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जानें सरिस्का अभयारण्य के बारे में...

राजस्थान के अलवर जिले में करीब 866 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का को वन्य जीव अभ्यारण्य का दर्जा 1955 में मिला, और जब प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई, तो 1978 में इसे टाइगर रिजर्व बना दिया गया. कुछ ही सालों बाद इसे राष्ट्रीय पार्क घोषित कर दिया गया.

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राजस्थान के अलवर जिले में करीब 866 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का को वन्य जीव अभ्यारण्य का दर्जा 1955 में मिला, और जब प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई, तो 1978 में इसे टाइगर रिजर्व बना दिया गया. कुछ ही सालों बाद इसे राष्ट्रीय पार्क घोषित कर दिया गया.

अरावली पर्वत श्रंखला के बीच स्थित यह अभ्यारण्य बंगाल टाइगर, जंगली-बिल्ली, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सुनहरे सियार, सांभर, नीलगाय, चिंकारा जैसे जानवरों के लिए तो जाना ही जाता है, मोर, मटमैले तीतर, सुनहरे कठफोड़वा, दुर्लभ बटेर जैसी कई पक्षियों का बसेरा भी है. इसके अतिरिक्त यह अभ्यारण्य कई ऐतिहासिक इमारतों को भी खुद में समेटे हुए है, जिसमें कंकवाड़ी किला प्रसिद्ध है. इसे जयसिंह द्वितीय ने बनवाया था और कभी मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को कैद करके यहां रखा था.

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