
Mobile and Chain Snatching Cases in Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक अपराध पुलिस के लिए चुनौती बनता जा रहा है और वो जुर्म है स्नैचिंग का. जिसका शिकार आम जन ही नहीं, खास लोग भी हुए हैं. 1 अगस्त से 17 सितंबर 2025 तक यानी 48 दिनों में चेन और मोबाइल स्नैचिंग के सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जो दिल्लीवालों के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं. इस दौरान चेन स्नैचिंग और मोबाइल चोरी के मामलों ने महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं को डर के साए में जीने को मजबूर किया है. हालांकि दिल्ली पुलिस की त्वरित कार्रवाई, ‘ऑपरेशन गोल्डन ट्रैप’ और ‘मिशन रिकनेक्ट’ जैसे प्रयासों ने लोगों को कुछ राहत ज़रूर दी है, लेकिन रिकवरी दर केवल 30-35% ही रही है. आइए जानते हैं, दिल्ली की सड़कों पर छिपे स्नैचिंग खतरों और सुरक्षा उपायों की पूरी कहानी.
सांसद से चेन स्नेचिंग
इसी साल 4 अगस्त का दिन था. दिल्ली के हाई सिक्योरिटी वाले चाणक्यपुरी इलाके में सुबह एक सनसनीखेज वारदात से हड़कंप मच गया. वहां मॉर्निंग वॉक पर निकलीं तमिलनाडु की कांग्रेस सांसद आर. सुधा चेन स्नैचिंग का शिकार हो गईं. बेखौफ बदमाश महिला सांसद की गोल्ड चेन लेकर फरार हो गया. दिल्ली पुलिस में हड़कंप मच गया. नई दिल्ली जिला और साउथ जिला पुलिस की कई टीमें एक्शन में थीं. दोनों जिलों की पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन चलाकर आखिरकार आरोपी को धरदबोचा. जांच के दौरान करीब 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई. तकनीकी सर्विलांस और फिजिकल ट्रैकिंग के सहारे आरोपी की शिनाख्त की गई. आरोपी की वह स्कूटी भी बरामद कर ली गई, जिसका इस्तेमाल स्नैचिंग की वारदात में किया गया था. यही नहीं, महज कुछ घंटों में ही पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए महिला सांसद की चेन रिकवर की और उन्हें वापस भी लौटा दी. जाहिर है मामला हाई प्रोफाइल था, तो पुलिस ने कोई कोताही नहीं बरती.
एक आम लड़की से स्नेचिंग
ये मामला था एक सांसद की चेन स्नेचिंग की. लाजमी है दिल्ली पुलिस ने बेहद तेजी से काम किया. लेकिन बात अब दिल्ली में रहने वाली एक आम लड़की की. जो नोएडा में काम करती है. प्रियंका एक साल पहले दिल्ली में ही मोबाइल स्नेचिंग का शिकार बनी. लेकिन उनके मामले में आज तक कुछ नहीं हुआ. प्रियंका ने हमसे बातचीत करते हुए बताया कि वो 10 मार्च 2024 की रात थी. उस दिन वह नोएडा में मौजूद अपने ऑफिस से घर जाने के लिए निकली थी. शाम का वक्त था, लेकिन काम में देर हो जाने के कारण करीब रात 9 बजे वो ऑफिस से निकली. वो बाइक से अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली के बुराड़ी की तरफ जा रहे थे. प्रियंका अपने दोस्त की बाइक पर पीछे बैठी थी.
रास्ते में काफी ट्रैफिक था, इसलिए उन्होंने एक अलग रास्ता चुना और ITO के पास की एक सड़क से गुजरने लगे. उसे इस इलाके का ज्यादा पता नहीं था, इसलिए वह अपने मोबाइल फोन पर लोकेशन देख-देखकर अपने दोस्त को रास्ता बता रही थी. तभी, अचानक पीछे से एक स्पोर्ट्स बाइक तेज रफ्तार से उनके करीब आई. बाइक पर बैठा शख्स ने एकदम पास आकर प्रियंका के हाथ से मोबाइल फोन झपटा और बिजली की तरह आगे निकल गया. ये सब कुछ पलक झपकते ही हो गया. वो घबराकर जोर-जोर से चिल्लाई, और उसके दोस्त ने बिना देर किए बाइक घुमा कर उसका पीछा किया, लेकिन वह चोर ट्रैफिक और भीड़ का फायदा उठाकर कहीं गायब हो गया.
