कोरोना का बढ़ता संकट एक बार फिर भारत में चिंताएं बढ़ा रहा है. इस बीच वैक्सीनेशन का काम भी तेज़ी से चल रहा है. दुनिया के कुछ देशों ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन में दिक्कत आने के बाद अस्थाई रूप से उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. हालांकि, भारत में लगातार वैक्सीनेशन चल रहा है लेकिन कुछ मामले ऐसे आए हैं जहां वैक्सीन लेने के बाद व्यक्ति की हालत गंभीर हुई है.
भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, शनिवार तक भारत में वैक्सीनेशन के बाद कुल 71 मौत दर्ज की गई हैं. हालांकि, इन मौतों का वैक्सीनेशन से कोई सीधा संबंध सिद्ध नहीं हुआ है.
AEFI कमेटी के एडवाइज़र डॉ. एन. के. अरोड़ा के मुताबिक, भारत में जो वैक्सीन के बाद गंभीर मामले सामने आए हैं, जिला और राज्य स्तर के लेवल पर उनका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है.
सूत्रों की मानें, तो भारत में वैक्सीन लेने वाले किसी भी व्यक्ति में खून का थक्का जमने की शिकायत नहीं आई है. हालांकि, एक्सपर्ट्स ने वैक्सीनेशन के बाद हो रही मौत को लेकर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है और जल्द से जल्द इनकी जांच की बात कही है.
वहीं, 234 मामले ऐसे सामने आए हैं जहां वैक्सीन की डोज़ के बाद लोगों को अस्पताल में शिफ्ट करने की नौबत आई है. इन मामलों के अलावा भारत में वैक्सीनेशन का काम काफी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में मंगलवार तक 3,29,47,432 वैक्सीन की डोज़ दी जा चुकी हैं. जबकि सोमवार को सबसे अधिक एक दिन में 30.39 लाख वैक्सीन दी गई थीं.
भारत में अभी स्वास्थ्यकर्मियों, कोरोना वॉरियर्स, 60 साल से अधिक उम्र वाले लोग, 45 साल से अधिक उम्र वाले लोग (गंभीर बीमारी से पीड़ित) लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है. हर किसी को सरकारी अस्पताल में मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि चिन्हित प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन की कीमत 250 रुपये प्रति डोज़ है.
गौरतलब है कि यूरोप के करीब एक दर्जन देशों ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर अस्थाई रोक लगा दी है. दावा है कि वैक्सीन की डोज़ लेने के बाद कुछ लोगों में खून का थक्का जम गया है, इसी के बाद अस्थाई रोक लगी है. बता दें कि एस्ट्राजेनेका की ही वैक्सीन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही है, जो कोविशील्ड है. हालांकि, WHO ने साफ कर दिया है कि भारत में बन रही वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है.