scorecardresearch
 

सीमांचल: बिहार की सियासत को उलझाए रखने वाला इलाका, PM मोदी करेंगे दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 सितंबर को बिहार के सीमांचल क्षेत्र के पूर्णिया का दौरा करेंगे, जहां वे एयरपोर्ट का उद्घाटन, कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत और एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. सीमांचल की 24 विधानसभा सीटें (पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार) बिहार की राजनीति में अहम मानी जाती हैं क्योंकि ये अक्सर अलग-अलग दलों के बीच झूलती रही हैं.

Advertisement
X
पीएम मोदी करेंगे सीमांचल क्षेत्र में पड़ने वाले पूर्णिया जिले का दौरा. (File Photo: PTI)
पीएम मोदी करेंगे सीमांचल क्षेत्र में पड़ने वाले पूर्णिया जिले का दौरा. (File Photo: PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 सितंबर को बिहार के पूर्णिया का दौरा करेंगे, जो सीमांचल क्षेत्र का एक बड़ा जिला है. यहां मोदी एक एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे, कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत करेंगे और एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे. यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब बिहार का चुनावी माहौल पूरी तरह से गरमा गया है.

क्यों खास है सीमांचल?

सीमांचल के चार जिलों की 24 विधानसभा सीटें पिछले पांच चुनावों में अलग-अलग पार्टियों के बीच झूलती रही हैं. भारतीय जनता पार्टी के पास यहां उम्मीदें रखने की वजह है- पार्टी पांच में से तीन बार यहां सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है. लेकिन यह भी सच है कि यह इलाका कभी भी किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा.

सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में पूर्णिया की सात, अररिया की छह, किशनगंज की चार और कटिहार की सात सीटें शामिल हैं. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में भाजपा ने तीन बार बढ़त बनाई- 2020 में आठ सीटें, 2010 में 13 सीटें और अक्टूबर 2005 में नौ सीटें जीतकर.

बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें

बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

Seemanchal

कांग्रेस 2015 में यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी, उसने आठ सीटें जीती थीं. लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही थी, उसने छह सीटें जीती थीं. दिलचस्प यह है कि पिछली बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) यहां दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसके खाते में पांच सीटें आई थीं.

Advertisement

बीजेपी का स्ट्राइक रेट

2010 और 2020 के चुनावों में भाजपा ने यहां क्रमशः 16 और 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 और आठ सीटें जीतीं. यानी जीत का औसत (स्ट्राइक रेट) क्रमशः 81 और 73 प्रतिशत रहा, जो उन दो चुनावों में किसी भी पार्टी की सबसे बेहतरीन जीत-परिवर्तन दर थी.

Seemanchal

अक्टूबर 2005 और 2015 के चुनावों में कांग्रेस ने क्रमशः छह और 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार और आठ सीटें जीतीं. वहीं नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने फरवरी 2005 के चुनाव में सबसे ऊंचा 40 प्रतिशत स्ट्राइक रेट हासिल किया था, जब उसने पांच में से दो सीटें जीती थीं.

कांटे के मुकाबले

सीमांचल की सीटें बहुत छोटे अंतर से तय होती हैं. पिछली बार की 24 सीटों में से 10 सीटें 10 प्रतिशत से भी कम अंतर से तय हुई थीं. नौ सीटें 20 प्रतिशत से कम अंतर से और सिर्फ चार सीटें ही साफ जीत (25 प्रतिशत से ज्यादा अंतर) के साथ निपटी थीं.

Seemanchal

2015 के विधानसभा चुनाव में 14 सीटें 10 प्रतिशत से भी कम अंतर से जीती गई थीं. सिर्फ चार सीटें 20 प्रतिशत से ऊपर के अंतर से तय हो पाई थीं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement