दिल्ली की एक अदालत ने साल 2014 में महिला पर एसिड फेंकने के मामले में एक डॉक्टर को 12 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह अपराध केवल अमानवीय ही नहीं बल्कि उस भरोसे से भी विश्वासघात है, जिसे पीड़िता ने आरोपी पर जताया था. कोर्ट ने दोषी को भारतीय दंड संहिता की धारा 326ए और धारा 120बी के तहत दोषी ठहराते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौम्या चौहान की अदालत ने डॉक्टर अशोक यादव (42) और उसके साथी वैभव (32) के खिलाफ सजा पर सुनवाई की, जिसमें यह साबित हो गया कि पूरी साजिश का मास्टरमाइंड अशोक यादव ही था. वह बार-बार पीड़िता को शादी का प्रस्ताव देता रहा, लेकिन महिला ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उसकी शादी कहीं और तय हो गई. इससे बौखलाए अशोक ने बदला लेने के लिए खौफनाक योजना बनाई.
पीड़ित महिला का चेहरा बिगाड़ने और उसकी जिंदगी तबाह करने के लिए अशोक यादव ने अपने दोस्त वैभव को अपने साथ शामिल किया. दोनों ने मिलकर महिला पर एसिड फेंकने की योजना बनाई. इतना ही नहीं, शक से बचने के लिए आरोपी ने महिला का बैग लूटने का भी प्लान बनाया, ताकि पूरे मामले को डकैती का रूप दिया जा सके. हालांकि, पुलिस की जांच में उसकी रची गई पूरी साजिश उजागर हो गई.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एमबीबीएस की पढ़ाई और डॉक्टरी की डिग्री भी आरोपी की सोच को नहीं बदल सकी. डॉक्टर होने के बावजूद उसने मानवता, परोपकार और अहिंसा की शपथ को त्याग दिया और एक निर्दोष महिला की जिंदगी बर्बाद करने का रास्ता चुना. बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि चूंकि एसिड सिरिंज से फेंका गया था, इसलिए आरोपी का महिला को मारने कोई इरादा नहीं था.
अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि एसिड सीधे महिला के चेहरे और आंख पर फेंका गया था. इस हमले में उसकी दाहिनी आंख इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई कि उसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने बचाव पक्ष की इस बात को भी खारिज कर दिया कि महिला सामान्य जीवन जी रही है, शादीशुदा है और डॉक्टर के तौर पर काम कर रही है. इसलिए अपराध की गंभीरता कम आंकी जानी चाहिए.
अदालत ने कहा, ''यह आरोपी का इरादा ही था कि महिला इस हमले के बाद दयनीय जिंदगी जिए. लेकिन पीड़िता पौराणिक पक्षी फीनिक्स की तरह राख से उठ खड़ी हुई. उसने इस भयावह घटना से हुए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक आघात से जूझकर अपनी जिंदगी को फिर से खड़ा किया. यह उसका साहस और दृढ़ता है, लेकिन इसका लाभ दोषी को नहीं दिया जा सकता.''
अदालत ने अपने फैसले में उस दर्दनाक पहलू का भी ज़िक्र किया, जब घटना के बाद पीड़िता ने मदद के लिए सबसे पहले उसी अशोक यादव को फोन किया, जिस पर वह भरोसा करती थी. लेकिन वही उसका सबसे बड़ा गुनहगार निकला, जिसने दोस्ती का नाटक करते हुए उसके चेहरे पर एसिड फेंकने की साजिश रची थी.