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कभी क्लास बंक कर नुक्कड़ पर पान बनाते थे संजय मिश्रा, आज हैं बड़े कैरेक्टर एक्टर

ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस तरह के सपोर्टिंग रोल्स संजय मिश्रा फिल्मों में दशकों से करते आए थे. उसी रोल को उन्होंने अपनी पिछली मूवी कामयाब में लीड रोल के तौर पर पेश किया और देशभर के प्रशंसकों से वाहवाही लूटी.

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संजय मिश्रा
संजय मिश्रा

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में चरित्र कलाकारों की भूमिका उस समय से रही है जबसे फिल्मों की शुरुआत हुई. हमेशा से फिल्मों के लीड एक्टर के इर्द-गिर्द घूमते कुछ ऐसे चेहरे रहे हैं जो फिल्म में एक अहमियत तो रखते ही हैं साथ ही उनका ढेर सारा प्यार भी पाते हैं. कैरेक्टर एक्टर्स की यूं तो बॉलीवुड में कमी नहीं है मगर मौजूदा समय में अगर कोई इसका सबसे बड़ा चेहरा है तो निसंदेह वो नाम है संजय मिश्रा. संजय मिश्रा वो नाम हैं जिन्होंने एक साधारण से दिखने वाले कैरेक्टर रोल्स को अपने अभिनय के हुनर से लीड एक्टिंग के समक्ष लाकर खड़ा कर दिया और नई परिभाषा दी.

ताज्जुब की बात तो ये है कि जिस तरह के सपोर्टिंग रोल्स वे फिल्मों में दशकों से करते आए थे उसी रोल को उन्होंने अपनी पिछली मूवी कामयाब में लीड रोल के तौर पर पेश किया और देशभर के प्रशंसकों से वाहवाही लूटी. साधारण से दिखने वाले संजय मिश्रा की कैसी रही है पर्सनल लाइफ आइए उनके जन्मदिन पर जानते हैं.

संजय मिश्रा का जन्म 6 अक्टूबर 1963 को बिहार के दरभंगा में हुआ. बचपन में संजय मिश्रा बड़े शरारती थे और उन्हें पढ़ना-लिखना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था. वे घर से स्कूल के लिए निकलते थे मगर रोज कोई ना कोई बहाना बना कर वापस आ जाते थे. एक बार वे स्कूल से बंक मार कर पान बना रहे थे उनकी दादी ने उन्हें देख लिया. उन्होंने संजय मिश्रा को तो डांटा ही साथ ही उन्होंने पान वाले की भी क्लास लगा दी और उसकी गुमटी उस जगह से हटवा दी. इसी तरह वे हमेशा क्लास में बंक मारा करते थे.

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संजय मिश्रा ने अपने जीवन में ये बहुत पहले ही तय कर लिया था कि उन्हें कोई कुछ नहीं सिखाएगा. वे खुद अपने आप से सीखेंगे जो कुछ भी सीखेंगे. इसलिए पढ़ाई तो क्या नौकरी में भी उनका मन नहीं लगा. यहां तक कि एनएसडी से भी उन्हें उनके रवैये के चलते निकाल दिया गया था. एक वक्त ऐसा भी था जब संजय मिश्रा के पिता उनसे काफी नाउम्मीद हो गए थे. फिर ऐसा वक्त आया जब संजय मिश्रा को फिल्मों में काम मिलने लगा. मगर बहुत लंबा वक्त लगा संजय मिश्रा को इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने के लिए. 

आंखों देखी के बाद बदली किस्मत

जैसे कि एक कहावत मशहूर है कि ''देर आए दुरुस्त आए''. ऐसा ही संजय मिश्रा के संदर्भ में कहा जा सकता है. संजय मिश्रा ने साल 1995 में फिल्म ओ डॉर्लिंग ये है इंडिया फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की. उसके बाद वे वजूद, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, अलबेला, साथिया, चरस, गोलमाल, टशन, सी कंपनी और फंस गए रे ओबामा जैसी फिल्मों में काम किया. मगर उन्हें असली पहचान मिली फिल्म आंखों देखी से. इसके बाद से उन्हें जाना जाने लगा. अंग्रेजी में कहते हैं, कड़वी हवा, अनारकली ऑफ आरह, मसान, न्यूटन, कामयाब, तानाजी, जबरिया जोड़ी समेत कई सारी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. इन फिल्मों में संजय मिश्रा की एक्टिंग को खूब पसंद किया गया है. 

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