प्रियंका हमें बताती है, 'घटना से मैं हिल गई थी. जैसे ही होश संभाला, हम पास के पुलिस स्टेशन पहुंचे. वहां मैंने पूरी घटना पुलिस को बताई और अपनी शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मुझे सुना और नोट किया, लेकिन उनकी बात सुनकर मेरा मन और भारी हो गया. उन्होंने साफ कहा कि ऐसे मामलों में मिसिंग फोन वापस मिलना बहुत मुश्किल होता है.'
प्रियंका कहती हैं, 'मेरे लिए यह फोन सिर्फ एक गैजेट नहीं था, उसमें मेरी कई पर्सनल चीजें, यादें और जरूरी फोटोज थीं, जिनका कोई दूसरा विकल्प नहीं था. फोन खोने के साथ मुझे लगा जैसे मेरी निजी जिंदगी का एक हिस्सा भी मुझसे छिन गया हो. इसके बावजूद, मैंने हार नहीं मानी. मैं कई बार पुलिस स्टेशन गई, हर बार इस उम्मीद के साथ कि शायद कोई अच्छी खबर मिले. लेकिन हर बार जवाब वही होता- “अभी तक कोई अपडेट नहीं है.” आज भी वो उम्मीद लगाए बैठी है कि शायद किसी दिन उनका फोन वापस मिल जाए.

ऊपर जो दो कहानी मैंने आपको बताई हैं, उन्हें देखकर साफ पता चलता है कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई इस बात पर निर्भर करती है कि पीड़ित कौन है? उसका पद क्या है? उसकी पहुंच क्या है? बीते अगस्त की 1 तारीख से लेकर अब तक ऐसे कितने ही मामले सामने आए हैं. लेकिन कार्रवाई और बरामदगी में काफी अंतर है.
स्नैचिंग का बढ़ता खतरा
1 अगस्त से 17 सितंबर 2025 तक के 48 दिनों में चेन स्नैचिंग के लगभग 650-700 मामले दर्ज हुए. जिनमें महिलाओं और बुजुर्गों को मुख्य रूप से निशाना बनाते हैं. इसी अवधि में मोबाइल स्नैचिंग के 500-550 केस सामने आए, जो कुल स्नैचिंग का 60-70% हिस्सा हैं. दिल्ली पुलिस के अनुसार, जनवरी से जून 2025 तक कुल 2,500 स्नैचिंग मामले सामने आए थे, जिनमें प्रति दिन औसतन 14 घटनाएं दर्ज की गईं. यह प्रवृत्ति शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों और मेट्रो स्टेशनों पर अधिक दिखाई देती है. अनुमान है कि हर दो घंटे में एक स्नैचिंग होती है, हालांकि आंकड़े विभिन्न स्रोतों से मेल नहीं खाते. पुलिस का कहना है कि गर्मियों और मानसून के कारण अपराधी बाइक पर तेजी से भाग जाते हैं. नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है.
चेन स्नैचिंग के आंकड़े
चेन स्नैचिंग दिल्ली में स्नैचिंग का 50-60% हिस्सा है, जो मुख्यतः महिलाओं को प्रभावित करती है. 1 अगस्त से 17 सितंबर 2025 तक अनुमानित 650-700 मामले दर्ज हुए, जो जनवरी-जून के औसत पर आधारित हैं. दिल्ली पुलिस के डेटा से पता चलता है कि कुल स्नैचिंग में चेन के मामले प्रमुख हैं, क्योंकि चोर इन्हें पिघला कर बेच देते हैं. इस अवधि में द्वारका, चानक्यपुरी और सफदरजंग जैसे इलाकों में घटनाएं बढ़ीं. X पर दिल्ली पुलिस के अपडेट्स से 15 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं. अनुमानित रूप से प्रति दिन 14 मामले होते हैं, लेकिन सटीक आंकड़े मासिक अपडेट्स में ही उपलब्ध हैं. बुजुर्ग महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार होती हैं, क्योंकि वे सुबह की सैर पर निकलती हैं. ऐसी वारदातों को रोकने के मकसद से ही पुलिस ने सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 5,000 से अधिक CCTV लगाए हैं.
