भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में खड़ा हुआ आंदोलन 27 अगस्त को एक नए मुकाम तक पहुंचता नजर आया, जब संसद में टीम अन्ना की मांगों पर सभी दलों ने अपनी-अपनी राय जाहिर की. सिविल सोसायटी की मांगों पर गंभीरता से विचार करने के दौरान संसद ने एक तरह से नया इतिहास भी रचा.
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टीम अन्ना की मांगों पर देश के बड़े राजनीतिक दलों ने मोटे तौर पर अपना नजरिया सदन में रखा. सभी पार्टियों ने इस बात पर सहमति जताई कि मजबूत लोकपाल बिल का गठन होना चाहिए. लोकसभा में वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के प्रस्ताव के बाद इस पर चर्चा शुरू हुई.
बीजेपी का नजरिया
लोकसभा में बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज ने पार्टी का पक्ष रखा. लोकपाल मुद्दे पर बने संवेदनशील माहौल के बीच लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने अन्ना हजारे की जनलोकपाल विधेयक की 3 प्रमुख मांगों पर खुलकर अपनी सहमति जाहिर कर दी.
लोकसभा में लोकपाल पर चर्चा लाइव...
केन्द्र तथा राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किए जाने, शिकायत निवारण प्रक्रिया को मजबूती प्रदान किए जाने तथा निचले स्तर की नौकरशाही को अधिक जवाबदेह बनाने की व्यवस्था किए जाने संबंधी अन्ना टीम की तीन प्रमुख मांगों पर उन्होंने पूर्ण समर्थन जताया.
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस की ओर से लोकसभा में संदीप दीक्षित ने तीनों महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सत्ता पक्ष की ओर से सशर्त सहमति जाहिर कहा कि सरकार पूरी तरह अन्ना के साथ है. न्यायपालिका के संबंध में उन्होंने कहा कि इसके लिए अलग से न्यायिक जवाबदेही विधेयक पहले से ही तैयार है और उसमें अन्ना के सुझाव शामिल किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर अंकुश नहीं लगाया जाना चाहिए.
संदीप दीक्षित ने भी बीजेपी की इस बात से पुरजोर सहमति जतायी कि संसद के भीतर सांसदों के व्यवहार पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं लगाया जाना चाहिए अन्यथा वे प्रभावी तरीके से जनता की आवाज को प्रतिनिधित्व नहीं दे सकेंगे.
समाजवादी पार्टी की राय
सपा के रेवती रमण सिंह ने कहा कि आबादी के अनुपात के अनुसार लोकपाल में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायापालिका के लिए अलग से आयोग बने, जो न्यायाधीशों की नियुक्ति से लेकर न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर निगाह रखे.
बसपा का मत
बसपा के दारा सिंह चौहान ने भी लोकपाल में अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ों और अकलियतों की हिस्सेदारी की मांग की और कहा कि लोकायुक्त बनाने के राज्यों के अधिकारक्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया जाए.
जदयू का वक्तव्य
जदयू के शरद यादव ने अन्ना पक्ष की तीनों बातों को लोकपाल विधेयक में शामिल किए जाने का समर्थन करते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों को प्रस्तावित संस्था में उचित स्थान देने की मांग दोहराई.
तृणमूल कांग्रेस का रुख
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने पर उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है और वे राज्यों में लोकायुक्तों के पक्ष में भी हैं, लेकिन उसके लिए उन्होंने राज्यों के विशेषाधिकार का जिक्र किया. बंदोपाध्याय ने कहा कि जनता की शिकायत के निवारण की प्रणाली को भी कुछ संशोधनों के बाद लाया जा सकता है.
द्रमुक की राय
द्रमुक के टीकेएस इलनगोवन ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यों को स्वायत्तता के पक्ष में है, इसलिए लोकायुक्तों के गठन का फैसला राज्यों पर छोड़ा जाए. निचले स्तर के अधिकारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने से लंबित मामलों का बोझ बढ़ेगा. हालांकि उन्होंने मांग की कि लोकपाल को उच्च अधिकारियों को अन्य कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश देने का अधिकार दिया जा सकता है.