. देवव्रत ने सभी दिशाओं और देवी देवताओं को साक्षी मानकर आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली, जिसके बाद वो भीष्म के नाम से जाने गए. हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी के लिए शांतनु ने दूसरा विवाह किया सत्यवती से, जिससे उन्हें चित्रांगद और विचित्रवीर्य पुत्र हुए. चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बालकाल में ही राजा शांतनु की मृत्यु हो गई. बड़े होने के बाद चित्रांगद हस्तिनापुर की राज गद्दी में बैठे और गन्धर्वों के साथ युद्ध के दौरान मारे गए. चित्रांगद के बाद हस्तिनापुर के राजा बने सत्यवती के दूसरे पुत्र विचित्रवीर्य.

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भीष्म पहुंचे काशी नरेश के पास

काशी नरेश की पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर हो रहा था तो भीष्म माता सत्यवती के आदेशानुसार वहां पहुंच गए और बलपूर्वक काशी नरेश की तीनों पुत्रियों का हरण कर हस्तिनापुर ले आए. ताकि वहां के राजा विचित्रवीर्य रानी बना सके. तभी अम्बा ने बताया कि वो शौभराज शाल्व को अपना पति मान चुकी हैं लेकिन शौभराज शाल्व ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया. इसीलिए उन्होंने भीष्म से विवाह करने की याचना की लेकिन भीष्म ने इनकार कर दिया और अम्बा क्रोध में आ गई. अम्बा ने कहा कि वो उनकी मौत का कारण बनेगी, ऐसा कहकर वहां से चली गई. अम्बा वही है जिसने शिखण्डी के रूप में पुनर्जन्म लिया.

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राजा विचित्रवीर्य की मृत्यु

हस्तिनापुर में राजा विचित्रवीर्य की अकाल मृत्यु हो गई और माता सत्यवती को हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी इसीलिए उन्होंने अपने जेष्ठ पुत्र महर्षि वेदव्यास को बुलवाया जो बहुत ही ज्ञानी हैं. बता दें कि महर्षि वेदव्यास, पराशर मुनि और सत्यवती के बेटे हैं.

सत्यवती नाव खेने का कार्य करती थी, एक बार पराशर मुनि को उनकी नाव पर बैठकर यमुना पार करना पड़ा. पराशर मुनि सत्यवती से प्रेम करने लगे. उन्होंने कहा-" देवी! मैं तुम्हारे साथ सहवास करना चाहता हूं." सत्यवती ने कहा, "मुनिवर! आप ब्रह्मज्ञानी हैं और मैं निषाद कन्या. हमारा सहवास सम्भव नहीं है." तब पराशर मुनि बोले, "बालिके! तुम चिन्ता मत करो. प्रसूति होने पर भी तुम कुमारी ही रहोगी." इतना कह कर उन्होंने अपने योगबल से चारों ओर घने कुहरे का जाल रच दिया और सत्यवती के साथ भोग किया. समय आने पर सत्यवती के गर्भ से वेद वेदांगों में पारंगत एक पुत्र हुआ जिनका नाम है महर्षि वेदव्यास.

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हस्तिनापुर के तीन उत्तराधिकारी

सत्यवती ने व्यास को अपने ज्ञान और तप से अम्बिका और अम्बालिका को गर्भवती करने को कहती हैं. व्यास अपनी मां की बात को मना नहीं कर पाते और अम्बिका और अम्बालिका को एक एक कर अकेले अपने पास बुलाते हैं. पहले अम्बिका महर्षि व्यास के पास जाती है, अम्बिका महान योगी व्यास के सामने डर जाती है और अपनी आंख बंद कर लेती है. इसके बाद अगले दिन राजकुमारी अंबालिका महर्षि वेद व्यास के पास जाती है. इस दौरान राजकुमारी अंबालिका ने आंखें तो बंद नहीं की, परन्तु वे महर्षि वेदव्यास के तेज के कारण पीली पड़ गई.

इन प्रक्रियाओं के बाद राजमाता सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास से परिणाम पूछे, तब महर्षि वेदव्यास ने बताया कि राजकुमारी अंबिका ने अपनी आंखें बंद कर ली थी, इस कारण उनका पुत्र अंधा होगा और राजकुमारी अंबालिका पीली पड़ गयी थी, इस कारण वो निस्तेज होगा और उसकी आयु अल्प होगी.

इन परिणामों को सुनकर राजमाता सत्यवती दुखी हो गईं, और उन्हें चिंता सताने लगी की हस्तिनापुर के भविष्य की बागडोर किसके हाथों में सौंपी जाए. इस समस्या के चलते महारानी सत्यवती ने अम्बिका को फिर से महर्षि वेदव्यास के पास भेजा, परन्तु अंबिका महर्षि वेदव्यास के सामने जाने का साहस नहीं कर पायी और अपनी जगह अपनी दासी को भेज दिया. वो दासी पूरी हिम्मत और विश्वास के साथ जाती है. इसके बारे में राजमाता सत्यवती के पूछने पर महर्षि वेदव्यास ने बताया कि उनके पास राजकुमारी अंबिका नहीं, बल्कि एक दासी आई थी और उसका बेटा तंदुरुस्त होगा.

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महर्षि वेदव्यास का आशीर्वाद से अम्बिका के गर्भ से जन्मांध यानी जन्म से अंधा धृतराष्ट्र, अम्बालिका के गर्भ से पाण्डू रोग यानी पीलिया से ग्रसित पाण्डू और दासी के गर्भ से धर्मात्मा विदुर का जन्म हुआ.

कौन बैठेगा हस्तिनापुर की राजगद्दी पर?

तीनों राजकुमारों की शिक्षा–दीक्षा भीष्म की निगरानी में हुई. इनमें धृतराष्ट्र बहुत ही शक्तिशाली, पांडू एक अच्छे तीरंदाज और विदुर बहुत ज्ञानी हैं. तीनों में आयु में सबसे बड़े धृतराष्ट्र थे, परन्तु उनके अंधे होने के कारण उन्हें राजा नहीं बनाया गया, इसलिए उनके छोटे भाई राजकुमार पांडू को हस्तिनापुर का महाराज घोषित किया गया और विदुर को राज्य का प्रधानमंत्री बनाया गया.

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