कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विकी कौशल और शोभिता धूलिपाला
अनुराग कश्यप ने बॉम्बे वैलवेट के बाद रमन राघव के साथ बतौर डायरेक्टर दस्तक दी है. उन्होंने जैसा खुद ही कहा था कि बॉम्बे वैलवेट ने उन्हें डुबोया था तो रमन राघव 2.0 उन्हें पार लगाएगी. शायद उनका कहना सही था क्योंकि इस बार वे स्टार पर नहीं बल्कि कलाकार पर भरोसा करने जा रहे थे. बॉम्बे वैलवेट जहां रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा जैसे बड़े स्टार्स के कंधों पर टिकी फिल्म थी और बड़े बजट की फिल्म थी, लेकिन अनुराग तो ठहरे ऐक्टरों के डायरेक्टर, इसलिए फिल्म वे बॉक्स ऑफिस पर पस्त हो गई थी. इस बार वे अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आए और एक डार्क थ्रिलर के साथ थे. बॉम्बे वैलवेट में जहां सेट्स पर दांव लगाया था, वहीं रमन राघव में अनुराग ने मुंबई और उसके स्लम को अपना विषय बनाया है.
उन्होंने भरोसा अपने जांचे-परखे नवाजुद्दीन सिद्दीकी पर किया और नवाज ने सिद्ध कर दिया कि बात ऐक्टिंग की हो तो उनका सानी ढूंढना मुश्किल हो जाता है. फिल्म को देखने के बाद यही बात समझ आती है कि यह फिल्म अनुराग की नहीं बल्कि नवाजुद्दीन की है. बेशक फिल्म के डायरेक्टर अनुराग ही हैं, और उन्होंने इस कैरेक्टर को गढ़ा है लेकिन यह नवाज ही हैं जिन्होंने मस्ती के लिए कत्ल करने वाले रमन्ना को परदे पर जिंदा कर दिया है. वैसे उड़ता पंजाब के बाद रमन राघव 2.0 देखते हुए उड़दी मुंबई की झलक भी देखी जा सकती है.
यह फिल्म 1960 के दशक के साइकोपैथ सीरियल किलर रमन राघव पर आधारित है जिसने लगभग 41 लोगों का कत्ल किया था. कहानी को मौजूदा दौर में रचा गया है. रमन्ना (नवाजुद्दीन) एक साइकोपैथ किलर है और वह मजे के लिए कत्ल करता है. वह पुलिस के पास जाकर नौ कत्लों की जिम्मेदारी लेता है लेकिन कोई उस पर यकीन नहीं करता है. पुलिस थाने में नवाज जो कत्ल करने का सीन खींचते हैं, वह वाकई यादगार है. वैसे भी जितने नेचुरल ढंग से नवाज ने रमन्ना के किरदार को उकेरा है उतने ही नेचुरल ढंग से रमन्ना लोगों का कत्ल करता है. फिल्म में एक पुलिस अधिकारी राघवन (विकी कौशल) है जो नशे का शिकार है और एक लड़की सिमी (शोभिता धूलिपाला) के साथ रहता है. उधर, रमन्ना कत्ल करने में लगा रहता है तो वहीं राघव उसे पकड़ने की कोशिश करता नजर आता है और पुलिस अधिकारी अपने नशे तथा गर्लफ्रेंड के साथ उलझता रहता है. कहानी के नाम पर एक सीरियल किलर, उसके कत्ल और नशे का शिकार पुलिस अधिकारी है. फिल्म की कहानी काफी खींची गई है और पूरी फिल्म बहुत स्लो चलती है. इंटरवेल के बात फिल्म थोड़ी ढीली भी पड़ जाती है. कत्ल के सीन की ड्यूरेशन थोड़ी कम हो सकती थी. अगर विकी और सिमी की कैमिस्ट्री को थोड़ा समेटा गया होता तो फिल्म की धार और पैनी हो जाती है.
यह फिल्म सिर्फ एक ही शख्स के कंधों पर है और वह नवाजुद्दीन हैं. एक साइकोपैथ किलर किस तरह का हो सकता है उसे लेकर नवाज ने सिल्वरस्क्रीन पर ऐसी मिसाल कायम कर दी है, जिस तक पहुंचना आने वाले समय में काफी मुश्किल होगा. उनका बोलने का अंदाज, भावशून्यता और कत्ल करने का तरीका देखकर मुंह से यही निकलता है कि एक्टिंग इसे ही कहते हैं. विकी कौशल और शोभिता ने भी अच्छी ऐक्टिंग की है. वैसे भी फिल्म में हर वक्त अगर किसी का इंतजार रहता है तो रमन्ना ही है. फिल्म का बजट लगभग चार करोड़ रु. बताया जाता है. इस तरह फिल्म घाटे में तो नहीं रहने वाली.
नवाजुद्दीन ने फिल्म रिलीज से पहले ही कह दिया था कि यह फिल्म उनके लिए मानसिक रूप से बहुत ज्यादा थकाने वाली थी. इस बात को उनके इस संवाद से बखूबी समझा भी जा सकता है, 'अपुन तो क्या न है साब पैदा ही निशाचर हुआ है. हमका बाप अपुन को लोमड़ी बोलता था.. बोलता है रात में मेरा आंख चमकने लगता है...' और नवाज को लेकर यही कहने का मन करता है, 'दूर दूर तक कोई न...तू ऐसा सच्चा बेहूदा.'