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रावण से लेकर रक्षक तक... अनंत के लिए बैटिंग कर रहे ललन सिंह का मोकामा में कितना इम्पैक्ट?

मोकामा पहुंचकर ललन सिंह ने जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह का खुलकर बचाव किया. एक तरह से उन्हें क्लीन चिट ही दे दी है. इस दौरान उनका एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वो कुछ नेताओं को वोटिंग के दिन घर में बंद कर देने की बात कह रहे हैं.

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मोकामा में अनंत सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने उतरे ललन सिंह (Photo: Social Media)
मोकामा में अनंत सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने उतरे ललन सिंह (Photo: Social Media)

बिहार में पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है. 6 नवंबर को ही मोकामा में वोटिंग होगी. मोकामा ही वो बहुचर्चित सीट है, जहां के टाल क्षेत्र में दुलारचंद यादव की राजनीतिक हत्या के बाद बिहार का चुनाव पूरी तरह से गरमाया. इस घटना में आरोपी पूर्व विधायक और मौजूदा NDA प्रत्याशी अनंत सिंह को जेल जाना पड़ा. अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने मोकामा में चुनावी मोर्चा थामा.

मोकामा पहुंचकर ललन सिंह ने जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह का खुलकर बचाव किया. एक तरह से उन्हें क्लीन चिट ही दे दी है. इस दौरान उनका एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वो कुछ नेताओं को वोटिंग के दिन घर में बंद कर देने की बात कह रहे हैं. विपक्ष की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने उनपर FIR दर्ज कर ली है. हम सब जानते ही हैं कि नेताओं के लिए आचार संहिता उल्लंघन के मामले आभूषणों की तरह होते हैं. कारण अधिकतर मामले सालों-साल चलते हैं और उन पर कुछ खास एक्शन नहीं होता.

आपको बता दें कि ललन सिंह बिहार की मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद हैं. मोकामा विधानसभा मुंगेर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से एक है. इसलिए स्थानीय सांसद होने के नाते ललन सिंह मोकामा में लगातार कैंपिंग कर रहे हैं और अनंत सिंह के पक्ष में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं. लेकिन मोकामा विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय सांसद ललन सिंह कितना वर्चस्व रखते हैं, आइए इसको समझते हैं.

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2014 में पहली बार मुंगेर से लड़ा चुनाव

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ललन सिंह नालंदा जिले के रहने वाले हैं और भूमिहार जाति से आते हैं. इसलिए चुनाव लड़ने के लिए भूमिहार बहुल सीटों को चुनते रहे हैं. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में वो बेगूसराय से सांसद बने. हालांकि 2014 में मजबूत एंटी-इन्कम्बेंसी को देखते हुए उन्होंने अपनी सीट बदल ली और मुंगेर चले आए. नीतीश कुमार की जेडीयू उस वक़्त बीजेपी से अलग होकर स्वतंत्र चुनाव लड़ी थी. NDA की तरफ से रामविलास पासवान की LJP के खाते में मुंगेर की सीट आई और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी ने एक लाख से ज्यादा वोटों से ललन सिंह को पराजित किया.

मोकामा विधानसभा में ललन सिंह का कितना असर

2014 के लोकसभा चुनाव में मोकामा विधानसभा सीट के वोटिंग पैटर्न की बात करें तो यहां भी वीणा देवी को मजबूत बढ़त मिली. केवल मोकामा असेंबली सीट में वीणा देवी ने ललन सिंह के ऊपर क़रीब 27 हज़ार वोटों की बढ़त बनाई.

 

2019 में कैसे रहे नतीजे?

2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह एक बार फिर मुंगेर सीट से चुनाव लड़ते हैं. इस बार जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़े और LJP का समर्थन भी उन्हें हासिल था. उनके खिलाफ चुनावी मैदान में कांग्रेस के टिकट पर उतरीं बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी. ललन सिंह डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत जाते हैं. लेकिन मोकामा विधानसभा सीट पर ललन सिंह फिर भी 1 हज़ार वोट से पिछड़ जाते हैं.

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2024 में ललन सिंह की जीत

पांच साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह NDA कैंडिडेट के तौर पर तकरीबन 80 हज़ार वोटों से जीतते हैं. इस बार उनके सामने आरजेडी के टिकट पर बाहुबली अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनीता होती हैं. मगर मोकामा में वही कहानी रिपीट होती है. ललन सिंह एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाने के बावजूद एक हज़ार वोट से पिछड़ जाते हैं.

मोकामा में नहीं गली ललन सिंह की दाल?

आपको याद होगा कि इसी चुनाव के लिए जेल में बंद अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आए थे और मोकामा विधानसभा में घूम-घूमकर ललन सिंह के पक्ष में जनता को लामबंद करने की कोशिश की थी. चुनावी गुना-गणित को समझने वाले चुनावशास्त्री की मानें तो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे, चेहरे और वोटिंग पैटर्न अलग-अलग होते हैं. लेकिन पिछले तीन लोकसभा चुनाव में विभिन्न समीकरणों को साधने के बावजूद पता चलता है कि कम से कम मोकामा विधानसभा क्षेत्र में ललन सिंह की दाल नहीं गलती है. ललन सिंह के करीबी दबी जुबान में इस बात को स्वीकारते भी हैं कि यही कारण है कि वो मोकामा के वोटरों से नाराज़ भी रहते हैं. 

पिछले चुनाव में अनंत सिंह को बताया था रावण

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मज़े की बात है कि 3 नवंबर 2025 को मोकामा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ललन सिंह ने कहा कि अनंत सिंह जब क्षेत्र में नहीं हैं तो हमारा दायित्व है कि एक-एक व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े. इससे पहले वो अनंत सिंह को मोकामा का रक्षक भी बता चुके हैं. ये वही ललन सिंह हैं जिन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कहा था कि अनंत सिंह जैसे अपराधियों के आतंक से मोकामा को मुक्ति दिलानी है. इससे पहले साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ललन सिंह ने अनंत सिंह को रावण तक कह दिया था. तब अनंत सिंह, लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए थे.

अनंत सिंह भी लगा चुके हैं फंसाने का आरोप

इतना ही नहीं, अगस्त 2019 में अनंत सिंह के घर हुई पुलिस छापेमारी में एके-47 और हैंड ग्रेनेड समेत कुछ और हथियार मिले थे. तो अनंत ने ललन सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने साजिश के तहत उनके घर में हथियार रखवाए. अनंत सिंह ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी ने ललन सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा, इसलिए वे बदला लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं. 

बहरहाल, समय का पहिया घूम चुका है और पिछले एक साल से अनंत सिंह और ललन सिंह एक-दूसरे के लिए मोकामा में बैटिंग करते नज़र आ रहे हैं. इस चुनाव में अनंत सिंह को ललन सिंह की कैंपिंग और मैनेजमेंट का कितना फायदा मिलेगा, ये तो वक़्त ही बताएगा. लेकिन व्यंग्य की विधा के सशक्त हस्ताक्षर हरिशंकर परसाई जी बता गए हैं - "अच्छी आत्मा फोल्डिंग कुर्सी की तरह होनी चाहिए. जरूरत पड़ी तब फैलाकर बैठ गए, नहीं तो मोड़कर कोने से टिका दिया." 

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