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Ek Villain Returns Review: जॉन अब्राहम-अर्जुन कपूर की फिल्म देखने के बाद बोलोगे- 'अरे कहना क्या चाहते हो?'

'एक विलेन रिटर्न्स' एक ऐसी सीरियल किलर थ्रिलर फिल्म है, जिसमें मेकर्स कॉमन सेंस डालना भूल गए. ये फिल्म दर्शकों के मन में टेंशन और दिलचस्पी जगाने की कोशिश करती है. लेकिन खराब और अटपटे सीन्स के चलते आप इसपर हंस भी नहीं पाते, बल्कि अपना माथा पीटते हैं. पढ़िए हमारा पूरा रिव्यू.

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एक विलेन रिटर्न्स के पोस्टर में जॉन अब्राहम, दिशा पाटनी, अर्जुन कपूर, तारा सुतारिया
एक विलेन रिटर्न्स के पोस्टर में जॉन अब्राहम, दिशा पाटनी, अर्जुन कपूर, तारा सुतारिया
फिल्म: एक विलेन रिटर्न्स
1.5/5
  • कलाकार : जॉन अब्राहम, दिशा पाटनी, अर्जुन कपूर, तारा सुतारिया
  • निर्देशक :मोहित सूरी

ओरिजिनल फिल्मों के अच्छे सीक्वल्स की निशानी होती है कि वह अपने आप में अलग होने के बावजूद पिछली कहानी के और आगे बढ़ने की फीलिंग देते हैं. डायरेक्टर मोहित सूरी ने फिल्म 'एक विलेन रिटर्न्स' के साथ ऐसा ही करने की कोशिश की है, लेकिन बुरी तरह फेल हो गए. खराब राइटिंग, बेकार एक्टिंग और फालतू की कहानी, ये सबकुछ 2014 में आई 'एक विलेन' के इस सीक्वल में है. 

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ये एक ऐसी सीरियल किलर थ्रिलर फिल्म है, जिसमें मेकर्स कॉमन सेंस डालना भूल गए. ये फिल्म दर्शकों के मन में टेंशन और दिलचस्पी जगाने की कोशिश करती है. लेकिन खराब और अटपटे सीन्स के चलते आप इसपर हंस भी नहीं पाते, बल्कि अपना माथा पीटते हैं. फिल्म के डायलॉग सुनकर लगता है कि उन्हें 80 के जमाने की किसी बॉलीवुड फिल्म से उठाया गया है.

कैसे होती है शुरुआत 

फिल्म की शुरुआत एक हाई क्लास अपार्टमेंट की पार्टी में हुए खतरनाक मर्डर से होती है. इसके बाद अपार्टमेंट की मालकिन आरवी (तारा सुतरिया) गायब हो जाती है. फिल्म की कहानी आज के दिन और तीन महीने पहले और छह महीने पहले के ट्रैक को दिखाने में काफी आगे-पीछे होती है. इसमें दो लड़के हैं- एक है बिजनेसमैन गौतम मेहरा (अर्जुन कपूर) और दूसरा भैरव पुरोहित (जॉन अब्राहम).

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गौतम अपनी एक्स की शादी में घुसकर हंगामा करता है और उसका वीडियो आरवी बना लेती है. आरवी इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है और गौतम का मजाक बनने लगता है. गौतम इस बात को थोड़ा ज्यादा दिल पर ले लेता है और आरवी का पीछा करना शुरू कर देता है. दोनों म्यूजिक फेस्टिवल में मिलते हैं और फिर वो आरवी का सिंगिंग करियर बेहतर बनाने में मदद का वादा करता है. फिर दोनों को प्यार हो जाता है.

दूसरी तरफ भैरव पुरोहित एक जू कीपर, पार्ट टाइम कैब ड्राइवर और शॉपिंग का शौकीन है. वो रोज रसिका मापुस्कर (दिशा पाटनी) से एक शर्ट खरीदता है. इसके बाद दोनों प्यार में पड़ जाते हैं. दोनों लड़को में जो एक बात कॉमन है, वो है लड़कियों का पीछा करने की आदत.

इन प्रेम कहानियों के बीच शहर में यंग लड़कियों के मर्डर भी हो रहे हैं. कोई अनजान सीरियल किलर है जो लड़कियों को मारकर प्यार में हारे लड़कों का मसीहा बनने की कोशिश में लगा हुआ है. इसी के चलते इन चारों किरदारों की कहानी एक साथ उलझ जाती है और फिल्म में कुछ दिलचस्प ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं. अब यह बात दर्शकों को देखनी है कि कौन हीरो है और कौन विलेन.    

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कैसी है परफॉरमेंस? 

परफॉरमेंस की बात करें तो अर्जुन कपूर का काम ठिकठाक है. दिशा पाटनी ने अपने किरदार में अच्छा काम किया है. तारा सुतारिया अपनी खूबसूरती और टोंड फिगर को फ्लॉन्ट कर रही हैं तो जॉन अब्राहम अपनी '46 की छाती' को. ये फिल्म ड्रामा और मेलोड्रामा के बीच झूलती है, जो इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. इसके गाने भी कुछ खास नहीं हैं. डायलॉग्स की तो बात ना ही की जाए तो अच्छा है. क्योंकि फिल्म में 'मैं हीरो, तू विलेन', 'तू विलेन, मैं हीरो' ही चल रहा है. कुल मिलाकर मोहित सूरी की यह फिल्म बोरिंग है.

 

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