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Raghopur Election Results 2020: राघोपुर में तेजस्वी की जीत, बीजेपी के सतीश कुमार 38174 वोटों से हारे

Raghopur Election Results, Raghopur Vidhan Sabha seat Counting 2020: इस विधानसभा सीट पर लालू परिवार का वर्चस्व रहा है. यहां से लालू यादव और राबड़ी देवी भी चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी यह सिलसिला जारी रहा और तेजस्वी यादव ने 38174 मतों के भारी अंतर से यह सीट अपने नाम कर लिया है.

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Raghopur Election Results 2020: Tejashwi Yadav
Raghopur Election Results 2020: Tejashwi Yadav

बिहार की सबसे ज्यादा वीआईपी सीटों में शुमार राघोपुर विधानसभा सीट से आरजेडी नेता और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव 38174 मतों के भारी अंतर से यह सीट अपने नाम कर लिया. उन्होंने बीजेपी के सतीश कुमार को मात दी. तेजस्वी के लिए लोजपा उम्मीदवार राकेश रौशन का चुनावी मैदान में होना भी फायदेमंद रहा. लोजपा के राकेश रौशन को इस चुनाव में करीब 25 हजार वोट हासिल हुए.

बता दें कि इस विधानसभा सीट पर लालू परिवार का वर्चस्व रहा है. यहां से लालू यादव और राबड़ी देवी भी चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी यह सिलसिला जारी रहा और तेजस्वी यादव ने शानदार जीत दर्ज की.

मुख्य उम्मीदवारों को मिले वोट

  • आरजेडी - तेजस्वी प्रसाद यादव - 97404
  • बीजेपी - सतीश कुमार - 59230
  • एलजेपी - राकेश रौशन - 24947
राघोपुर विधानसभा के नतीजे

राजद का गढ़ माना जाने वाले राघोपुर में लालू परिवार का एकतरफा राज रहा है लेकिन 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हरा दिया था. वही सतीश कुमार जो 2015 के चुनाव में जेडीयू छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे और जिन्हें तेजस्वी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी. दरअसल, जेडीयू के नेता रहे सतीश कुमार को जब अपने क्षेत्र से पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था. हालांकि, इस बार वो बीजेपी में थे और जेडीयू उनकी सहयोगी पार्टी थे. इसके बाद भी वो जीत नहीं सके. 

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राजनीतिक पृष्ठभूमि
राघोपुर विधानसभा सीट पर अभी तक 20 बार विधानसभा और विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं. इस सीट पर लालू परिवार का दबदबा रहा है. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस उम्मीदवार को 1972 में जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद से आज तक इस सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी है. वहीं उदय नरायण राय ने तीन अलग अलग पार्टियों से यहां से विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. उदय नारायण राय वहीं नेता थे जिन्होंने 1995 में अपनी ये सीट लालू यादव को सौंप दी थी और उन्हें यहां से चुनाव लड़ने को कहा था. 

इसके बाद लालू यादव जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते, लेकिन इसके बाद उन्हें चारा घोटाला मामाले में जेल जाना पड़ा. लालू के जेल जाने के बाद इस सीट से उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उदय नारायण के अलावा राबड़ी देवी को ही यहां से तीन बार जीत मिल सकी है. 

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लालू यादव दो बार 1995 और 2000 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं. वहीं राबड़ी देवी 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में चुनावी मैदान में उतरीं जिसमें उन्हें 2010 में जेडीयू के सतीश कुमार के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 1995 के बाद यह पहला मौका था जब लालू परिवार के वर्चस्व में कोई दूसरी पार्टी सेंध लगाने में सफल रही थी. हालांकि इसके बाद 2015 के चुनावों में यह सीट सबसे वीआईपी सीट रही, क्योंकि यहां से महागठबंधन के सबसे बड़े नेताओं में से एक तेजस्वी यादव ने चुनाव लड़ा और बीजेपी के सतीश यादव को हराया.

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समाजिक ताना-बाना
डेढ़ दशक तक लालू यादव और राबड़ी देवी के नाम से चर्चित रहा ये इलाका इस बार भी विधानसभा चुनाव में वीआईपी सीटों में शुमार है. यहां सबसे बड़ा वोट बैंक यादवों का है और दूसरे नंबर पर यहां रघुवंशी हैं.

2015 का जनादेश
2015 में महागठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को 91236 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं उनके विरोधी सतीश कुमार को 68503 लोगों ने वोट किया था. तेजस्वी को 48.15 फीसदी वोट मिले थे, वहीं सतीश कुमार के खाते में करीब 37 फीसदी वोट गिरे थे.

    तेजस्वी का रिपोर्ट कार्ड
    बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहले बार 2015 में विधानसभा का चुनाव लड़े और इसमें उन्हें जीत मिली. वो उपमुख्यमंत्री रहते हुए पथ निर्माण मंत्री, भवन निर्माण और पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में भी मंत्री रहे. इसके अलावा वो बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता भी रहे.

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