विश्वविद्यालयों में UGC के नए कोटा नियम को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच रविवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार की ओर से इस मामलों में सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर की गई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्रों को न्याय मिलेगा.
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि नियमों में बदलाव सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया गया है इस वजह से निर्णय को बदलने के लिए कोर्ट में विशेष पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. बीते साल अप्रैल में दिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी एससी, एसटी और ओबीसी कोटे की भर्तियां डिपार्टमेंट के तहत करने की बात की थी और इन्हें विश्वविद्यालय के स्तर पर करने से रोक लगाई गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूजीसी ने 5 मार्च को इस बाबत एक सर्कुलर जारी किया था.
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हैदराबाद में शिक्षकों का प्रदर्शन
इस मुद्दे को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने शनिवार को एक दिन की भूख हड़ताल की थी. इस प्रदर्शन में यूजीसी के सर्कुलर को वापस लेने की मांग की गई थी. पुराने नियमों के मुताबिक विश्वविद्यालय को एक यूनिट के तहत लिया जाता था और आरक्षित वर्गों की भर्तियां उसी के मुताबिक होती थीं जबकि नए नियम में हर डिपार्टमेंट को अलग यूनिट मानकर भर्तियां करने का सर्कुलर जारी किया गया है और इससे आरक्षित वर्ग के तहत होने वाली भर्तियों में कटौती के आसार हैं.
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि नई व्यवस्था से जिस विभाग में रिक्त पदों की संख्या कम हैं वहां आरक्षित वर्गों की भर्ती पर असर पड़ेगा. साथ ही शिक्षकों ने कहा कि ऐसा करने से उच्च शिक्षण संस्थानों के टीचर्स को बराबरी का हक नहीं मिलेगा. मानव संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 16600 पद हैं जिनमें से 5928 पद खाली पड़े हैं.
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गहलोत ने लिखा पत्र
बीते दिनों सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र लिखा था. गहलोत ने पत्र में UGC के नए कोटा नियम को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के खिलाफ बताते हुए इसे वापस लेने की गुजारिश की थी. पत्र में कहा गया था कि शिक्षा के क्षेत्र में हाशिए पर रह रहे वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना सरकार का काम है. यूजीसी का नया कोटा सर्कुलर संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. ऐसे में सरकार को यह सर्कुलर वापस लेना चाहिए.