बिहार काडर के चर्चित IAS अफसर संजीव हंस को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज की गई रेप की एफआईआर रद्द कर दी है. उन्होंने अपने ऊपर लगे रेप के आरोप को निरस्त करने के लिए क्रिमिनल रिट याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की थी.
बिहार की राजधानी पटना के रूपसपुर थाने में एक पीड़िता ने आईएएस संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था. उसके बाद आईएएस अफसर ने हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्हें तब तत्काल राहत मिल गई थी, याचिका पर सुनवाई चल रही थी.
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए फैसले की तारीख 6 अगस्त को मुकर्रर करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद आईएएस अफसर संजीव हंस को बड़ी राहत देते हुए कोर्ट ने केस रद्द कर दिया, क्योंकि एफआईआर देर से दर्ज कराई गई थी.
इस मामले में पटना के तत्कालीन एसएसपी राजीव मिश्रा द्वारा पर्यवेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ईडी ने जांच शुरू की थी, जिसमें स्पष्ट रूप से बड़े स्तर पर पैसे के लेन-देन का उल्लेख किया गया था. इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि पीड़िता ने आईएएस अफसर पर गैंगरेप का आरोप लगाया है.
इस रिपोर्ट में शामिल फंड के स्रोत का पता लगाने की मांग की गई. पर्यवेक्षण रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि संजीव हंस ने चंडीगढ़ में सुरेश प्रसाद सिंघला के नाम पर 95 करोड़ रुपए में एक रिसॉर्ट खरीदा था, जिसके बाद ईडी अधिकारियों ने उनकी निर्माण फर्म के कार्यालयों पर छापेमारी की थी.
आरोपियों पर पीड़िता के अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने के अलावा आपराधिक यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था. इतना ही नहीं यौन उत्पीड़न के बाद पीड़िता का गर्भपात कराया गया. पर्यवेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया कि आईएएस संजीव हंस स्पष्ट रूप से केस से जुड़े हुए हैं.
ईडी की कार्रवाई के बाद बिहार सरकार ने विवादित आईएएस अधिकारी संजीव हंस को उनके पद से हटा दिया था. इस संबंध में राज्य सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना भी जारी कर दी थी. आरजेडी ने राज्य सरकार पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाते हुए दागी अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था.