दिल्ली में सात लोकसभा सीटों पर 64.77 फीसदी मतदान हुआ. दिल्ली के पिछले लोकसभा चुनाव में 52
फीसदी वोटिंग हुई थी. यानी इस चुनाव में 12 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है. साउथ दिल्ली सीट में 62.67 फीसदी,
नॉर्थ ईस्ट सीट में 67.08 फीसदी, ईस्ट में 65.59, नॉर्थ वेस्ट में 61.38, वेस्ट दिल्ली में 65.64, चांदनी चौक में
66.88 और नई दिल्ली सीट में 65.03 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.
लोकसभा चुनाव के नतीजे से तय होगा दिल्ली विधानसभा का भविष्य
लोकसभा चुनाव के नतीजे ही दिल्ली विधानसभा की भविष्य की स्थिति को तय करेंगे. अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो वह विधानसभा चुनाव के लिए आगे जा सकती है. इस चुनाव से दिल्ली में आम आदमी पार्टी के जनाधार के बारे में पता चल जाएगा.
हाल के दिनों में कयास लगाए जाते रहे हैं कि मध्य वर्ग में उसका जनाधार गिरा है. विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस ने दिल्ली में फिर से अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश की है. दिल्ली के इन तीनों प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और आप ने दावा किया कि वे सभी सात सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. कांग्रेस ने 2009 में सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. भाजपा का पूरा अभियान नरेंद्र मोदी पर केंद्रित था. टिकट के बंटवारे से नाराजगी के कारण शुरूआत में पार्टी के प्रचार अभियान पर असर पड़ा था. मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह और अरूण जेटली जैसे शीर्ष नेताओं ने पार्टी के लिए प्रचार किया.
प्रतिष्ठित नयी दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार माकन ने संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस के उन समर्थकों का समर्थन फिर से हासिल करने का भरोसा जताया जिन्होंने चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का दामन छोड़कर आप का साथ दिया था. केजरीवाल ने तिलक लेन स्थित अपने आवास के पास अपना वोट देने के बाद कहा कि कांग्रेस ने पहले ही अपनी हार स्वीकार कर ली है जबकि भाजपा के नरेंद्र मोदी यह सोच रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री बन गए हैं. केजरीवाल अपनी मां, पिता और पत्नी के साथ वोट डालने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने लोगों से मतदान करने की भी अपील की.