यौन उत्पीड़न केस में फंसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के प्रोफेसर अतुल जौहरी के केस की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में JNU की इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी को फैसला सुनाने का आदेश दे दिया. साथ ही हाईकोर्ट ने कमेटी से तीन हफ्ते में अपना जवाब देने के लिए भी कहा है.
जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी चूंकि जेएनयू के अंदर हुए शारीरिक शोषण के मामले सुनती है. ऐसे में वह इस मामले में दर्ज एफआईआर, जांच रिपोर्ट, शिकायत, गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला ले.
जस्टिस शकधर ने कहा कि कमेटी तय करे कि जौहरी को सस्पेंड किया जाए या कैंपस से निलंबित कर दिया जाए. बता दें कि जेएनयू के लाइफ साइंस विभाग में प्रोफेसर अतुल जौहरी पर उनकी कई छात्राओं ने यौन शोषण के केस किए हैं.
प्रोफेसर अतुल जौहरी को निलंबित करने और जेएनयू परिसर में प्रवेश पर रोक लगाने के लिए लगाई गई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आईसीसी) को मौजूद साक्ष्यों के अनुसार फैसला लेने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा आईसीसी अपनी पड़ताल में जो पाए वह अपनी सिफारिश वाइस चांसलर को भेज दे. इसके बाद वाइस चांसलर तय करेंगे कि आगे क्या करना है. कोर्ट ने तीन हफ्ते के भीतर इस मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल करने का भी आदेश दिया है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी साफ़ किया कि आईसीसी शिकायतकर्ताओं को जबरन अपने सामने पेश करने के लिए दबाव नहीं बना सकता. कोर्ट ने छात्राओं को अपना रिसर्च वर्क करने के लिए प्रयोगशाला नंबर 409 को पूरी सुविधा दिए जाने और अलग से सुपरवाइजर नियुक्त करने को भी कहा है.
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत हो तो प्रोफेसर जौहरी को भी अपने काम के लिए अलग से प्रयोगशाला मुहैया कराई जाए, लेकिन जौहरी किसी शिकायतकर्ता या गवाह से संपर्क नहीं करेंगे.
इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया है कि प्रोफेसर जौहरी को छात्राओं के किसी हॉस्टल का वार्डन नहीं बनाया जाए. कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को करेगा.
छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में दिल्ली पुलिस ने जौहरी के खिलाफ 8 मुकदमे दर्ज किए हैं. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई थी.