भारत में रियल एस्टेट का मार्केट 2047 तक 5 से 10 मिलियन ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. हाल ही में, CREDAI और Colliers की एक संयुक्त रिपोर्ट ने इस सेक्टर के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी और आशाजनक भविष्य का खाका पेश किया है. 'इंडियन रियल एस्टेट फॉस्टरिंग इक्विटी एंड फ्यूलिंग इकोनॉमिक ग्रोथ' (Indian Real Estate: Fostering Equity and Fuelling Economic Growth) नाम की इस रिपोर्ट के अनुसार,यह सिर्फ एक अनुमान नहीं है, बल्कि यह भारत के शहरीकरण, बढ़ती आबादी, बुनियादी ढांचे के विकास और सरकारी नीतियों के तालमेल का परिणाम है.
CREDAI और Colliers की रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रमुख कारक इस अभूतपूर्व विकास को गति देंगे. भारत की शहरी आबादी वर्तमान में 37% है, जो 2050 तक बढ़कर 53% होने का अनुमान है. इसका मतलब है कि शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या में भारी वृद्धि होगी, जिससे आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों की मांग बढ़ेगी. यह शहरीकरण केवल टियर-I शहरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि टियर-II और टियर-III शहरों में भी इसका विस्तार होगा.
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वहीं सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'स्मार्ट सिटी' जैसी पहले बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दे रही हैं. नए एक्सप्रेसवे, मेट्रो लाइनें, हवाई अड्डे और बंदरगाह कनेक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं, जिससे नए आर्थिक गलियारे बन रहे हैं और रियल एस्टेट निवेश के नए केंद्र उभर रहे हैं.
भारत की युवा और वर्किंग आबादी रियल एस्टेट के लिए एक बड़ा बाजार बना रही है. नौकरीपेशा युवा वर्ग, बढ़ता मध्यम वर्ग और सिंगल परिवारों की बढ़ती संख्या घरों, किराए की संपत्तियों और अन्य रियल एस्टेट उत्पादों की मांग को बढ़ा रही है. रियल एस्टेट सेक्टर में भी डिजिटलीकरण का प्रभाव दिख रहा है. ऑनलाइन प्रॉपर्टी प्लेटफॉर्म, वर्चुअल टूर और डिजिटल रिकॉर्ड्स से खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हो गई है.
सरकार और निवेशकों में पर्यावरण की चिंता बढ़ रही है, जिससे हरे-भरे भवनों और ऊर्जा-कुशल परियोजनाओं की मांग बढ़ रही है। इससे इस क्षेत्र में नए निवेश अवसर भी बन रहे हैं.
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अगर आप इस विकास का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आपको उन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए, जो भविष्य की जरूरतों को पूरा करेंगे. शहरीकरण और बढ़ती आबादी के कारण किफायती और मध्य-श्रेणी के घरों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है. बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रमुख आईटी हब में आवासीय संपत्तियां हमेशा से निवेशकों की पहली पसंद रही हैं. इन शहरों में व्हाइटफील्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, हिंजेवाड़ी, और गुड़गांव जैसे इलाके अच्छे रिटर्न दे सकते हैं.
कमर्शियल स्पेस: भारत के आर्थिक विकास से कॉर्पोरेट और वेयरहाउसिंग सेक्टर में तेजी आई है. ग्रेड-ए ऑफिस और औद्योगिक वेयरहाउसिंग स्पेस का स्टॉक 2047 तक 2 बिलियन वर्ग फुट से अधिक होने की उम्मीद है. अगर आपके पास बड़ा बजट है, तो आप कमर्शियल प्रॉपर्टी, खासकर ऑफिस स्पेस और वेयरहाउसिंग में निवेश कर सकते हैं, जो स्थिर किराया आय दे सकते हैं.
को-लिविंग और सीनियर लिविंग: युवाओं और बुजुर्गों की बदलती जीवनशैली को देखते हुए को-लिविंग स्पेस और सीनियर लिविंग होम्स की मांग बढ़ रही है, ये दोनों ही सेगमेंट भविष्य के लिए शानदार निवेश विकल्प हैं.
रिटेल (मॉल): बढ़ती उपभोक्ता शक्ति के साथ, रिटेल सेक्टर भी रफ्तार पकड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, मॉल्स की संख्या 1500 से अधिक हो सकती है.
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किसी भी निवेश से पहले, उस इलाके, डेवलपर की विश्वसनीयता और भविष्य में होने वाले विकास योजनाओं की पूरी जानकारी लें. बड़े शहरों के मुकाबले टियर-II और टियर-III शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें कम हैं, लेकिन विकास की संभावना अधिक है. नागपुर, अहमदाबाद, जयपुर, और चंडीगढ़ जैसे शहरों में निवेश पर विचार किया जा सकता है.
भारत का रियल एस्टेट सेक्टर एक अभूतपूर्व विकास की दहलीज पर खड़ा है. यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि निवेशकों के लिए भी शानदार अवसर पैदा करेगा. CREDAI और Colliers की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि सही समय पर और सही जगह पर किया गया निवेश भविष्य में बड़ा मुनाफा दे सकता है.