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एजुकेशन

अजित पवार: पॉलिटिक्स के 'गेमचेंजर', 37 दिन में फिर बने डिप्टी CM

अजित पवार: पॉलिटिक्स के 'गेमचेंजर', 37 दिन में फिर बने डिप्टी CM
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NCP प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार एक बार फिर डिप्टी सीएम बन चुके हैं. उन्होंने उद्धव ठाकरे कैबिनेट में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में नये गेमचेंजर बने अजित पवार की राजनीतिक पकड़ अपने चाचा शरद पवार से कम नहीं है. आइए जानते हैं- कौन हैं महाराष्ट्र के नए डिप्टी सीएम अजित पवार.
अजित पवार: पॉलिटिक्स के 'गेमचेंजर', 37 दिन में फिर बने डिप्टी CM
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कौन हैं अजित पवार

महाराष्ट्र में पिछली सरकार का उलटफेर करने वाले मुख्य किरदार अजित पवार एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे हैं. वो राजनीति में चाचा के ही पदचिन्हों पर चले हैं. उनका पूरा नाम अजित अनंतराव पवार हैं. बता दें, उनके करीबी लोग उन्हें 'दादा' (बड़े भाई) कहकर बुलाते हैं.
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जन्म

अजित पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के देवलाली प्रवर में उनके दादा-दादी के यहां हुआ था. अजित एनसीपी चीफ शरद पावर के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं.
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इतने पढ़े-लिखे हैं अजित पवार

अजित पवार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देओली प्रवर से की और उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड से की है. पवार ने केवल 12वीं तक ही पढ़ाई की है.
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अजित पवार अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए. शरद पवार की उंगली पकड़कर सियासत की एबीसीडी सिखा. शरद पवार के साथ अजित पवार भी कांग्रेस से अलग हो गए और एनसीपी का गठन किया. इस बार के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बारामती सीट से सातवीं बार विधायक चुने गए हैं.

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सियासी सफर

अजित पवार ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1982 में की थी. उस समय उनकी महज 20 साल की उम्र थी. उन्होंने एक चीनी सहकारी संस्था के लिए चुनाव लड़ा और बाद में पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बने. अजित पवार 1991 में बारामती ससंदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के लिए सीट खाली कर दी. इसके बाद अपने चाचा की बरामती विधानसभा सीट से विधायक चुने गए.
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अजित पवार पहली बार 1992 में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बने. इस तरह से अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में धीरे-धीरे एक बड़ा नाम बन चुके थे. इसके बाद से अजित पवार ने पलटकर नहीं देखा और एक के बाद एक चुनाव जीतते गए.
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साल 2010 में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने और 2014 तक रहे और अब एक बार फिर उपमुख्यमंत्री का ताज उनके सिर सजा है. हालांकि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं और जांच चल रही है.
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2009 में डिप्टी सीएम बनने की जताई थी इच्छा

अजित को महाराष्ट्र में एक महत्वाकांक्षी नेता के रूप में देखा जाता है और माना जाता है कि उनके पास महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के सभी गुण हैं. महाराष्ट्र में साल 2009 में हुए विधानसभा चुनावों के ठीक बाद अजित ने उप मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई थी. हालांकि, उस दौरान उनकी जगह छगन भुजबल को महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था.
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