scorecardresearch
 

जंग में अब पाकिस्तान को मिलेगा सऊदी अरब का सहारा, जानें- कितनी मजबूत है इस खाड़ी देश की सेना

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने पारस्परिक रक्षा समझौता किया है, जिसके तहत किसी एक पर हमला दोनों पर अटैक माना जाएगा. इसमें परमाणु हथियारों का जिक्र भी है. जो सऊदी अऱब अब तक सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर था, पाकिस्तान के साथ नया गठजोड़ कर रहा है.

Advertisement
X
सऊदी औऱ पाकिस्तान के बीच नया रक्षा समझौता हुआ है (Photo: X/ CMShehbaz)
सऊदी औऱ पाकिस्तान के बीच नया रक्षा समझौता हुआ है (Photo: X/ CMShehbaz)

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक ऐसा रक्षा समझौता किया है, जिसमें ये तय हुआ है कि अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे दोनों पर हमला माना जाएगा. अब बड़ा सवाल ये है कि अगर भारत, पाकिस्तानी आतंकवादी हमले की स्थिति में दोबारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत एक्शन लेता है तो सऊदी अरब क्या करेगा?

रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते के मुताबिक, अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान की मदद करना ज़रूरी होगा. एक सऊदी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि इस समझौते में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का भी जिक्र है. हालांकि अभी तक इस समझौते की पूरी शर्तें और दायरा सामने नहीं आया है.

सऊदी अरब सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर

सऊदी अरब अब तक अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादातर अमेरिका पर निर्भर रहा है, लेकिन हाल के सालों में वह अपनी सुरक्षा रणनीति पर फिर से काम कर रहा है. पाकिस्तान के साथ किया गया यह समझौता इसी बदलाव का हिस्सा माना जा रहा है.

कौन है सऊदी अरब का दुश्मन?

बता दें कि सऊदी अरब के दो बड़े दुश्मन ईरान और इज़रायल हैं, और अपनी सुरक्षा के लिए वह अभी भी काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है. ग्लोबल फायरपावर डेटाबेस के मुताबिक 145 देशों की सूची में सऊदी अरब 24वें स्थान पर है, जबकि उसका सहयोगी पाकिस्तान 12वें नंबर पर है. वहीं अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है.

Advertisement

सऊदी अरब की सैन्य शक्ति

सऊदी अरब अपने ज़्यादातर हथियार अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों से खरीदता है. उसके पास करीब 280 लड़ाकू विमान हैं, जिनमें ज़्यादातर अमेरिका में बने फोर्थ जेनरेशन के F-15S और F-15C शामिल हैं. इसके अलावा जर्मनी से मिले यूरोफाइटर टाइफून और पनाविया टॉरनेडो जेट भी हैं. सऊदी अरब के पास अमेरिका निर्मित THAAD और पैट्रियट जैसी मिसाइल रक्षा प्रणालियां भी मौजूद हैं. सऊदी अरब की मिसाइल क्षमता के बारे में विस्तृत जानकारी अभी भी साफ नहीं है, लेकिन उसके पास चीन से खरीदी गई दो मध्य दूरी की मिसाइलें हैं-  DF-3 और DF-21. दोनों ही पारंपरिक मिसाइलें हैं, जिन्हें परमाणु हथियार दागने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि ज़रूरत पड़ने पर सऊदी अरब को पाकिस्तान से हथियार के अलावा परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों की भी ज़रूरत होगी.

रक्षा खर्च के मामले में PAK 29वें नंबर पर

फिर भी ये माना जा रहा है कि सऊदी अरब अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है. वैश्विक रक्षा खर्च के मामले में सऊदी अरब दुनिया में सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 29वें और भारत चौथे स्थान पर है. यह आंकड़े स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2024 की रिपोर्ट में दिए गए हैं.

Advertisement

 


भारत के लिए इस समझौते के मायने

भले ही ये समझौता इज़रायल और ईरान को ध्यान में रखकर किया गया हो, लेकिन इसने भारत में भी चिंता बढ़ा दी है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान जारी कर कहा कि हम इस समझौते के असर का अध्ययन करेंगे, ताकि समझ सके कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को कैसे प्रभावित कर सकता है. सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि भारत के हितों और व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा की जाए.

आतंकी हमले को 'एक्ट ऑफ वॉर' मानेगा भारत

बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया. ये ऑपरेशन 4 दिन तक चला. बाद में पाकिस्तान की गुहार पर इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया कि किसी भी नए आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई यानी एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा और ज़रूरत पड़ने पर ये अभियान फिर से शुरू किया जाएगा.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement