इंडिया टुडे ग्रुप आज यानी शनिवार को मध्य प्रदेश में 'माइंड रॉक्स' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. जिसमें सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने भी हिस्सा लिया. आनंद कुमार की संस्थान से कोचिंग लेने वाले कई बच्चों ने इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपना नाम कमाया है.
आनंद कुमार से जब पूछा गया कि सुपर 30 का नाम सुपर 30 ही क्यों रखा गया, 40 या 50 क्यों नहीं. तो इस पर उन्होंने बताया कि जो बच्चे सुपर 30 में पढ़ाई कर रहे हैं उनका रहने का खर्च हम ही लोग उठाते हैं और बच्चों का खाना मेरी मां बनाती हैं. उन्होंने कहा उस समय आमदनी इतनी नही थी.
आनंद ने बताया कि सुपर 30 को चलाने के लिए आज तक किसी भी तरह का चंदा नहीं लिया. हमारी टीम शाम को कुछ ऐसे बच्चों को ट्यूशन देती है जो फीस दे सकते हैं. उन्हीं पैसों से बच्चों की पढ़ाई और उनके खाने का खर्चा उठाया जाता है. उन्होंने बताया देश के "प्रधानमंत्री, अंबानी, मुख्यमंत्री समेत कई बड़े- बड़े लोगों ने कहा की करोड़ों रुपये चंदा ले लो लेकिन आज तक हमने कभी किसी से 1 रुपये चंदा नहीं लिया है".
आनंद ने कहा ये सफर आसान नहीं था. इस दौरान हमें कई माफियाओं से भी जूझना पड़ा. कई बार माफिया लोगों ने हमारे ऊपर हमला किया. कई केस मुकदमे में फंसाने की कोशिश की. जिसकी वजह से हमारे निर्दोष सहयोगी को तीन महीने की जेल भी हुई. बाद में जब बिहार पुलिस ने कार्यवाही की तो उसमें वह निर्दोष साबित हुए. यहीं नहीं मेरे भाई पर भी हमला किया गया.
उन्होंने कहा है ये वहीं लोग है जो नहीं चाहते "राजा का बेटा राजा नहीं बल्कि हकदार ही राजा बने".उन्होंने बताया सबसे ज्यादा खुशी मुझे उस दिन होती है जब मालूम चलता है कि ऑटो ड्राइवर की बेटी, ईंट भट्टी में काम करने वाले के बच्चे जेईई परीक्षा में सफल हो गए हैं. उस समय गर्व महसूस होता है
आनंद कुमार से पूछा गया कि जब शोहरत मिलती है तो कैसे आप खुद को लाइमलाइट से दूर रख पाते हैं. इस पर उन्होंने जवाब दिया "सिंपल तरीके से रहना हमारी मजबूरी है हम चाहकर भी कोर्ट टाई पहनेंगे तो कंफर्टेबल नहीं रहेंगे". इसलिए हम आराम से रहते हैं बेफिक्र रहते हैं. उन्होंने कहा जब इंसान दिखावे से दूर हटता है जो उसका मन काम में लगता है. उन्होंने कहा दिखावे से दूर रहे हैं और क्वालिटी काम करें. क्योंकि इंसान अपने काम से पहचाना जाता है.