बॉलीवुड के टॉप गीतकार जावेद अख्तर ने ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई थी. गीतकार ने कहा था कि पाकिस्तान जाने से अच्छा नरक में जाना होगा. लेकिन जावेद और पाकिस्तान के बीच की ये अनबन आज की कोई नई बात नहीं है. साल 2010 में PoK में आई बाढ़ के चलते एक रिलीफ फंड का आइडिया सोचा गया था. उन दिनों फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का कलर प्रिंट रिलीज हुआ था. इस फिल्म का प्रीमियर पाकिस्तान के शहरों में करवाने और भारत-पाक के सितारों के साथ मिलकर प्रोग्राम करवाने का प्लान बनाया था. हालांकि फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसका जवाब आजतक जावेद अख्तर को नहीं मिला है.
जावेद अख्तर को वीजा देने से कहा न
द लल्लनटॉप संग बातचीत में जावेद अख्तर ने बताया, 'मुगल-ए-आजम का कलर प्रिंट आया था. के आसिफ (डायरेक्टर) के बेटे हैं, अकबर आसिफ, लंदन में रहते हैं. बड़े जबरदस्त आदमी हैं. बड़ी अजीब पर्सनैलिटी है उनकी, बाप जैसी. पीओके में बहुत बड़ी बाढ़ आई थी. वहां बहुत लोग बर्बाद हो गए थे. तो देखिए उसने (अकबर आसिफ) कहा कि देखिए साहब ये हमारे फादर की फिल्म है, इंडिया में तो रिलीज हो ही रही है. हम आपका प्रीमियर वहां भी करते हैं. लाहौर, कराची और इस्लामाबाद, तीन प्रीमियर करवाते हैं. हिंदुस्तान से हम एक रिक्वेस्ट करेंगे कि एक बड़ी टीम आए और 24 घंटे पीटीवी पर प्रोग्राम करें पाकिस्तानी आर्टिस्ट के साथ और जो भी पैसा हो वो उस बाढ़ के लिए दिया जाए.'
उन्होंने आगे बताया, 'हमारे आर्टिस्ट से बात की तो सब तैयार हो गए. श्रीदेवी, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित... लंबी लिस्ट थी. और मुझे वहां पर, बॉम्बे फिल्म इंडस्ट्री में लीडर बनाया गया कि ये इस डेलिगेशन को लीड करेंगे. मेरे समेत 21 आदमी थे और ये सारे जाने-माने स्टार थे. मैंने कहा कि भई ठीक है, चले जाएंगे. अच्छी बात है, अच्छा कॉज है. कहीं भी इंसान मुसीबत में है मदद करो. तो हमारा आदमी गया, दो दिन बाद हमें जाना था. उन्होंने 20 वीजा दिए. तो हमारे आदमी ने कहा कि जावेद साहब का वीजा कहां है? तो वो (पाकिस्तानी दूतावास) बोले- नहीं, वो नहीं. पूछा क्यों नहीं, तो वो बोले- उसका हमारे पास कोई जवाब नहीं है. वो वापस आ गया.'
'अब ये (अकबर) के आसिफ का बेटा था, वो तगड़ा आदमी है. उसने फोन किया और कहा- देखिए, जो हमारा लीडर है डेलिगेशन का, अगर आप उसी को वीजा नहीं देंगे तो मैं सब कैंसिल कर दूंगा. और उस आदमी से तब तक मेरी मुलाकात नहीं हुई थी. उसने 8 घंटे इंतजार किया. उसने डेडलाइन दी थी कि इतना ही इंतजार करूंगा. उस जमाने में दिल्ली में जो हाई कमिश्नर थे, उन्हें मैंने फोन किया था और पूछा कि क्या बात है आप लोग मुझे वीजा नहीं दे रहे? तो उन्होंने कहा- ऐसा कैसे हो सकता है, मैं आपको अभी आधे घंटे में फोन करता हूं. ये कोई गड़बड़ है, कन्फ्यूजन है. ऐसा हो ही नहीं सकता. उनका फोन वापस नहीं आया मुझे. मैं अभी तक बैठा हूं फोन के पास. फिर उसने (अकबर आसिफ) जो डेडलाइन दी थी, वो खत्म हो गई तो उसने कैंसिल कर दिया सबकुछ.'
फैज मेला में सन्नाटा बिखेर आए थे जावेद
फरवरी 2023 में जावेद अख्तर, फैज मेला में शामिल हुए थे. इस बारे में जावेद अख्तर ने बताया, 'ये तो फैज साहब की बेटियों का इंफ्लुएंस रहा होगा कि मुझे वीजा मिल गया. मैं वहां बैठा था, बहुत अच्छी तरह मिले. ऑटोग्राफ किताबों पर दिए. मैं ऑटोग्राफ देते-देते थक गया. वहां फॉर्मल बातचीत मेरे साथ हो रही थी. 2500 लोगों से हॉल भरा हुआ था. मैं स्टेज पर बैठा था और फैज के नाती गुफ्तगू कर रहे थे और सवाल-जवाब भी चल रहा था. सब अच्छे ही सवाल कर रहे थे. फिर तीसरी-चौथी लाइन में एक मैडम खड़ी हो गईं. कहने लगीं- देखिए आप यहां आए हैं, आपको दो दिन हो गए हैं आए हुए और आप देख रहे हैं हम लोग कितनी अच्छी तरह से आपसे मिल रहे हैं. तो आप लोग हमारे बारे में क्या समझते हैं कि हम बड़े खराब हैं. हम तो खुली बांहों से आपसे मिलते हैं. हमने कोई बॉम्ब तो फेंक नहीं दिया आपके ऊपर, कोई गोली तो चला नहीं दी, तो आप वापस जाकर समझाइए इंडियंस को कि वो जो हमारे बारे में राय रखते हैं वो बहुत गलत है. हम ऐसे नहीं हैं.'
गीतकार ने आगे बताया, 'मैंने कहा- आपके यहां से बड़े-बड़े सिंगर आए. नुसरत (फतेह अली खान), मेहंदी हसन, बड़े गुलाम अली हमारे तो बड़े-बड़े फंक्शन हुए. फैज अहमद फैज जब इंडिया आए थे अटल जी के जमाने, तो अटल जी ने उन्हें ऐसा रिसेप्शन दिलवाया था जैसे कोई हेड ऑफ स्टेट हो. राज भवन में ठहरते थे. सामने लाल बत्ती की गाड़ी चलती है. ऐसी इज्जत उनकी. हर जगह तो उनके फंक्शन हुए. आपके यहां तो लता मंगेशकर का फंक्शन कभी नहीं हुआ. बाकी बचा क्या है आप कह रही हैं कि बॉम्ब नहीं फेंक रहे. मैं मुंबई का रहनेवाला हूं मैंने अपने शहर को जलते देखा है. जिन लोगों ने ये किया वो स्वीडन से तो नहीं आए थे, और वो लोग आज भी आपके शहर में खुले घूम रहे हैं, तो आप मुझे मत बताइए. वहां सन्नाटा पसर गया था. अगले दिन मैं वापस आ रहा था. तो 24 घंटे लगे उन लोगों को समझने में कि ये क्या बोल गया है. फिर वहां हंगामा होने लगा और मैं यहां इंडिया पहुंच गया था.'