मोबाइल स्नैचिंग की स्थिति
मोबाइल स्नैचिंग दिल्ली के स्ट्रीट क्राइम का बड़ा हिस्सा है. 1 अगस्त से 17 सितंबर 2025 तक लगभग 500-550 मामले दर्ज हुए. जनवरी-जून 2025 में कुल 2,000-2,500 स्नैचिंग में से मोबाइल के 1,400 मामले थे. 2025 में 37% गिरावट आई, लेकिन अगस्त-सितंबर में प्रति दिन 11-12 घटनाएं हुईं. उत्तर-पूर्व, पश्चिम और पूर्व दिल्ली में अधिक केस रिपोर्ट हुए हैं. X अपडेट्स से 15 से ज्यादा गिरफ्तारियां और 20 से ज्यादा मोबाइल रिकवर हुए. स्नेचिंग करने वाले अपराधी IMEI ट्रैकिंग से बचने के लिए फोन तोड़ या बेच देते हैं. खासकर मेट्रो और बाजारों में युवा और कामकाजी लोग इनके मुख्य शिकार बनते हैं. पुलिस ने पैट्रोलिंग बढ़ाई है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं.

चेन स्नैचिंग की प्रमुख घटनाएं
- 4 अगस्त 2025 को चाणक्यपुरी इलाके में क्रांगेस सांसद आर. सुदा की चेन स्नैचिंग ने सुर्खियां बटोरीं. सुबह की सैर के दौरान बाइक सवार ने चेन छीन ली, लेकिन 48 घंटों में आरोपी गिरफ्तार हो गया और चेन रिकवर कर पीड़ित को लौटा दी गई.
- 7 अगस्त 2025 को सफदरजंग एन्क्लेव में एक डॉक्टर की चेन स्नैच हुई, जहां 6 चेनें रिकवर हुईं और आरोपी पकड़े गए.
- 16 अगस्त को द्वारका में 'ऑपरेशन गोल्डन ट्रैप' के तहत 5 मामले सॉल्व हुए, 2 चेनें बरामद की गईं.
- 12 अगस्त को शकरपुर और 20-21 अगस्त को राजेंद्र नगर में वीडियो फुटेज मिलने के बाद जांच जारी है.
X पर वायरल वीडियो से पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की. ये घटनाएं दिखाती हैं कि VIP मामलों में रिस्पॉन्स तेज होता है. नागरिकों को e-FIR दर्ज करने की सलाह दी जाती है.
मोबाइल स्नैचिंग की प्रमुख घटनाएं
- 15 सितंबर 2025 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में 2 स्नैचर्स गिरफ्तार हुए, जिनके कब्जे से 4 मोबाइल रिकवर किए गए.
- 14 सितंबर को पश्चिम दिल्ली में आदतन अपराधी पकड़ा गया, उसके कब्जे से 2 मोबाइल बरामद किए गए.
- 13 सितंबर को पूर्व दिल्ली में 3 स्नैचर्स (1 CCL सहित) गिरफ्तार किए गए. उनके पास से 2 मोबाइल रिकवर हुए.
- 12 सितंबर को उत्तर-पश्चिम में रोबरी मामला सॉल्व किया गया, 1 मोबाइल फोन बरामद हुआ.
- 09 सितंबर को सेंट्रल दिल्ली में 2 रोबर्स पकड़े गए, 1 मोबाइल रिकवर हुआ.
- 05 अगस्त को उत्तर-पूर्व में 2 आरोपी गिरफ्तार किए गए और 1 मोबाइल बरामद किया गया.
