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कोरोना से ठीक होने के बाद भी खतरा बरकरार, हो सकती हैं कई गंभीर परेशानियां

द जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 सरवाइवर्स यानी कोराना संक्रमण से जो लोग बच गए हैं, उनमें से कुछ लोगों में एक दुर्लभ बीमारी विकसित हो सकती है जो शरीर के कई अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना सरवाइवर के सामने चुनौतियां
  • द जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन का दावा
  • हृदय रोग, दिल का दौरा से हो सकते हैं पीड़ित

दुनिया भर में कोरोना वायरस की चपेट में आए करीब 4 करोड़ से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि संक्रमण के बाद बीमारी की शुरुआती जंग जीत लेना ही काफी नहीं है. कोरोना पॉजिटिव हुए एक मरीज को ठीक होने में दो या तीन हफ्ते का समय लगता है, लेकिन अब वैज्ञानिक कह रहे हैं कि बीमारी अगले कुछ महीनों में अलग-अलग रूप में वापस आ सकती है.

द जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) के ताजा अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 सरवाइवर्स यानी कोराना संक्रमण से जो लोग बच गए हैं, उनमें से कुछ लोगों में एक दुर्लभ बीमारी विकसित हो सकती है जो शरीर के कई अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकती है. पूरी दुनिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र के लिए ये एक बड़ी चुनौती हो सकती है. 

कोरोना वायरस सरवाइवर व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है. इसकी वजह से ठीक हो चुके मरीज को आगे चलकर कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां जैसे दौरा, हृदय रोग, दिल का दौरा जैसी बीमारियां हो सकती हैं जो अचानक मौत की वजह बन सकती हैं. इस अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 वायरस का संक्रमण आगे चलकर इस तरह की गंभीर बीमारी में तब्दील हो सकता है जो शरीर के कई अंगों को (multi-system hyper inflammatory syndrome) क्षतिग्रस्त कर सकता है. इससे सरवाइवर के शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं.

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यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अटलांटा, जार्जिया से जुड़े और इस रिसर्च के लेखक एस देबलीना दत्ता ने इस अध्ययन में कहा है, “SARS-CoV-2 संक्रमण के बाद बच्चों और वयस्कों दोनों में एक दुर्लभ बीमारी (multi system inflammatory illness) के लक्षण देखे गए हैं जो कई अंगों को खराब कर सकते हैं. जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं उनमें शुरुआती बीमारी से अलग, वायरस के प्रभाव और कोशिकाओं के मृत हो जाने से चलते शरीर में कई अंग खराब हो सकते हैं.” 

द जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) के रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण को तीन चरण में बांटा गया है. पहले चरण में बुखार, कफ, सांस लेने में तकलीफ के साथ संक्रमण होता है और RTPCR टेस्ट के जरिये मरीज को पॉजिटिव पाया जाता है. इसमें कहा गया है कि ये बाद की बीमारियां जरूरी नहीं कि सिर्फ उनमें हों जिनमें बीमारी के स्पष्ट लक्षण रह चुके हैं, बिना लक्षण वाले मरीज भी बाद की परेशानियों से पीड़ित हो सकते हैं.

दूसरे चरण के लक्षण शुरुआती संक्रमण के 2 से 5 हफ्ते के बाद दिखने शुरू होते हैं. कोरोना वायरस खास तौर से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. हालांकि, इस दूसरे चरण में शरीर के कई दूसरे अंगों में परेशानी हो सकती है जो शुरुआती संक्रमण के दौरान प्रभावित नहीं हुए थे. इस चरण में मरीजों को हृदय, पाचन तंत्र और त्वचा संबंधी लक्षण हो सकते हैं.   

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तीसरे चरण में मरीजों में संक्रमण के 60 दिनों के बाद थकान, सांस फूलना, जोड़ों में दर्द और सीने में दर्द के लक्षण हो सकते हैं. अध्ययन के अनुसार, 87% मरीज जो पहले अस्पताल में भर्ती हो चुके थे, उनमें संक्रमण की शुरुआत के 60 दिनों के बाद भी एक या एक से ज्यादा लक्षण पाए गए.

एम्स में पल्मोनरी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर जीसी खिलनानी ने इंडिया टुडे को बताया कि ये चरण तुलनात्मक रूप से गंभीर है और वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम को निष्क्रिय कर देता है इसलिए ये जानलेवा हो सकता है.

डॉक्टर खिलनानी ने कहा, “बीमारी का ये चरण काफी गंभीर है और जानलेवा हो सकता है. इसमें मरीज को आईसीयू देखभाल की जरूरत पड़ सकती है. इसलिए अगर शुरुआती रिकवरी के बाद बुखार, खांसी, कम ऑक्सीजन लेवल या सीने में परेशानी के लक्षण हैं तो फिर मरीज और उसके परिवार को इससे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.”

विशेषज्ञों की सलाह है कि कोविड-19 वाले रोगियों की देखभाल दो हफ्ते तक तो नहीं ही रुकनी चाहिए, इसके बाद भी मरीजों की देखभाल दवा और उचित चिकित्सा सहायता के साथ जारी रखना चाहिए जिसमें फिजियोथेरेपी और काउंसिलिंग शामिल हैं.

खिलनानी ने आगे कहा, “संक्रमण के बाद की बीमारी की पहचान हमें रोग के इस चरण के उपचार और थेरेपी में मदद करेगी और मरीजों को गैरजरूरी महंगी एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.”

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भारत ने मंगलवार सुबह तक 94 लाख से ज्यादा कोरोना केस दर्ज किए जा चुके हैं. इनमें से लगभग 93 प्रतिशत मरीज ठीक हो चुके हैं और अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है. हालांकि, ठीक हो चुके लोगों को इस शोध के मुताबिक, आगे भी सावधान रहने की जरूरत है.

 

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