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Krishna 21st May Episode Update: कृष्णा भगवान ने यशोदा को दिखाया अपना विराट रूप

अगर आपसे श्री कृष्णा सीरियल का लेटेस्ट एपिसोड छूट गया है तो चिंता मत कीजिए. आइए हम आपको बताते है कि गुरुवार के एपिसोड में क्या क्या हुआ.

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कृष्णा के रूप में स्वप्नील जोशी
कृष्णा के रूप में स्वप्नील जोशी

रामानंद सागर की रामायण के देश और दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय धारावाहिक की उपाधि पाई. उसी के दर्ज पर अब डी डी नेशनल पर सागर आर्ट्स तले बने सीरियल कृष्णा का प्रसारण हो रहा है. ऐसे में अगर आप से लेटेस्ट एपिसोड छूट गया है तो चिंता मत कीजिए. आइए हम आपको बताते है कि गुरुवार के एपिसोड में क्या क्या हुआ.

कृष्णा के मुंह में दिखा पूरा ब्रह्मांड

यशोदा की सहेलियां कहती हैं कि तेरे कान्हा ने बड़ा मिट्टी का ढेला खाया है. यशोदा, कृष्णा के मुख को अपने आंचल से साफ करती है. सहेलियां यशोदा से बोलती है तू बेचारे को माखन नहीं देती होगी इसलिए उसने मिट्टी को माखन समझ कर खा लिया होगा. कृष्णा यह सुन कर मुस्कराते हैं. यशोदा कृष्णा से कहती है दिखा मुंह अपना कितनी मिट्टी है. खोल मुंह अपना. वहीं कृष्णा बड़े प्यार से कहते है कि मैंने मिट्टी नहीं खाई.

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यशोदा कहती है खोल मुँह अपना तभी कृष्णा अपना मुंह खोलते है और उनके मुंह में सारा ब्रह्मांड दिखाई देता है, जिसे देख यशोदा की आंखें दंग रह जाती है. यहां तक कि यशोदा को अपना और कृष्णा का मुख भी दिखाई देता है. तभी भगवान कृष्णा प्रकट होते है और यशोदा से कहते है कि माया के आवरण से बाहर निकलो और अपनी आत्म रूप में स्थित हो कर हमारी अदभुत लीला देखो.

कृष्णा ने यशोदा का दिखाया अपना विराट रूप

कृष्णा भगवान यशोदा से कहते है कि तुम्हारि पूर्व जन्म में घोर तपस्या के फल से ही तुम्हें हमारे इस विराट स्वरूप के दर्शन हुए है, जो आज तक किसी भी मनुष्य को नहीं हुए. कृष्णा भगवान यशोदा को अपने पूर्व जन्म के नरसिम्हा अवतार के दर्शन कराते है. इसके बाद वो कहते है कि यही सच्चा ज्ञान है जो कि ज्ञान से परे है. यशोदा कृष्णा से कहती है कि हे प्रभु मैं अब तक आप के मोह जाल मैं रह कर आप को अपने पुत्र की पालन और रक्षा कर रही थी. उस भूल के लिए मुझे क्षमा करें. आप मुझे अपनी भक्ति प्रदान करे.

कृष्णा भगवान कहते है कि अब तुम हमें प्राप्त कर सकोगी. यह मां बेटे का खेल ही तुम्हारी आलोकिक लीला है. इस खेल को मां की संपूर्ण भावना के साथ खेलती रहो इसी में तुम्हारा कल्याण होगा. भगवान कृष्णा चले जाते है और उसी वक्त योग माया आती है और यशोदा को जो भगवान से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था उस पर पर्दा डाल देती है, जिससे यशोदा को मिला ज्ञान उनकी आत्मा में ही रहे.

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कृष्णा ने राधा को बताया क्यों यशोदा पर डालनी पड़ी योग माया की माया

कृष्णा भगवान से राधा कहती है कि ये कौन सी माया है जिसे आप ने परम ज्ञान दिया और उस पर योग माया ने प्रदा डाल दिया ये तो अन्याय है. भगवान कृष्णा कहते हैं कि इस में योग माया की कोई गलती नहीं है. यह सभी हमारे इशारों से ही हो रहा है. अगर योग माया ये प्रदा ना डालता तो उनकी पूर्व जन्म की तपस्या का फल कैसे मिलता. वहां प्रदा हटते ही यशोदा भगवान से प्रथना करती है उसके लाल की रक्षा करे उसके मुंह में कोई भूत प्रेत घुस गया है.

गोपियों ने कान्हा को दिया माखन चोर का नाम

कान्हा अपने बड़े भाई दाऊ संग नन्द के द्वार आगंन में खेल रहे हैं. अपने गांव की गलियों में घूम रहे हैं और सभी गोपियां उन्हें एक टक निहार रही हैं. सभी गोपियां कान्हा को पकड़ कर चुम रही हैं. कान्हा का मुख देख सभी गोपियां मोह जाल में फंस गई हैं.

