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भारत में पहले 'लोन वुल्फ' अटैक की साजिश नाकाम, पकड़े गए 2 ISIS संदिग्ध

गुजरात पुलिस को दहशत के खिलाफ जंग में अहम कामयाबी मिली है. अहमदाबाद एटीएस ने रविवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस के 2 संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा है. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सोमनाथ मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

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पुलिस गिरफ्त में खड़े संदिग्ध IS आतंकी
पुलिस गिरफ्त में खड़े संदिग्ध IS आतंकी

गुजरात पुलिस को दहशत के खिलाफ जंग में अहम कामयाबी मिली है. अहमदाबाद एटीएस ने रविवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस के 2 संदिग्धों को पकड़ा है. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सोमनाथ मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

खबरों के मुताबिक, एक आरोपी को भावनगर और दूसरे को राजकोट से धरा गया. संदिग्ध आतंकियों के नाम वसीम और नईम रामोदिया बताए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक दोनों क्रिकेट अंपायर आरिफ रामोदिया के बेटे हैं. आरिफ हाल ही में सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से रिटायर हुए हैं. उनका परिवार राजकोट के नेहरूनगर इलाके में रहता है.

संदिग्धों के पास से देसी बम, गन पाउडर, मास्क, कंप्यूटर समेत काफी सामान जब्त किया गया है. उनके कंप्यूटर और मोबाइल फोन से प्रतिबंधित साहित्य सामग्री भी बरामद की गई है. एटीएस के उप-अधीक्षक के.के. पटेल ने बताया कि दोनों संदिग्ध पिछले डेढ़ साल से पुलिस के रडार पर थे. आरोप है कि दोनों ट्विटर, फेसबुक और टेलीग्राम नाम के मैसेजिंग एप के जरिए आईएसआईएस के संपर्क में थे.

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पुलिस की मानें तो वसीम और नईम पश्चिमी देशों में हुए कई हमलों की तर्ज पर यहां भी 'लोन वुल्फ' हमलों को अंजाम देने की फिराक में थे. 'लोन वुल्फ' हमलों में अक्सर कोई बड़ा रैकेट नहीं होता. आतंकी इसे अपने स्तर पर ही अंजाम देते हैं. लिहाजा इन्हें रोकना ज्यादा कठिन होता है. माना जा रहा है कि दोनों संदिग्ध अगले कुछ दिनों में ये हमला करने वाले थे.

क्या होता है 'लोन वुल्फ' अटैक
'लोन वुल्फ' अटैक का मतलब ऐसा घातक हमला जिसे बिना टीम के अंजाम दिया जाता है. इस हमले के मॉड्यूल में अकेला आतंकी ही ऐसे हमले को अंजाम दे सकता है, जिसमें वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी जद में ले सके. दरअसल 'लोन वुल्फ' अटैक भेड़िए की तरह अकेले हमला करने की रणनीति है. इस अटैक में छोटे हथियारों, चाकुओं, ग्रेनेड का इस्‍तेमाल किया जाता है. ये ग्रुप लीडर से जुड़े बिना हमला करते हैं.

ISIS की मैगजीन में है 'लोन वुल्फ' अटैक का जिक्र
ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के लिए किसी अकेले आतंकी के काम करने का पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे हमले काफी कम खर्च में अंजाम दिए जाते हैं. हालांकि कई बार इसमें आतंकियों का ग्रुप भी शामिल हो जाता है. गौर हो कि आईएसआईएस की मैगजीन 'इंसपायर' में ऐसे हमले के बारे में जिक्र किया गया है.

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