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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत नौसेना की ताकत बढ़ाने में जुटा, MDL का बड़ा विस्तार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ा रही है. एमडीएल मुंबई में 10 एकड़ जमीन पर विस्तार कर रहा है. 4000-5000 करोड़ रुपये निवेश करेगा. दो नए बेसिन बनेंगे, जहाज और पनडुब्बियां बनेंगी. क्षमता 40000 से 80000 टन होगी. यह कदम 2047 तक स्वदेशी नौसेना के लक्ष्य को मजबूत करेगा.

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ये है मंझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड. (File Photo: MDL)
ये है मंझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड. (File Photo: MDL)

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अरब सागर में भारत की मजबूत स्थिति के बाद, भारतीय नौसेना अपने बेड़े में और शक्तिशाली युद्धपोतों और पनडुब्बियों को शामिल करने पर ध्यान दे रही है. इस रणनीतिक जरूरत को देखते हुए, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने अपनी जहाज निर्माण क्षमता को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं. कंपनी अपने मौजूदा परिसर के पास मुंबई में 10 एकड़ समुद्री क्षेत्र को पुनः प्राप्त कर उसे जहाज निर्माण के लिए विकसित करने की योजना बना रही है.

विस्तार की शुरुआत और निवेश

पिछले साल एमडीएल ने मुंबई पोर्ट अथॉरिटी से 15 एकड़ जमीन 29 साल की लीज पर ली थी, जहां जहाज निर्माण का काम शुरू हो चुका है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस विस्तार योजना में 4000 से 5000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. इस योजना के तहत दो नए बेसिन बनाए जाएंगे, जिनमें बड़े युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और मरम्मत एक साथ की जा सकेगी.

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वर्तमान में एमडीएल की डेडवेट टन (DWT) क्षमता 40000 टन है, जो इस विस्तार के बाद 80000 टन हो जाएगी. इसके अलावा, न्हावा शेवा पोर्ट पर पहले से प्राप्त 37 एकड़ जमीन के साथ कुल क्षमता को 2 लाख टन डेडवेट टन तक बढ़ाने का लक्ष्य है.

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नौसेना की बढ़ती जरूरतें

एमडीएल वर्तमान में एक साथ 11 पनडुब्बियां और 10 युद्धपोत बना सकता है, जो नौसेना की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर रहा है. भविष्य में नौसेना के बेड़े में बड़े और उन्नत प्लेटफॉर्म शामिल होने हैं, जिनके लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी. एमडीएल नौसेना के लिए दो बड़े पनडुब्बी परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनकी अनुमानित लागत 1.06 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. ये परियोजनाएं भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता को और मजबूत करेंगी.

चीन से मुकाबला

भारत की जहाज निर्माण क्षमता अभी भी चीन से काफी पीछे मानी जाती है. चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा बेड़ा है, जिसमें 370 से अधिक जहाज हैं. भारत अपनी स्वदेशी विनिर्माण क्षमता बढ़ाकर रणनीतिक मोर्चे पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है.

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, नए इलाके में आधुनिक शिपयार्ड बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा, जहां नए जहाज और पनडुब्बियां बनाई जा सकेंगी. उनकी मरम्मत व उन्नयन तेजी से हो सकेगा. इससे एमडीएल को कई बड़े प्रोजेक्ट्स एक साथ पूरा करना आसान होगा. नौसेना को समय पर नए युद्धपोत व पनडुब्बियां मिलेंगी.

Mazagon Dock Shipbuilders Limited

एमडीएल का गौरवशाली इतिहास

एमडीएल ने हाल ही में अपनी 250वीं वर्षगांठ मनाई. यह डॉकयार्ड 1774 में शुरू हुआ था. 1960 में भारत सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में लिया. अब तक एमडीएल ने 800 से अधिक जहाज बनाए हैं, जिनमें 31 पूंजी युद्धपोत और 8 पनडुब्बियां शामिल हैं. कंपनी ने विदेशों को भी 214 जहाज सप्लाई किए हैं. यह विस्तार देश की रणनीतिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा.

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भविष्य की योजना

आने वाले वर्षों में यह विस्तार भारतीय नौसेना के 175 जहाज नौसेना लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा. नौसेना 2047 तक 100 प्रतिशत स्वदेशी बनने के लिए आक्रामक रूप से काम कर रही है. इस विस्तार से नौसेना को आधुनिक और शक्तिशाली जहाज मिलेंगे, जो क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका को और मजबूत करेंगे.

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ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी ताकत दिखाई थी, जिसमें दुश्मन के खिलाफ सटीक हमले और रणनीति शामिल थी. इस ऑपरेशन ने नौसेना की तैयारियों और तकनीकी क्षमता को उजागर किया, जिसके बाद अब जहाज निर्माण को और तेज करने का फैसला लिया गया. एमडीएल का यह विस्तार नौसेना को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा.

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