वही कान्हा की कमजोरी गोपियों को पता है. माखन को देख कृष्णा और दाऊ चले जा रहे है और दूर से गोपियां कृष्णा को माखन चुराते हुए देख रही हैं. वहीं पर गोपियां कृष्णा का नए नाम से पुकारती है- माखन चोर. सभी यशोदा के पास आ कर कृष्णा के माखन चोरी के बारे में बता देती हैं. यशोदा कहती हैं कि क्या कहेंगे लोग मां माखन खाने को नहीं देती इसलिए चोरी करते फिर रहा है.

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कान्हा ने पहली मटकी क्यों फोड़ी?

कान्हा और दाऊ घर में आ गए. कान्हा यशोदा से करते हैं कि मैया मुझे भूख लगी है मुझे माखन दो. यशोदा कहती है कि जाओ किसी के घर से चोरी कर के खा लो. कान्हा ने माखन की जिद्द पकड़ ली है तो वही यशोदा ने भी कह दिया कि जब तक माखन चोरी की क्षमा नहीं मानोगे तब तक माखन नहीं मिलेगा. ना कान्हा अपनी बात मानते हैं और न ही यशोदा. कान्हा ने यशोदा को कहा कि में माखन की मटकी फोड़ दूंगा. यशोदा भी कहती है कि फोड़ के दिखा कैसे फोड़ता है देखूं. कान्हा लकड़ी ले कर मटकी फोड़ देते है और खुश हो कर नाचने लगते हैं. वही यशोदा ग़ुस्से से डंडी लेकर कान्हा को मारने दौड़ती हैं. कान्हा आगे-आगे और मैया यशोदा डंडी ले कर पीछे पीछे भाग रही है.

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यशोदा मैया ने कृष्णा को दी सजा और कृष्णा ने दिखाई एक और लीला

कान्हा यशोदा मैया को पूरे आगंन मैं भगाते हैं और बाद में उनके हाथों कान्हा पकड़े जाते हैं. यशोदा उन्हें रस्सी से बांधती हैं और कान्हा को कहती है आज तुझे मजा नहीं चखाया तो मेरा नाम यशोदा नहीं. यशोदा कहती है कि सारा दिन तुझे इस ओखली से बांध कर रखूंगी. और तू धूप में सड़ता रहेगा. जैसे ही यशोदा कान्हा को रस्सी से बांधने जाती है रस्सी छोटी हो जाती है. यशोदा कहती है कि कितना बढ़ा पेट है तेरा.

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यशोदा रस्सी में रस्सी जोड़ती है तो भी वो छोटी हो जाती है .यशोदा फिर रस्सी पर रस्सी जोड़ती है लेकिन कान्हा तो तब भी बांध नहीं पाती है. तभी आकाश से नारद जी कहते है जो तीनों लोक के स्वामी है उसे बांधने चली हैं. नारद जी कहते हैं कि जब तक स्वामी ना चाहें तब तक नही बांध पाएंगी. तभी गांव की गोपियां यशोदा से कहती है कि कितना कठोर दिल है तेरा इस फूल से बालक को बांध रही है. यशोदा कहती है कि बड़ा नटखट हो गया है. तभी कान्हा अपने हाथों से ही अपने आपको बांध देते है और यशोदा मैया कान्हा को ओखली से बांध कर स्नान करने चली जाती हैं.

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जब कृष्णा ने किया नंद कुबेर और मणि कुबेर का उद्धार

कान्हा ओखली से नीचे उतर कर ओखली को दो पेड़ों के बीच फंसा कर पेड़ को गिरा देते है. उस पेड़ में से दो देवता निकलते है जो देवता के कोषाध्यक्ष यश राज कुबेर के पुत्र नंद कुबेर और मणि कुबेर होते हैं. अब कृष्णा भगवान उनका उधार करते हैं. इन दोनों को नारद जी ने श्राप दिया था. असल में एक दिन यह दोनो भाई मंदिरा का सेवन और अपने घमंड में अप्सरा के साथ तालाब मैं नग्न अवस्था में स्नान कर रहे थे. नारद जी वहाँ से गुजर रहे थे और दोनो भाई नारद जी को देख कर भी उन्हें आदर सत्कार नहीं करते. यह देख कर नारद जी क्रोध में उन्हें श्राप देते है तुम दोनो इसी नग्न अवस्था की तरह एक पेड़ की भाती रहोगे तुम वर्षा ऋतु, गर्म और ठंड में ऐसे नग्न ही रहोगे. जब देवता के 100 वर्ष पूरे हो जाएगे तब भगवान कृष्णा ही तुम्हारा उद्धार करेगे.

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