लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे अहम राज्य है. 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य पर हर किसी की नजर है. बीजेपी सभी की सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है तो वहीं विपक्षी पार्टियों की भी अपनी-अपनी दावेदारी है. इस कड़ी में आजतक की टीम समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान के गढ़ रामपुर पहुंची. यहां लोगों से बातचीत कर आगामी लोकसभा चुनाव का मिजाज भांपने की कोशिश की गई.
आजम खान खान यहां से 2019 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. तब उनका मुकाबला बीजेपी की उम्मीदवार और अभिनेत्री जया प्रदा से था. हालांकि 2022 में विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने यह सीट छोड़ दी. इसके बाद उपचुनाव में ये सीट बीजेपी की झोली में चली गई. घनश्याम लोधी इस सीट से सांसद हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताया है और लोकसभा का टिकट दिया है. वहीं अब आजम खान भी जेल में बंद हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में लोगों का मिजाज क्या होता है.
क्या बोले वोटर्स?
इस बीच जब स्थानीय लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अभी चुनावी सरगर्मी कम है लेकिन धीरे-धीरे ये तेज होगी. चुनावी मुद्दे के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुद्दा हर बार की तरह रोजगार का है. आम आदमी को रोजगार चाहिए. वोट करते हुए हमारे दिमाग में यही रहता है कि हमारा वोट सही जगह जाए और इसका फायदा हमें हो, रामपुर को हो. कोशिश यही रहती है कि मेरा वोट ऐसे व्यक्ति को जाए, जो आगे चलकर मेरे काम आए.
एक और युवा वोटर से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जो भी चुनकर आए, हमारे क्षेत्र के लिए काम करे. अभी तो काफी तरक्की हुई है. सड़कों पर काफी काम हुआ है. वर्तमान सांसद अच्छा काम कर रहे हैं. बस ऐसे ही आगे भी अच्छा काम करते रहें. यही उम्मीद करते हैं. आजम खान ने इस क्षेत्र में काफी काम कराया है. इसके बाद स्थानीय विधायक आकाश सक्सेना ने भी यहां काम कराया है. आम आदमी यही चाहता है कि जो भी सत्ता में आए, वो रोजगार पर, लोगों की भलाई पर काम करे. यहां कंपनियां आएं, मॉल आदि भी खोले जाएं ताकि नौकरियां भी बढ़ें.
मौलाना मोहीबुल्लाह को सपा ने बनाया है उम्मीदवार
सपा के उम्मीदवार मौलाना मोहीबुल्लाह नदवी इस दौरान चुनाव प्रचार करते नजर आए. इस दौरान उन्होंने आजतक से बातचीत में बताया कि मैंने स्थानीय लोगों को खूब प्रोत्साहित किया कि भाईचारा बढ़ाएं और अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करें. इसके बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं खुद भी सियासत में हिस्सा लूं. लेकिन मेरे पास इंतजाम ऐसे नहीं थे. लेकिन कुछ महीने पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मेरी मुलाकात हुई तो मैंने उन्हें कुछ सुझाव दिए, जो उन्हें बड़े पसंद आए. उन्होंने कहा कि आपको हमारे साथ आना चाहिए. उन्होंने कहा कि आप रामपुर के हैं और रामपुर में हम किसी को ढूंढ रहे हैं. एक दिन मुझे फोन आया कि अखिलेश यादव चाहते हैं कि मैं रामपुर से चुनाव लड़ूं और नामांकन कराऊं.
उन्होंने कहा कि लोगों को एजुकेशन और मेडिकल में काम चाहिए. लेकिन सबसे पहले एक अच्छा वातावरण होना चाहिए. सबके लिए सकारात्मक सोच होनी चाहिए. एक दूसरे पर विश्वास करना चाहिए. एक दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होना चाहिए. हम सबसे पहले इस वातावरण पर काम करेंगे. हम लोगों में ये सोच पैदा करने की कोशिश करेंगे कि हम लोग एक परिवार है.
बीजेपी ने घनश्याम लोधी पर फिर जताया विश्वास
उधर, बीजेपी के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद घनश्याम लोधी भी लोगों के बीच सभा करते दिखे. इस दौरान उन्होंने लोगों से कहा कि मैं आप लोगों के बीच आपका हाल जानने के लिए घूमता हूं. जब तब लोगों से जान पहचान नहीं होगी तो विकास भी कैसे होगा. इसलिए मैं आपके बीच घूमता हूं. उन्होंने लोगों के बीच नारा दिया, 'केंद्र में मोदी, यहां पर लोधी.'
लोधी ने आजतक से बातचीत में कहा कि पूरा देश मोदीमय है. हमारी पार्टी का लक्ष्य है अबकी बार 400 पार. हमारा पूरा प्रयास है यूपी की सभी 80 सीटें मोदी जी को जिताकर दें. इसी में हमारे सभी कार्यकर्ता लगे हुए हैं. रामपुर की एक ऐसी सीट है जो पहले हॉट सीट कहलाती थी, लेकिन अब ये हॉट सीट नहीं है. जैसे देश में मोदी लहर है, ऐसे ही यहां लोधी लहर है. जो प्रत्याशी हैं, कोई मजहब के लिए वोट दे रहा है तो कोई तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है. रामपुर के लोग अब गुमराह होने वाले नहीं हैं. अब इनके लिए कौन सुख-दुख में काम आएगा, उसे वोट देना है. अब इन्हें ये देखना है कि जो बाहर का प्रत्याशी है वो अच्छा है या अपने बीच वाला अच्छा है.
आजम खान का फर्क पड़ता: वोटर
एक और स्थानीय ने बताया कि आजम खान यहां होते तो चुनाव पर फर्क पड़ता. तब एकता देखने को मिलती लोगों में, लेकिन अब ऐसा नहीं है. उम्मीद है कि इस बार भी बीजेपी जीतेगी. 2019 में आजम खान को लोगों ने खूब वोट दिया है, इसलिए वो जीते थे. अब जो गठबंधन सपा-कांग्रेस ने किया है, उससे बीजेपी को फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन अगर बसपा इस गठबंधन होती तो शायद कोई फर्क पड़ता. क्योंकि रामपुर में कांग्रेस और सपा का वोटर एक ही है.