इसके अलावा IMEI ट्रैकिंग से कई रिकवरी हुईं हैं. X पर दिल्ली पुलिस ने ये अपडेट्स शेयर किए हैं. ये घटनाएं बाजारों और सड़कों पर हुईं. अपराधी ज्यादातर बाइक पर सवार होते हैं.

रिकवरी के आंकड़े
चेन स्नैचिंग की अगर बात की जाए तो लगभग 150-200 चेनें रिकवर हुईं हैं, जिनमें 100-120 पीड़ितों को लौटा दी गईं हैं. मोबाइल में लगभग 150 से180 रिकवर हुए हैं. जिनमें से 100-120 वापस लौटा दिए गए हैं. साल 2025 में स्नैचिंग की डिटेक्शन रेट 30-35% है, जबकि मोबाइल का 33%. इस साल सैकडों मोबाइल रिकवर हुए हैं. 'मिशन रिकनेक्ट' से मोबाइल रिकवरी बढ़ी है. इसी तरह से छोटी बरामदियां जैसे 1 से 6 चेनें गैंग बस्ट से मिलीं हैं. X पर पुलिस ने रिकवरी के वीडियो शेयर किए हैं. ज्यादातर चोर चेन पिघला देते हैं, इसलिए रिकवरी कम होती है. लेकिन मोबाइल में IMEI मददगार साबित होता है. कुल मिलाकर, रिकवरी दर कमजोर है.
चेन रिकवरी प्रक्रिया
रिकवर चेन को लौटाने में 7-30 दिन लगते हैं. IPC 392 (लूट) या 379 (चोरी) के तहत कोर्ट की मंजूरी जरूरी होती है. VIP मामलों में 2-3 दिन, जैसे सांसद आर. सुधा का मामला था. सामान्य तौर पर फॉरेंसिक जांच के बाद वापसी में 1 से 4 सप्ताह का वक्त लग जाता है. ऐसे में प्रॉपर्टी थेफ्ट पोर्टल से ट्रैक किया जा सकता है. कई मामलों में रिकवरी के बाद भी 4 महीने या उससे ज्यादा वक्त लग सकता है. हालांकि मिशन रिकनेक्ट से वापसी में तेजी आई. X पर पीड़ितों ने देरी की शिकायत की है. कोर्ट में एग्जिबिट के रूप में पेश करने की वजह से इस प्रक्रिया में समय लगता है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने प्रक्रिया सरल बनाने का प्रयास किया है.
मोबाइल रिकवरी प्रक्रिया
मोबाइल रिकवरी में 7-90 दिन (1 सप्ताह से 3 महीने) लगते हैं. ऐसे मामलों में कोर्ट की मंजूरी, IMEI वेरिफिकेशन जरूरी होते हैं. तेज मामलों में 20-30 दिन, जैसे मेट्रो यूनिट ने 450 से ज्यादा मोबाइल लौटाए. सामान्य रूप में 1-3 महीने लगते हैं. लेकिन पुराने केस में 2 साल तक भी लग सकते हैं. क्राइम ब्रांच ने 4 महीनों में 117 मोबाइल फोन लौटाए हैं. UMANG ऐप या 'प्रॉपर्टी थेफ्ट' पोर्टल से स्टेटस चेक किया जा सकता है. यूजर को IMEI सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है. X पर रिकवरी स्टोरीज वायरल होती हैं. तस्करी रोकने के लिए CEIR ब्लॉकिंग मददगार है. अब पुलिस ने अंतरराज्यीय गैंग्स पर नजर रखना शुरू कर दिया है.
