नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी हुई चुनौतियों से भारत लगातार उभर रहा है.अब इस पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी मुहर लगा दी है. IMF ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद पैदा हुईं मुश्किलें धीमे-धीमे खत्म होने लगी हैं.
मोदी सरकार के लिए इस अच्छी खबर के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सुधार भी सुझाया है. आईएमएफ ने कहा है कि भारत को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुधार करने की जरूरत है. हालांकि उसने बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों को कारगर बताया है और कहा है कि इससे वित्तीय तंत्र में सुधार की गुंजाइश है.
आईएमएफ के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर ताओ झेंग ने कहा कि नोटबंदी ओर जीएसटी का असर भले ही कम हो रहा हो, लेकिन इन दोनों ने विकास गति धीमी की है. उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में भारत ने 7.2 फीसदी की रफ्तार हासिल की है. इससे भारत ने एक बार फिर दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लिया है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से कारोबारियों के सामने दिक्कतें पेश आना लाजमी था. क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में नगदी की काफी बड़ी भूमिका थी. ऐसे में नोटबंदी होने का असर कम नगद के तौर पर दिखा, जिसका असर कारोबार पर भी पड़ा.
पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर की तीसरी तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही है. जीडीपी की इस रफ्तार के बूते भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. इसके साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बन गई है. इस दौरान चीन की जीडीपी की रफ्तार 6.8 फीसदी रही थी. इस मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है.
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आई इस खबर ने पीएम मोदी के लिए भी काफी राहत लाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बैड लोन और इकोनॉमी के मोर्चे पर सुस्त रफ्तार के लिए आलोचना झेल रहे थे.
बता दें कि पिछले साल की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में चीन की जीडीपी की रफ्तार 6.8 फीसदी रही थी. इससे पहले 2016 में भारतीय जीडीपी में तेज वृद्धि देखने को मिली थी. यह 2016 के आखिरी तीन महीनों के दौरान से तेजी से बढ़ी थी.