संसद के शीतकालीन सत्र की तरह बजट सत्र के ठप हो जाने की आशंका के मद्देनजर प्रधानमंत्री कार्यालय ने विभिन्न मंत्रालयों को निर्देश दिए हैं कि वे ताजा घटनाक्रमों, विवादों और कार्रवाइयों से पैदा हो सकने वाले ऐसे मुद्दों की सूची बनाएं जिन्हें विपक्ष संसद में उठा सकता है.
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को जल्द से जल्द इस बारे में उसे नोट्स भेजने को कहा है.
निर्देश में कहा गया है कि ‘ये नोट्स ऐसे सवालों और मुद्दों पर केन्द्रित होने चाहिए जो हाल की घटनाओं, विवादों, किए गए कार्यो या नहीं किए गए कार्यो से पैदा हो सकते हैं.’ संसद का बजट सत्र 21 फरवरी से शुरू हो रहा है और सरकार विपक्ष की ओर से किए जाने वाले प्रहारों का सामना करने की रणनीति तैयार कर रही है.
टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की विपक्ष की मांग पर संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह ठप हो गया था.
जेपीसी के गठन को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच शीतकालीन सत्र में बना गतिरोध अभी भी कायम है. इसके साथ ही मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति और विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के कालेधन का मामला भी काफी तूल पकड़ता जा रहा है.
लोकसभा में सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बने गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में बजट सत्र शुरू होने से पहले आठ फरवरी को राजनीतिक दलों के नेताओं की भोज बैठक बुलाई है.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में संसद चलाने की जिम्मेदारी विपक्ष और सत्ता पक्ष पर संयुक्त रूप से डालते हुए कहा था कि वे दोनों यह सुनिश्चित करें कि संसद सत्र सुचारू रूप से चल पाए.