देश में इस वक्त कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा दिया गया है. लोग घर में रहने को मजबूर हैं. कहां पहले लोग काम से घर जाने को तरसते थे वहीं अब घर पर रहते रहते घुटन महसूस करने लगे हैं. बॉलीवुड फिल्मों में भी इस तरह का सीन फिल्माया जा चुका है जिसमें एक कमरे और एक घर के अंदर कैद होने के डरावने एहसास को दिखाया गया है. लेकिन कुछ ऐसी भी फिल्में हैं जिनमें एक घर के अंदर महीनों तक बंद रहना परेशानी नहीं बल्कि वरदान बना है.
ट्रैप्ड
राजकुमार राव की जबरदस्त एक्टिंग से सजी इस फिल्म के नाम से ही साफ जाहिर है कि कोई किसी जाल में फंस गया है.
फिल्म एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अपने ही नए फ्लैट के अंदर फंस जाता है. उसका फ्लैट बहुत ऊपर है इसलिए उसकी आवाज कोई नहीं सुन पाता. उसके पास खाने पीने के नाम पर सिवाय एक बोतल पानी के और कुछ नहीं होता. काफी कोशिश करने के बावजूद वह निकल नहीं पता है. लेकिन एक दिन बालकनी पर लगे ग्रिल को तोड़कर वह निकल जाता है.
फोबिया
फिल्म एक लड़की महक देओ (राधिका आप्टे) के इर्द गिर्द घूमती है जो एक हादसे के बाद लोगों से मिलना जुलना, भीड़ में जाना पसंद नहीं करती. वह एक तरह की मानसिक बीमारी अग्रोफोबिया से ग्रसित हो जाती है. ठीक होने के लिए वह कुछ दिन अकेले रहने का फैसला करती है.
अब जिस घर में वह रहती है वहां से कभी वह बाहर नहीं निकलती है. धीरे धीरे उसे ऐसा लगने लगता है कि कोई उसके कमरे में है. वह पागलों कि तरह उसे ढूंढ़ती है. अकेलेपन में वह खो जाती है. बाद में पता चलता है कि वह असल में अपना ही भविष्य देख रही थी. उसमें ऐसी शक्ति है जो आने वाली घटना को देख सकती है.
पीहू
दो साल की एक बच्ची (पीहू)अपने ही घर में अपनी मरी हुई मां के साथ फंस जाती है. उसके पापा को इस बात की भनक नहीं होती कि उसकी पत्नी ने सुसाइड कर लिया है और वह कोलकाता कॉन्फ्रेंस के लिए निकल जाता है. इस दौरान पीहू काफी डरावने और दर्दनाक चीजों से गुजरती है.
वह गर्म इस्त्री से जल जाती है, इलेक्ट्रिक शॉक भी लगता है उसे, एक बार को तो अपनी गुड़िया बचाने के लिए बालकनी से नीचे आने लगती है. खुशकिस्मती से एक पड़ोसन उसे ऐसा करने से रोक लेती है. पीहू को नहीं पता होता कि उसकी मां मर चुकी है इसलिए रोती नहीं है. जिस कारण उनके पड़ोसियों को भी पीहू के अंदर फंसे होने का अंदाजा नहीं लगता है.
मर्डर 3
फिल्म में हीरो (विक्रम) की गर्लफ्रेंड (रोशनी) अचानक गायब हो जाती है. दरअसल वह एक सीक्रेट रूम में फंस जाती है जिसका पता किसी को नहीं खुद विक्रम को भी नहीं है. बाद में हीरो की नई गर्लफ्रेंड (निशा) को रोशनी का पता चल जाता है. वह उसे निकालती है लेकिन रोशनी निशा को अंदर फंसा देती है. विक्रम को रोशनी के वापस आने का पता चल जाता है लेकिन वह निशा को ढूंढ नहीं पाता.
हाउस अरेस्ट
इस फिल्म में एक इंसान (करण) खुद को अपने घर में बंद रखता है. वह अपने घर की दहलीज कभी नहीं पार करता है. हालांकि लोग उसके घर आ सकते हैं. एक दिन एक रिपोर्टर आती है और करण से उसके घर में बंद रहने का एक्सपीरियंस पूछती है. करण अपना शानदार अनुभव बताता है. धीरे धीरे उसे उस रिपोर्टर से प्यार हो जाता है और वह उसे रोकने के लिए आखिरकार बाहर निकलता है.
PHOTOS: Film Production House