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जानें कुंवर बाई के बारें में, इस काम के लिए PM ने की थी तारीफ

जानें बकरियां बेचकर शौचालय बनवाने वाली कुंवर बाई के बारे में.

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Kunwar Bai
Kunwar Bai

छत्तीसगढ़ की स्वच्छता दूत के तौर पर पहचाने जाने वाली कुंवर बाई का निधन 106 साल की उम्र में 23 फरवरी को हो गया था. काफी दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. वह उस वक्त चर्चा में आई थी जब उन्होंने बकरी बेचकर शौचालय बनावाया था. उनके इस काम के बारे में जानकर प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी तारीफ की साथ ही उनका आशीर्वाद भी लिया था. बता दें, रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल में उनका निधन हो गया है. यहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था. वह डायबिटिज और हाइपर टेंशन की बीमारी से जूझ रही थीं. उन्हें लकवा भी मार गया था.

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कुवंर बाई ने बकरियां बेचकर हुई आमदनी से अपने घर में शौचालय का निर्माण कराया था. वह साल 2016 में  सुर्खियों में आई थी. जब स्वच्छता अभियान के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनांदगांव आए थे. तब इतनी बुजुर्ग महिला को मंच पर देखकर वो हैरत में पड़ गए. मंच पर स्वच्छता के क्षेत्र में अनूठा काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया जा रहा था.

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जब प्रधानमंत्री को बताया गया कि कुंवर बाई ने बकरी बेचकर अपने गांव में शौचालय बनवाया है तब यह सुनते ही प्रधानमंत्री हैरत में पड़ गए थे. जिसके बाद उनके इस काम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की और कुंवर बाई के पैरों को दोनों हाथ से प्रणाम किया. बाद में उन्हें 'स्वच्छ भारत अभियान' का चेहरा बनाया गया था. बता दें, कुंवर बाई ने 22 हजार रुपये में अपनी बकरियां बेच दी थी,

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आज भी कई ऐसे गांव मौजूद हैं, जहां शौचालय की सुविधा नहीं है. वहीं शौचालय बनाने के लिए कुंवर बाई का बकरियां बेचना स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण योगदान था. उनके इस कदम से गांव वाले भी घरों में शौचालय निर्माण करने लगे. बता दें, कुंवर बाई गांव में सभी अम्मा के नाम से पुकारा करते थे. बता दें, उम्र के आखिरी पड़ाव पर भले ही कंवर बाई में देखने सुनने की क्षमता नही थी लेकिन समाज के लिए कुछ करने का जज्बा था.

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बदल गई गांव की तस्वीर

कुवंर बाई का गांव छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले कोटार्भी गांव है. पहले जहां गांववाले खुले में शौच के लिए जाते थे, वहीं अब खुद के घरों के शौचालय में जाते हैं. उनकी बदलाव की मुहिम की वजह से उनके गांव के सभी 18 घरों में शौचालय बन गया  है और उनका ये गांव खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भी घोषित हो चुका है.

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