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दिव्यांग छात्रों के लिए कैसे तैयार होगा ऑनलाइन-कंटेंट, श‍िक्षा मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' की मंजूरी के बाद दिव्यांग छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा सामग्री यानी ई कंटेंट तैयार करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं. कोरोना काल में दिव्यांग बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई आसान बनाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

कोरोना काल में जब एक साल से ज्यादा वक्त से छात्र घर से पढ़ाई कर रहे हैं, ऐसे में दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई काफी बाधित है. सरकार इस पर लगातार काम कर रही है. मंगलवार को इसी द‍िशा में केंद्रीय श‍िक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई कंटेंट तैयार करने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है. 

गौरतलब है कि मई 2020 में डिजिटल, ऑनलाइन और ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करने के उद्देश्य से पीएम ई-विद्या की शुरुआत की गई थी. इसके तहत दिव्यांग बच्चों के लिए भी विशेष ई-सामग्री (ऑनलाइन शिक्षा सामग्री) को तैयार करने की परिकल्पना की गई थी. विशेष ई-सामग्री (ऑनलाइन शिक्षा सामग्री) तैयार करने के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक समिति का गठन किया था.

समिति की ओर से दिए गए सुझावों के अनुसार दिव्यांग छात्रों लिए ई-सामग्री (ऑनलाइन शिक्षा सामग्री) को चार सिद्धांतों बोधगम्य, संचालन योग्य, समझने योग्य और सुदृढ़ आधार पर विकसित किया जाना चाहिए. इसके अलावा ई-सामग्री टेक्स्ट, टेबल, डायग्राम, विज़ुअल, ऑडियो, वीडियो इत्यादि जैसे मानकों सहित राष्ट्रीय मानकों (जीआईजीडब्लू 2.0) और अंतर्राष्ट्रीय मानकों (डब्लूसीएजी 2.1, ई-पब, डीएआईएसवाई इत्यादि) के अनुरूप होनी चाहिए. समिति ने इसी प्रकार दिव्यांग छात्रों के लिए ई-सामग्री (ऑनलाइन शिक्षा सामग्री) तैयार करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं.

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श‍िक्षा मंत्री के ओर से जारी बयान में कहा गया कि कोरोना महामारी की शुरुआत से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश भर के छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को ध्यान में रख कर ही निर्णय लिए हैं. इसके लिए चाहे ऑनलाइन शिक्षा को देश भर में शुरू करने का निर्णय हो या इस वर्ष छात्रों एवं शिक्षकों के स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का निर्णय हो.

इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए निर्णय लिया गया कि टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) प्रमाणपत्र की वैद्यता 7 वर्ष से बढ़ाकर जीवनकाल के लिए कर दी. इससे शिक्षा के क्षेत्र में ना सिर्फ रोजगार के अवसर पैदा होंगे बल्कि बहुत सारे लोगों को बार बार पात्रता परीक्षा देने के दबाव से मुक्ति मिलेगी.

 

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