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किन्हें बोलते हैं सिन गुड्स, जिन पर लगेगा 40 फीसदी से भी ज्यादा जीएसटी

देश में जीएसटी 2.0 लागू होने जा रहा है, जिसमें आम लोगों को तो कई मोर्चों पर राहत मिली है, लेकिन सिन गुड्स यानी सेहत और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों पर टैक्स और कड़ा हो गया है. पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, कोल्ड ड्रिंक्स और ऑनलाइन गेमिंग जैसी चीजों पर अब 28% की जगह सीधा 40% जीएसटी देना होगा.

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पान मसाला, गुटखा, च्युइंग टोबैको पर अब 40 प्रतिशत जीएसटी देना होगा. (Photo: PTI)
पान मसाला, गुटखा, च्युइंग टोबैको पर अब 40 प्रतिशत जीएसटी देना होगा. (Photo: PTI)

प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से इस बार जनता को एडवांस में दीवाली बोनस देने की बात कही थी. इसी कड़ी में हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी दरों में राहत दी है, लेकिन सिन गुड्स पर टैक्स 28 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया है.चलिए समझते हैं कि सिन गुड्स क्या हैं और केवल इन्ही पर इतना ज्यादा जीएसटी क्यों वसूला जाएगा.

जीएसटी काउंसिल ने वित्तमंत्री निर्मला की अध्यक्षता में 3 सितंबर 2025 को हुई बैठक में जीएसटी 2.0 बिल पास किया जिसमें टैक्स स्लैब्स को 4 से धटाकर अब दो पर ही सीमित किया गया है. कईं चीजों को पूरी तरह टैक्स-फ्री किया गया है.

क्या है संशोधन?

पहले जीएसटी दरें चार स्लैब्स में लगती थी- चीजों पर 5, 12, 18 और 40 प्रतिशत जीएसटी लगता था. नए बिल के तहत चीजों पर अब केवल 5 और 18 प्रतिशत ही जीएसटी लगेगा. इसके अलावा लग्जरी और सिन गुड्स पर 40 प्रतिशत टैक्स लगेगा. नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी. हालांकि ये सबसे ऊंची दर ऋण पूरे हो जाने के बाद ही लागू होगी और काउंसिल इसपर बाद में विस्तृत जानकारी देगा.

क्या होते हैं सिन गुड्स?

सिन गुड्स यानी वो चीजें जिनसे आपकी सेहत और समाज को नुकसान पहुंचता है, जैसे- पान मसाला, तंबाकू, फास्ट फूड्स और कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि. इन्हें डीमेरिट गुड्स भी कहते हैं.

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किन सिन गुड्स पर लगेगा 40 प्रतिशत जीएसटी?

  • पान मसाला, गुटखा, च्युइंग टोबैको, बिना प्रोसेस किया हुआ तंबाकू, तंबाकू का कचरा (तंबाकू की पत्तियों को छोड़कर)
  • सिगार, चेरेट्स, सिगारिलो (तंबाकू या तंबाकू के विकल्प से बने), सिगरेट.
  • “होमोजेनाइज्ड” या “रीकांस्टीट्यूटेड” (दोबारा तैयार किया हुआ) तंबाकू.
  • तंबाकू के अर्क और एसेंस.
  • एरेटेड शुगर ड्रिंक्स / कोल्ड ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड बेवरेजेज, कार्बोनेटेड फ्रूट ड्रिंक या फ्रूट जूस वाले कार्बोनेटेड पेय.
  • मीठे/स्वीटनर वाले अन्य सभी पेय, फ्लेवर वाले, नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक्स और कैफिनेटेड बेवरेजेज.
  • ऑनलाइन जुआ या गेमिंग.
  • मोटर वाहन (हाइब्रिड इंजन वाले).
  • स्पार्क-इग्निशन इंजन (पेट्रोल इंजन) + इलेक्ट्रिक मोटर, जिनकी इंजन क्षमता 1200cc से ज्यादा हो या लंबाई 4000mm से ज्यादा हो.
  • डीज़ल इंजन + इलेक्ट्रिक मोटर, जिनकी इंजन क्षमता 1500cc तक हो और लंबाई 4000mm तक हो.
  • डीज़ल इंजन + इलेक्ट्रिक मोटर, जिनकी इंजन क्षमता 1500cc से ज्यादा हो या लंबाई 4000mm से ज्यादा हो.
  • मीठे/कार्बोनेटेड पेय (एरेटेड ड्रिंक्स)

सिन गुड्स पर इतना टैक्स क्यों?

भारत में हमेशा से सिन गुड्स सबसे ज्यादा टैक्स आकर्षित करते आए है. इनपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाकर इन चीजों की खपत और उससे सेहत को होने वाले नुकसान को कम किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार काउंसिल ने कंपेंसेशन सेस को खत्म करने का निर्णय लिया है. हालांकि टैक्स का प्रभाव बनाए रखन के लिए इसे जीएसटी के साथ मिलाया गया है जिससे रेट इतनी बढ़ गई है.

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