उत्तर प्रदेश ने मेरठ के वलेंटिस कैंसर अस्पताल के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. कैंसर अस्पताल ने एक विज्ञापन दिया था, जिसमें कहा गया था कि कैंसर के मुस्लिम मरीज अस्पताल आएं तो उनसे अनुरोध है कि वे अपना और अपने तीमारदारों का कोरोना टेस्ट कराएं और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही आएं.
इस विज्ञापन के आते ही विवाद शुरू हो गया. अब पुलिस ने यह कार्रवाई की है. विवाद होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने स्पष्टीकरण जारी कर खेद भी जताया था. अस्पताल से अपनी सफाई में कहा कि हॉस्पिटल की भावना हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई सब को साथ लेकर चलने की है. किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की हॉस्पिटल की मंशा कभी नहीं रही. पुलिस ने आईपीसी की धारा 188, 295-ए और 505(3) के तहत अस्पताल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर
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क्या था विवादित विज्ञापन?
मेरठ के वलेंटिस कैंसर अस्पताल ने 17 अप्रैल को अखबारों में एक विज्ञापन प्रकाशित कराया था. विज्ञापन में मुस्लिम समाज के बारे में कहा गया था कि तबलीगी जमात से कोरोना वायरस की बीमारी बढ़ रही है. मुस्लिम लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं. स्वच्छता का पालन नहीं कर रहे हैं. साथ ही वो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. विज्ञापन में कहा गया था कि थूकना, चिकित्सकों, नर्सों, और चिकित्सा कर्मियों को संक्रमित करने की उनकी इच्छा उनकी दुर्भावना को जाहिर करती है.
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'मुस्लिम कराएं कोरोना टेस्ट'
विज्ञापन में यह भी कहा गया था कि जो भी कैंसर के मुस्लिम मरीज अस्पताल आएं उनसे अनुरोध है कि वे अपना और अपने तीमारदारों का कोरोना टेस्ट कराएं और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही अस्पताल आएं. जिन मरीजों को इमरजेंसी में तुरंत भर्ती होने की आवश्यकता है उन्हें और उनके तीमारदार को कोरोना जांच के लिए प्रति व्यक्ति 4500 रुपये जमा कराने होंगे. हालांकि हॉस्पिटल की तरफ से यह भी कहा गया कि ये नियम मुस्लिम चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, जज, पुलिस, अफसर, शिया और अन्य मुस्लिम जो घनी मुस्लिम आबादी में नहीं रहते हैं, उन पर लागू नहीं होगा.
विज्ञापन पर हुआ विवाद
हिंदू-जैन कंजूस
मामला सिर्फ यहीं नहीं रुका. विज्ञापन में हिंदू और जैन अनुयायियों पर भी टिप्पणी की गई थी. विज्ञापन में हिंदू और जैन समुदाय के बारे में कहा गया कि इनमें अधिकांश लोग कंजूस हैं. उनसे आग्रह है कि वो प्रधानमंत्री केयर्स फंड में सहयोग राशि दें. देश की मदद करें.
अस्पताल ने मांगी माफी
विवादित विज्ञापन को जब लोगों ने पढ़ा तो खूब विवाद हुआ. अस्पताल को अगले दिन उसे स्पष्टीकरण और खंडन का विज्ञापन छापना पड़ा. अस्पताल ने सफाई में कहा कि हॉस्पिटल की भावना हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई सब को साथ लेकर चलने की है. किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की हॉस्पिटल की मंशा कभी नहीं रही. अगर किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो दिल से खेद व्यक्त करते हैं.
अस्पताल ने फिर विज्ञापन के जरिये दी सफाई
आज तक ने हॉस्पिटल के मैनेजमेंट से भी बातचीत की. जब हॉस्पिटल के मैनेजमेंट से फोन पर बात की गई तो डॉ. अमित जैन ने कहा कि हमारे विज्ञापन को गलत तरीके से लिया गया. जबकि हॉस्पिटल की मंशा सब को सतर्क और सहयोग करने की थी कि ये महामारी न फैले और जल्द इस पर लगाम लगे. अब पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है.