सत्यम कंप्यूटर के बहुचर्चित घोटाले को अब एक दशक से अधिक हो चुके हैं. लेकिन आज भी कंपनियों में गड़बड़ी पकड़ने की प्रणाली में खामियां कायम हैं. टेक महिंद्रा के प्रमुख सी पी गुरनानी ने साक्षात्कार में यह बात कही.
गुरनानी ने कहा कि इन खामियों को दूर करने के लिए बेहतर डाटा विश्लेषण जरूरी है. सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज का घोटाला जनवरी, 2009 में सामने आया था. इस घोटाले के सूत्रधार कंपनी के संस्थापक बी रामलिंग राजू थे. बाद में सत्यम कंप्यूटर का उसी साल अप्रैल में टेक महिंद्रा ने अधिग्रहण कर लिया था.
गुरनानी ने कहा कि सत्यम कंप्यूटर घोटाले के दस साल बाद भी हमारी प्रणाली संकट वाली स्थिति के बारे में 'अलर्ट' करने में पूरी तरह समक्ष नहीं हो पाई है. ये ऐसी स्थितियां होती हैं जो बाद में संकट बन जाती हैं.
उन्होंने कहा, 'बैंकों सहित सभी अंशधारकों मसल ऋण देने वाली एजेंसियों और कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनना चाहिए. सत्यम या आईएलएंडएफएस जैसे संकट को पकड़ने के लिए हमें बेहतर डाटा विश्लेषण और 'डैशबोर्ड' की जरूरत है.'
खास बात यह है कि अब संकट में फंसी आईएलएंडएफएस ने सत्यम घोटाले के बाद मेटास इन्फ्रा का अधिग्रहण किया था. मेटा भी राजू प्रवर्तित कंपनी थी. आईएलएंडएफएस समूह पर 94,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज का बोझ है. सरकार ने पिछले साल कंपनी के बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है.
सत्यम कंप्यूटर का 7,800 करोड़ रुपये का घोटाला जनवरी, 2009 में सामने आया था, राजू ने खुद स्वीकार किया था कि उन्होंने खातों में गड़बड़ी की है और कई साल तक मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था.