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देश के सर्वोच्च आसन पर दलित, लेकिन दलितों पर अत्याचार बदस्तूर जारी

सत्तारूढ़ दल से लेकर लगभग हर राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने राजनीतिक लाभ के लिए दलितों के घर खाना खाने पहुंच जाता है, लेकिन दलितों की हालत देश में यह है कि गुजरात के पाटण में दलित कार्यकर्ता भानूभाई वणकर को आत्मदाह का रास्ता अख्तियार करना पड़ा.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

इस समय देश के सर्वोच्च आसन पर एक ऐसा व्यक्ति बैठा हुआ है, जो समाज में तथाकथित सबसे निचले तबके से आता है. लेकिन देश में दलित राष्ट्रपति के होने का भी कोई असर देखने को नहीं मिल रहा, बल्कि वर्ष 2018 में भी दलितों पर अत्याचार बदस्तूर जारी है.

सत्तारूढ़ दल से लेकर लगभग हर राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने राजनीतिक लाभ के लिए दलितों के घर खाना खाने पहुंच जाता है, लेकिन दलितों की हालत देश में यह है कि गुजरात के पाटण में दलित कार्यकर्ता भानूभाई वणकर को आत्मदाह का रास्ता अख्तियार करना पड़ा.

2018 के अभी 2 महीने भी नहीं गुजरे हैं और देश के विभिन्न हिस्सों से दलितों पर अत्याचार की दर्जनों खबरें अखबारों को स्याह कर चुकी हैं. इस साल अब तक दलित उत्पीड़न के कुछ चर्चित मामलों पर नजर डालते हैं-:

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उन्नाव में दलित लड़की को जिंदा जलाया

उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के विधानसभा क्षेत्र उन्नाव में अज्ञात लोगों ने दलित समुदाय की एक 19 वर्षीय लड़की को जिंदा जला दिया. बारासगवर थाना क्षेत्र के सथनीबाला खेड़ा गांव की रहने वाली पीड़िता गुरुवार की शाम सब्जी खरीदने के लिए साइकिल से बाजार जाने के लिए निकली थी. घर से महज 100 मीटर की दूरी पर खेतों के पास कच्ची सड़क पर पहुंचते ही बदमाशों ने लड़की को रोक लिया और खेतों की ओर खींच ले गए और पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया.

पाटण में दलित कार्यकर्ता ने किया आत्मदाह

गुजरात में दलितों को आवंटित जमीनों पर उन्हें कब्जा न मिलने के विरोध स्वरूप दलित कार्यकर्ता भानुभाई वणकर ने 15 फरवरी को पाटण के कलेक्टर ऑफिस के सामने आत्मदाह कर लिया. अगले दिन शुक्रवार की रात अस्पताल में उनकी मौत हो गई. इस मामले ने गुजरात में काफी तूल पकड़ा और दलितों का एक वर्ग सड़कों पर उतर आया. हालांकि दलित नेता और वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी को आंदोलन नहीं करने दिया गया और आंदोलन से पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया. लेकिन भानूभाई वणकर के आत्मदाह ने गुजरात में दलितों की स्थिति पर नए सिरे से विचार करने के लिए मजबूर जरूर कर दिया है.

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इलाहाबाद में दलित छात्र की पीट-पीटकर हत्या

इस घटना ने उत्तर प्रदेश में हर किसी के रोंगटे खड़े कर दिए. इलाहाबाद से LLB की पढ़ाई कर रहे 26 वर्षीय दिलीप सरोज की दबंगों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि रेस्टोरेंट में आते-जाते हुए दिलीप का पैर उनमें से किसी को लग गया था. 9 फरवरी की रात घटी इस सनसनीखेज घटना का सीसीटीवी वीडियो भी काफी वायरल हुआ. सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि दबंगों ने पीट-पीट कर दिलीप को अधमरा कर दिया. दबंग अचेतावस्था में पड़े दिलीप पर ईंट, पत्थरों और लोहे के रॉड से वार करते रहे. इस मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

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दलित युवती को 3 बार बेचा, बार-बार किया रेप

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की यह घटना खुद ही दलितों की स्थिति बयां करने के लिए काफी है. खरगोन के बलवाड़ा क्षेत्र में 26 वर्षीय एक दलित युवती को लाखों रुपये के बदले तीन बार बेचा गया. तीनों बार दरिंदों ने उसकी अस्मत लूटी. दरअसल तीन जून 2017 को बड़े भाई से नाराज होकर युवती अपनी मौसी के घर पीथमपुर जाने के लिए निकली थी. इसी दौरान बस में उसका परिचय अंतिम शितोले से हुआ. वह उसे इंदौर ले गया, जहां से अनिल तथा अल्पेश जैन के साथ वह युवती को राजस्थान के प्रतापगढ़ ले गया. लेकिन 8 फरवरी को तीन महिलाओं समेत आधा दर्जन लोगों की गिरफ्तारी के साथ मानव तस्करी के बड़े गैंग का भी खुलासा हुआ.

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'जय माता दी' के नारे के साथ दलित की पिटाई, वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में देवी-देवताओं का पोस्टर फाड़ने का आरोप लगाते हुए एक दलित युवक की लाठी-डंडों से पिटाई कर दी. हमलावरों ने दलित युवक से 'जय माता दी' के नारे भी लगाए और गालियां भी दीं. घटना 16 जनवरी की है और भीड़ की बर्बरता का शिकार हुए युवक का नाम विपिन कुमार है. वीडियो में दिख रहा है कि युवक को बेरहमी से पीटा जा रहा है. वह माफ़ी की गुहार लगाता रहता है, लेकिन लोग उस पर लगातार डंडे बरसाते रहते हैं. बाद में हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों ने देवी-देवताओं का अपमान करने पर एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. जिसके बाद विपिन और उसके साथी इस मामले में जेल भेज दिए गए थे.

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इस साल दलितों पर अत्याचार की इन सभी घटनाओं ने स्थानीय स्तर पर लोगों में उबाल ला दिया और लोगों ने नाराजगी व्यक्त करने के लिए छोटे-छोटे धरने भी दिए. यह घटनाएं बताती हैं कि सरकारों की तरफ से बड़े-बड़े वादे किए जाने के बावजूद समाज के सबसे दबे कुचले इस समुदाय के लिए कुछ नहीं किया जा रहा, बल्कि उलटे उनके खिलाफ नफरत की भावनाएं ही फैलाई जा रही हैं.

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