अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेतों के बीच बजट पूर्व आर्थिक समीक्षा में आर्थिक प्रोत्साहनों को धीरे-धीरे वापस लेने का सुझाव दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि वैश्विक वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उद्योगों को आर्थिक प्रोत्साहन दिए थे. पिछले कई दिनों से इन्हें वापस लेने को लेकर खासी चर्चा है और आम बजट में इनकी आंशिक विदाई की अटकलें लगाई जा रही हैं.
संसद में पेश समीक्षा के अनुसार प्रोत्साहनों को वापस लेने से राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण में मदद मिलेगी जिसके 2009-10 में जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अप्रत्यक्ष कर संग्रहण में कमी तथा 3जी की नीलामी में देरी ने इस मामले में सरकार की परेशानी को दोगुना किया है.
समीक्षा के अनुसार, अर्थव्यवस्था में तीव्र सुधार वित्तीय संकट के मद्देनजर सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों की प्रभाविता को रेखांकित किया है. इसके अलावा व्यापक सुधार के कारण प्रोत्साहनों को धीरे-धीरे वापस लेने का अवसर भी बना है.