वित्त मंत्रालय ने पब्लिक सेक्टर बैंको को नया निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब अगर किसी भी सरकारी बैंक के 50 करोड़ रुपये से अधिक का लोन डिफॉल्ट होगा तो बैंकों को जांच कर यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्ज लेने वाला कहीं फ्रॉड तो नहीं है. वित्त मंत्रालय का यह कदम फर्जीवाड़े वाले एकाउंट से रिकवरी प्रॉसेस में तेजी लाने के लिए उठाया गया है. बैंकों की जांच में अगर किसी फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है तो इससे निपटने के लिए सरकार ने सीबीआई में भी नया सेल बनाया है.
वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को भेजे अपने पत्र में कहा है कि, '50 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज एनपीए बनेंगे को तो बैंक उसमें यह जांच करेगा कि कहीं उसमें कोई वित्तीय अनियमितता को नहीं है. बैंकों की जांच के बाद रिपोर्ट को एनपीए की रिव्यू के लिए बनी कमेटी को दी जाएगी.' जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से वित्तीय अनियमितता की रिपोर्टिंग में बैंकों की तरफ से अपनाई जा रही प्रक्रिया अधिक सुचारू होगी और उसमें तेजी आएगी.
पिछले साल 11,022 करोड़ रुपये की हुई धांधली
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी बैंकों में साल 2014 की अप्रैल से दिसंबर अवधि में लोन फर्जीवाड़े के लगभग 2100 मामले सामने आए थे जिनमें कुल 11,022 करोड़ रुपए की धांधली हुई थी. वहीं वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 2,593 मामले उजागर हुए थे जिनमें 7,542 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ था.
सीबीआई करेगी बैंक फ्रॉड मामलों की जांच
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सिर्फ नई दिल्ली में सीबीआई हेडक्वॉर्टर जॉइंट डायरेक्टर (पॉलिसी) के पास फर्जीवाड़े की शिकायत कर मामला दर्ज किया जाएगा क्योंकि वह ऐसे मामलों के निपटारे के लिए नोडल अफसर होंगे. मंत्रालय के मुताबिक सीबीआई को बैंक की तरफ से शिकायत प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज की जाएगी. सीबीआई के पास शिकायत दर्ज होने के 5 दिनों के अंदर बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर अपना लिखित कमेंट देंगे और कमेंट मिलने के 4 दिन के अंदर सीबीआई को मामले से जुड़े तथ्य दे दिए जाएंगे.
आरबीआई बना रहा है सेंट्रल फ्रॉड रजिस्ट्री
बैंकों के बढ़ते एनपीए और धांधली के मामलों को देखते हुए इस महीने की शुऱुआत में रिजर्व बैंक ने भी सेंट्रल फ्रॉड रजिस्ट्री बनाने की घोषणा की थी. इस रजिस्ट्री में बैंक फ्रॉड करने वाले लोगों का पूरा ब्यौरा होगा और बैंकों को एलर्ट करने का सिस्टम जेवलप किया जाएगा.