अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को धमकी देते हुए कहा है कि वह चीनी वस्तुओं पर फिर 300 अरब डॉलर का टैरिफ लगा देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी उम्मीद जाहिर की कि चीन और मेक्सिको अमेरिका के साथ अपने व्यापार विवाद को दूर करने के लिए समझौता करेंगे.
ट्रम्प ने कहा कि चीन के व्यापार पर बने गतिरोध को दूर करने के लिए वार्ता जारी है, हालांकि 10 मई के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों में आमने-सामने की कोई वार्ता नहीं हुई है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा, 'चीन के साथ हमारी बातचीत में काफी कुछ दिलचस्प चीजें हो रही हैं. आगे देखते हैं कि क्या होता है. मैं कम से कम 300 अरब डॉलर का और टैरिफ लगाऊंगा. हालांकि मुझे लगता है कि चीन और मेक्सिको समझौता करना चाहते हैं.'
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका अगर एकतरफा तरीके से व्यापारिक तनाव बढ़ाता है, तो चीन भी जरूरी कदम उठाएगा.
गौरतलब है कि अमेरिका ने पिछले साल जुलाई में चीन के 250 अरब डालर के सामान के आयात पर टैरिफ लगा दिया था, जिसे इस साल बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक कर दिया गया था. इसके जवाब में चीन ने भी 110 अरब डालर के अमेरिकी सामान के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया.
वर्ष 2017 में अमेरिका का चीन के साथ कुल व्यापार 635.4 अरब अमेरिकी डालर का रहा. इसमें अमेरिका से निर्यात 129.9 अरब डालर और चीन से किया गया आयात 505.5 अरब डालर रहा.
इसकी वजह से अमेरिकी उत्पादों की चीन में कीमत काफी बढ़ गई है और चीनी कंपनियां कच्चे माल के लिए वैकल्पिक आयात पर जोर दे रही हैं.
चीन असल में थोड़ा दबाव में इसलिए रहा क्योंकि यूरोपीय यूनियन के बाद अमेरिका ही चीन का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इस साल के पहले चार महीनों में ही अमेरिका से चीन के व्यापार में 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. जनवरी से अप्रैल महीने के दौरान दोनों देशों के बीच 1.1 ट्रिलियन युआन का व्यापार हुआ.
चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर से पूरी दुनिया परेशान है. शेयर बाजारों पर इसकी वजह से दबाव बना रहता है. इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि चीन ने अपनी नीतियों में अचानक बदलाव इसलिए किया, क्योंकि उसे लगता है कि 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता व्हाइट हाउस में उनकी जगह ले लेंगे.
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, 'चीन सपना देख रहा है कि जो बिडेन या कोई और 2020 में अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाए ताकि वह (चीन) आसानी से अमेरिका का अनुचित लाभ उठा सकें.'