दिल्ली पुलिस ने स्नैचिंग और चोरी जैसी वारदातों पर लगाम लगाने के लिए कई विशेष अभियान चलाए हैं. जिनमें ‘ऑपरेशन गोल्डन ट्रैप’ और ‘मिशन रिकनेक्ट’ अहम भूमिका निभा रहे हैं. आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:
ऑपरेशन गोल्डन ट्रैप (Operation Golden Trap)
यह अभियान खास तौर पर चेन स्नैचिंग और गहनों की चोरी को रोकने के लिए शुरू किया गया है. जिसका उद्देश्य महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा निशाना बनाने वाले चेन स्नैचर्स पर कार्रवाई करना और चोरी हुए सोने-चांदी के गहनों की रिकवरी करना है. जिसकी रणनीति के तहत-
ऑपरेशन का नतीजा
अगस्त 2025 में द्वारका जिले में ‘ऑपरेशन गोल्डन ट्रैप’ चलाकर पुलिस ने 5 चेन स्नैचिंग मामलों का समाधान किया और 2 चेनें रिकवर कीं. इससे कई छोटे गैंग का पर्दाफाश हुआ और गिरफ्तारी भी हुई. कुल मिलाकर, यह ऑपरेशन चेन स्नैचिंग पर नकेल कसने के लिए पुलिस का “ट्रैप और रिकवर” मॉडल है.
मिशन रिकनेक्ट (Mission Reconnect)
यह दिल्ली पुलिस का एक स्पेशल इनिशिएटिव है, जो खासतौर पर मोबाइल स्नैचिंग और मोबाइल चोरी पर केंद्रित है. इसका मकसद चोरी या छिने हुए मोबाइल फोन को पीड़ितों तक जल्दी लौटाना और अपराधियों के नेटवर्क को खत्म करना है. इसकी रणनीति के मुताबिक-
मिशन का नतीजा
2025 में सिर्फ एक तिमाही में ‘मिशन रिकनेक्ट’ के तहत 450 से ज्यादा मोबाइल फोन रिकवर कर पीड़ितों को लौटाए गए हैं. इससे रिकवरी का औसत समय 3-6 महीने से घटकर 20-30 दिन तक आ गया है. IMEI आधारित रिकवरी से कई स्नैचिंग गैंग का पर्दाफाश हुआ है. संक्षेप में कहें तो, यह मिशन पुलिस और पीड़ित के बीच “रिकवरी से लेकर री-कनेक्ट” की प्रक्रिया को तेज करता है.
रोकथाम के उपाय
स्नैचिंग रोकने के लिए CCTV कैमरों से निगरानी और पैट्रोलिंग बढ़ी है. सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 5,000 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं. e-FIR (delhipolice.gov.in) से रिपोर्टिंग आसान हो गई है. घटना को 112 डायल करके रिपोर्ट किया जा सकता है. मोबाइल में Find My Device चालू रखें. बाहर जाते वक्त कम मूल्यवान चेन पहनें. 'मिशन रिकनेक्ट' से रिकवरी तेज हुई है, लेकिन राजधानी के कुछ इलाकों में लाइटिंग सुधारने की ज़रूरत है. महिलाओं के लिए स्पेशल टीम बनाई गई हैं. ऐसे मामलों में रोकथाम के लिए नागरिक सहयोग जरूरी है.
चुनौतियां और कमी
दिल्ली में स्नैचिंग के मामलों में कुछ कमी तो आई है, लेकिन स्ट्रीट क्राइम एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं. X पर शिकायतें देखने को मिली हैं कि रोहिणी, राजेंद्र नगर में बिजली की कमी से स्नेचिंग का खतरा बना रहता है. कानून संशोधन का प्रस्ताव है. ऐसे मामलों में जनता में जागरूकता कम नजर आती है. दिल्ली पुलिस 2025 में स्नैचिंग कम करने के लिए कमिटेड है. 'प्रॉपर्टी थेफ्ट' पोर्टल से ट्रैकिंग करें. e-FIR और 112 से त्वरित मदद लें. नागरिक सतर्क रहें. X पर दिल्ली पुलिस के अपडेट्स फॉलो करें. महिलाओं-बुजुर्गों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने की ज़रूरत है.
(नोट- इस मामले में हमने दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता से फोन पर बात करने के लिए मैसेज किया और दो बार कॉल भी किया लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस स्टोरी में दिए गए सभी आंकड़े दिल्ली पुलिस से जुड़ी खबरों, इंटरनेट समाचार माध्यमों, सूत्रों और एआई की मदद से निकाले गए हैं.)