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मनोरंजन

राजकपूर, संगम और यादों के 50 साल...

राजकपूर, संगम और यादों के 50 साल...
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भारतीय सिनेमा के 'रोमांस किंग' राजकपूर और उनकी बनाई सबसे रोमांटिक फिल्‍मों में एक 'संगम' को 50 साल पूरे हो गए हैं. फिल्‍म 1964 में बनी थी और इसमें राजकपूर के साथ वैजयंती माला और राजेन्‍द्र कुमार ने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया था. फिल्‍म की कहानी तीन दोस्‍तों और उनके बीच लव ट्राइएंगल पर आधारित है.
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यह फिल्‍म राजकपूर की बनाई पहली रंगीन फिल्‍म थी. साथ ही इस फिल्‍म को विदेशों में शूटिंग की परंपरा को मुख्‍यधारा में लाने के लिए भी जाना जाता है.
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'संगम' से तीन साल पहले आई थी फिल्म 'आस का पंछी'. इसमें राजेंद्र कुमार मिलिट्री अफसर बने थे. जब वह जंग से लौटे तो उन्होंने पाया कि उनका प्यार, उनके बचपन के दोस्त से शादी कर रहा है. यहां भी लेडी लव बनी थीं वैजयंती माला. 'तुम रूठी रहो, मैं मनाता रहूं' गाना इसी फिल्म में था.
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राज कपूर 40 के दशक में 'संगम' बनाना चाहते थे. तब फिल्म का नाम था 'घरौंदा'. इसमें दिलीप कुमार, नरगिस और राज कपूर रोल करने वाले थे. मगर फिल्म टल गई. जब 1962 में बननी शुरू हुई तो नरगिस सुनील दत्त से शादी कर एक्टिंग को अलविदा कह चुकी थीं. दिलीप कुमार ने कहा, काम तो करूंगा, मगर फिल्म की फाइनल एडिटिंग का राइट मेरे पास होगा. राज को ये गवारा नहीं था. फिर उन्होंने उस रोल के लिए देवआनंद से संपर्क किया. उनके इनकार के बाद ये रोल राजेंद्र कुमार को मिला.
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'संगम' की लंबाई थी 238 मिनट. यह बॉलीवुड के लिहाज से काफी लंबी फिल्‍म थी, इसलिए फिल्म में दो इंटरवल रखे गए थे.
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विदेशी जमीन पर फिल्‍म के हिस्‍सों को शूट किया गया, जिसमें फिल्म के सिनेमैटोग्राफर राधू कर्माकर ने अपना काम बखूबी निभाया. फिर तो चलन बन गया. 'लव इन टोक्यो', 'ईवनिंग इन पैरिस', 'अराउंड द वर्ल्ड' जैसी कई फिल्में विदेश में शूट की गईं.
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पहली मर्तबा ब्रोमैंस को बॉलीवुड में जगह मिली. राज कपूर और राजेंद्र कुमार के किरदार की दोस्ती ऐसी ही थी. एक दूसरे पर जान लुटाने वाले और यहां दोनों ने दोस्ती का दावा ऊंचा करने की खातिर अपना प्यार लुटाया. हालांकि उस औरत से नहीं पूछा गया कि वो क्या चाहती है.
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फिल्म का गाना 'बोल राधा बोल' खासा चर्चित हुआ. अपने मेलोडी के लिए भी और वैजयंती माला के स्विम सूट सीन के लिए भी. वैजयंती माला इसे लेकर सहज नहीं थीं. उनके क्लोज अप शॉट स्विमिंग पूल में फिल्माए गए. जबकि लॉन्ग शॉट के दौरान बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया.
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यह भी पहली दफा ही हुआ कि एक्ट्रेस की आवाज में कुछ डायलॉग गाने के दौरान इस्तेमाल किए गए हों. बाद में 'अमन' फिल्म में सायरा बानो, 'ऐन ईवनिंग इन पैरिस' में शर्मिला टैगोर ने भी ऐसा ही किया.
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'संगम' का गाना 'ये मेरा प्रेमपत्र बढ़कर' भी कल्ट बन गया. ये गाना लिरिसिस्ट हसरत जयपुरी ने अपनी पड़ोसन राधा के लिए लिखा था, मगर अल्हड़ दिनों में वह हिम्मत नहीं कर पाए. राज कपूर को यह गाना याद था. उसे उन्होंने रफी की आवाज में गवाया. आखिर में लता की आवाज में महिला किरदार गाता है.
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'बुड्ढा मिल गया' गाने की भी अलग कहानी है. वैजयंती माला बताती हैं कि इस गाने का डांस दरअसल पैरोडी वाले अंदाज में यूं ही किया गया था. उधर लता मंगेशकर इस गाने को लेकर बहुत असहज थीं. गाने के बाद वह पछताईं. मगर राज इसके इस्तेमाल पर अड़े थे. दोनों में नाराजगी हुई. लता ने राज की अगली फिल्म 'मेरा नाम जोकर में' गाना नहीं गाया. 'बॉबी' के दिनों में सुलह हुई दोनों में.
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राज कपूर ने पहली बार अपनी फिल्म में महेंद्र कपूर को मौका दिया. इसकी भी एक कहानी है. राज और महेंद्र रूस में शो कर रहे थे. राज साहब को महेंद्र का गाना पसंद आया. बोले, तुमसे अपनी फिल्म में गवाऊंगा. महेंद्र बोले, आप भूल जाएंगे. राज कपूर सिगरेट पी रहे थे. उन्होंने फौरन जलती सिगरेट अपने हाथ पर लगा ली. बोले, ये निशान मुझे याद दिलाएगा. 'संगम' शुरू हुई तो राजेंद्र कुमार के हिस्से आए गाने उन्होंने महेंद्र कपूर को दिए. अब तक राजेंद्र कुमार के गाने मोहम्मद रफी गाया करते थे.
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'संगम' के चलते अमर जोड़ी शंकर-जयकिशन के मतभेद भी सामने आ गए. अमीन सयानी ने अपने मशहूर रेटिंग शो 'बिनाका गीत माला' में 'संगम' के दोस्त दोस्त न रहा के ऊपर 'ये मेरा प्रेमपत्र पढ़कर' को रखा. 'दोस्त दोस्त' को शंकर के आग्रह पर शैलेंद्र ने लिखा था. उधर 'प्रेम पत्र' हसरत जयपुरी और जयकिशन की जोड़ी का कमाल था.
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बाद में शंकर ने इल्जाम लगाया कि जयकिशन ने उसके विश्वास को तोड़ा है. शंकर के मुताबिक दोनों अलग-अलग गानों की धुन कंपोज किया करते थे, मगर दुनिया के सामने हमेशा जोड़ी के रूप में ही सामने आए. कभी नहीं बताया कि किसका कौन सा गाना है. मगर जयकिशन ने दुनिया को बता दिया.
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