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किसान का बेटा, छेड़ी अलग राज्य की मुहिम, बन गया झारखंड का 'गुरुजी'

किसान का बेटा, छेड़ी अलग राज्य की मुहिम, बन गया झारखंड का 'गुरुजी'
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झारखंड का एक चेहरा जो राज्य की पहचान बन चुका है. कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा संगठन बनाकर लड़ा ये किसान का बेटा आज सरकार बनाने जा रही पार्टी का प्रमुख है. ये कोई और नहीं बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष शिबू सोरेन हैं. आइए जानें- जेएमएम का इतिहास. साथ ही आदिवासियों के इकलौते नेता कहे जाने वाले शिबू सोरेन का सफर. शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन एक बार फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. उनकी पार्टी JMM और सहयोगी कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला है.
फोटो: बेटे हेमंत सोरेन के साथ शिबू सोरेन
Image credit: Twitter
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शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, साल 1944 को अविभाजित बिहार के हजारीबाग जिले के नेमरा गांव में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा यहीं हुई. स्कूली पढ़ाई के तुरंत बाद उनकी शादी हो गई और पिता के साथ खेती किसानी में लग गए. परिवार में उनकी पत्नी रूपी सोरेन गृहणी हैं, वहीं उनके बेटे हेमंत और बसंत व एक बेटी अंजलि हैं. उनके एक बेटे की मृत्यु हो गई थी. वहीं हेमंत अब फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

फोटो: शिबू सोरेन
Image credit: Facebook
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उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति और लोगों के लिए काम करने का जज्बा शिबू सोरेन को आगे लाया. उन्होंने साल 1969 में सोनत संथाली समाज की नींव रखी. इसके बाद 4 फरवरी 1973 को शिबू सोरेन ने शिवाजी समाज के विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की.

फोटो: शिबू सोरेन
Image credit: Facebook
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शिबू सोरेन के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1970 से हुई. वो लगातार लोगों के बीच सक्रिय रहे. साल 1975 की 23 जनवरी को जामताड़ा में आदिवासियों का नेतृत्व करते हुए शिबू ने स्थानीय लोगों की लड़ाई लड़ी. फिर वो पहली बार 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे लेकिन पहली बार हार का सामना करना पड़ा.

फोटो: संथाली महोत्सव में हिस्सा लेते शिबू सोरेन
Image credit: Facebook
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पहली बार साल 1980 में वो लोकसभा चुनाव जीते. शिबू सोरेन को पहली बार संसद में जाने का मौका मिला. इसके बाद जीत का सिलसिला शुरू हुआ, वो लगातार साल 1989, 1991 और 1996 में जीतते गए.

फोटो: झारखंड मुक्ति मोर्चा का चुनाव चिह्न

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साल 2002 में वो भाजपा के सहयोग से राज्यसभा के लिये चुने गए. साल 2002 में ही दुमका लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में वो सांसद चुने गए. लेकिन फिर लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया.

फोटो: शिबू सोरेन
Image credit: Facebook
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2004 में हुए आम चुनावों में उन्होंने दुमका सीट से फिर चुनाव जीता तो मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में केंद्रीय कोयला मंत्री बने. साल 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद सोरेन सूबे के मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत के अभाव में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

फोटो: पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद के साथ शिबू सोरेन
Image credit: Facebook
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शिबू सोरेन को सालों साल से झारखंड के शोषित उत्पीड़ित आदिवासियों का एकमात्र निर्विवाद नेता कहा जाता है. उन्हें अपने समर्थकों के बीच गुरुजी नाम से पहचान मिली है.

फोटो: अपनी पत्नी के साथ हेमंत सोरेन
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शिबू सोरेन तीव्र और जुझारू नेता के तौर पर भी पहचाने जाते हैं. वो झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं .वहीं उनके बेटे हेमंत सोरेन ने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला है.बता दें कि उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव उस दिन रखी थी जिस दिन आदिवासी समाज के जननायक बिरसा मुंडा की जयंती होती है.

फोटो: बिरसा मुंडा
Image: wikimedia
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