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कैसे बनता है कांच या शीशा? आईने में कैसे दिखाई देती है आपकी शक्ल, जानिए

यूं तो कांच का निर्माण सदियों पुराना है. लेकिन इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते कि इंसान ने कांच बनाना कब सीखा. मिस्र में कांच से बने कुछ दाने मिले जो ईसा से 2500 साल पहले बनाए गए थे. बेबीलोनिया में ईसा से 2600 साल पहले बनाई गई एक नीले रंग की कांच की छड़ मिली है. लेकिन सवाल है कि ये बनता कैसे है?

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Photo-Pexels
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जिंदगी में कांच की एहमियत का अंदाजा उसके इस्तेमाल से लगाया जा सकता है. घर की खिड़की में लगा कांच हो या कांच के बर्तन हों या फिर बसों, गाड़ियों, ट्रेनों में बनी खिड़की, सभी में कांच का इस्तेमाल होता है. लेकिन ये कांच आखिर बनता कैसे है? ये बात आपके भी दिमाग में आई होगी. क्या आज जानते हैं, कांच कब बनना शुरू हुआ और कैसे बनता है कांच?

कब अस्तित्व में आया कांच?

यूं तो कांच का निर्माण सदियों पुराना है. लेकिन इसके कोई प्रमाण नहीं मिलते कि इंसान ने कांच बनाना कब सीखा. मिस्र में कांच से बने कुछ दाने मिले जो ईसा से 2500 साल पहले बनाए गए थे. बेबीलोनिया में ईसा से 2600 साल पहले बनाई गई एक नीले रंग की कांच की छड़ मिली है. इन सबसे स्पष्ट होता है कि कांच बनना ईसा से लगभग 2600 साल पहले लोगों को आता था. लेकिन ये बनता कैसे है?

कैसे बनता है कांच?

कांच को बनाने में मुख्य रूप से सिलिका, सोडियम कार्बोनेट और कैल्शियम कार्बोनेट का मिश्रण प्रयोग में लाया जाता है. इन पदार्थों को अच्छी तरह पीसकर मिलाया जाता है और बड़ी-बड़ी भट्टियों में पिघलाया जाता है. जब इन पदार्थों का मिश्रण पिघलकर एक हो जाता है, तब इसे चादर के रूप में ढाल लिया जाता है. यही चादर कांच कहलाती है.

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रंगीन कांच कैसे बनते हैं?

कांच को रंगीन बनाने के लिए तांबा, लोहा, सेलेनियम, क्रोमियम, कोबाल्ट आदि धातुओं के ऑक्साइड इस्तेमाल किए जाते हैं. इन्हीं पदार्थों को मिलाकर अलग-अलग रंग का कांच बनाया जाता है. क्रोमियम या तांबे से हरा रंग बनता है और सेलेनियम से लाल रंग का कांच बनाया जाता है.

शीशा कैसे बनता है?

आईना भी इसी कांच से बनाया जाता है. कांच को साफ करके उस पर कोटिंग की जाती है. फिर सबसे पहले लिक्युफाइड टिन चढ़ाया जाता है, जो कि कांच का पिछला हिस्सा बनता है. बता दें कि सिल्वर को लिक्विड फोर्म में कांच पर चढ़ाया जाता है. इससें कुछ कैमिकल भी होते हैं, जिससे सादा सा ग्लास भी आइने में कंवर्ट हो जाता है. इसके बाद इसपर कॉपर की कोटिंग की जाती है, जिससे कांच लंबे समय तक चलता है.

 

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