घर खरीदना भारतीय परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण और बड़ा फैसला होता है, जिसमें वित्तीय और भावनात्मक दोनों पहलू शामिल होते हैं. लेकिन आकर्षक विज्ञापन, सैंपल फ्लैट और कीमत बढ़ने के दावों के बीच सही फैसला लेना मुश्किल हो सकता है. 1 फाइनेंस के एक केस स्टडी के मुताबिक कोई भी घर खरीदने वाला प्रॉपर्टी फाइनल करने से पहले खुद से 6 जरूरी सवाल पूछे-
इसे समझने के लिए रोहन का उदाहरण देखें, जो मुंबई में 32 साल का फाइनेंस प्रोफेशनल है. उसकी सालाना आय 65 लाख रुपये है और कोई मौजूदा लोन नहीं है. रोहन अपने किराए के अपार्टमेंट (कांदिवली ईस्ट) से बड़े घर में शिफ्ट करने के लिए वित्तीय रूप से तैयार था, क्योंकि उसका बच्चा होने वाला था और उसके बुजुर्ग माता-पिता भी साथ रहने आने वाले थे.
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रोहन ने लोकेशन और बजट के आधार पर तलाश शुरू की, अंधेरी वेस्ट बहुत महंगा था, जहां प्रति वर्ग फुट की कीमत 36,821 रुपये थी. गोरेगांव वेस्ट बजट में था, लेकिन उनके जोगेश्वरी ईस्ट के ऑफिस से कनेक्टिविटी खराब थी. चेंबूर और घाटकोपर ईस्ट सस्ते थे, लेकिन ऑफिस से काफी दूर थे. आखिरकार, रोहन ने अंधेरी ईस्ट (24,960 रुपये प्रति वर्ग फुट) और गोरेगांव ईस्ट (27,860 रुपये प्रति वर्ग फुट) को चुना, क्योंकि ये दोनों ऑफिस के करीब थे और उनके बजट में फिट बैठते थे. इसके बाद, उन्होंने मार्केट की गतिविधियों का जायजा लिया.
2025 की शुरुआत में, अंधेरी ईस्ट में 864 यूनिट्स बिके और 4,426 यूनिट्स उपलब्ध थे, जबकि गोरेगांव ईस्ट में 480 यूनिट्स बिके और 1,988 यूनिट्स बाजार में थे. इससे मांग और आपूर्ति का अच्छा संतुलन दिखा. कनेक्टिविटी ने फैसला पक्का कर दिया. वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे, JVLR और मेट्रो लाइनों की नजदीकी की वजह से ये इलाके सुविधाजनक थे. रोहन ने दोनों इलाकों में एक-एक प्रोजेक्ट फाइनल किया, जिनके बिल्डर का रिकॉर्ड साफ था और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध थीं.

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इस डेटा ने रोहन को आत्मविश्वास के साथ फैसला लेने में मदद की. 1 फाइनेंस के क्वांटिटेटिव रिसर्च के SVP अनिमेष हरदिया कहते हैं- 'रेरा ने पारदर्शिता लाई है, और आजकल वित्तीय और रियल एस्टेट सलाहकार जीवन के लक्ष्यों को स्मार्ट प्रॉपर्टी चयन के साथ संतुलित करने के लिए जरूरी हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि भावनात्मक फैसले वित्तीय स्पष्टता के बाद आने चाहिए, न कि इसके उलट. खरीदार अक्सर मार्केटिंग या दोस्तों के दबाव में बह जाते हैं, लेकिन अपनी वित्तीय क्षमता के हिसाब से घर चुनने से लंबे समय तक मानसिक शांति मिलती है'.